Tricity Today | शहर में बेचने के लिए जेलर ने कैदियों से बनवाई राखियां
Ghaziabad News : डासना स्थित जिला कारागार में बंद कैदियों ने इस बार राखियां बनाई हैं। इन राखियों को बाजारों में बिक्री के लिए रखा जाएगा। ये राखियां बाजार में सस्ते दामों पर बेची जाएंगी। इस बार गाजियाबाद की बहनें अपने भाइयों के हाथ पर कैदियों की बनी डिजाइनर राखियां बांधेंगी। डासना जेल में बंद कैदियों को सृजनात्मक कार्य सीखने के लिए कारागार की तरफ से समय-समय पर बंदियों के लिए रचनात्मक कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है। होली में गुलाल, दिवाली पर दीये और रक्षाबंधन पर इस बार कैदियों से राखियां बनवाई गई हैं।
जेल अधीक्षक ने बताया कारण
डासना जेल के कारागार अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि जेल में बंद कैदियों को तनाव मुक्त रखने के लिए इस तरह का आयोजन जेल में कराया जाता है। कैदियों को रोजगार देने से कहीं न कहीं उनके आचरण में सकारात्मकता भी दिखाई देती है। इस तरह से राखियां बनाने के दौरान कैदियों के आचरण में भी सुधार की संभावना रहती है। जेल में रहने के दौरान एक स्वस्थ रोजगार भी कैदियों को मिलता है। जेल में सजा पूरी होने के उपरांत भी यह कौशल कैदियों के काम आएगा और सजा पूरी होने के उपरांत वे सम्मानपूर्वक अपना जीवन जी सकेंगे।
4 हजार राखियां बनाई गईं
गाजियाबाद के जिला कारागार में कैदियों को सृजनात्मक कार्य सीखने और उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने की दिशा जेल प्रशासन की ओर से नियमित रूप से कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इस बार उन्हें राखी बनाने का कार्य दिया गया है। इस दौरान कारागार में बंद कैदियों ने लगभग 4 हजार राखियां बनाई हैं। इन राखियों को गाजियाबाद के बाजारों में बेचा जाएगा। इस प्रकार कैदियों द्वारा बनाई गई राखियों को खरीद कर बहनें जेल में बंद कैदियों की आर्थिक रूप से भी मदद कर सकती हैं और उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने की दिशा में उनकी सहायता कर सकती हैं। कैदियों द्वारा बनाई गई राखी से होने वाली आमदनी को कैदियों में बराबर बांट दिया जाएगा। इससे कैदियों को आर्थिक मदद मिलेगी और उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने में सहायता मिलेगी।