गाजियाबाद पुलिस को झटका : ज्ञानस्थली कॉलेज संचालक की गिरफ्तारी बनी जी का जंजाल, कोर्ट ने जबाब तलब किया

गाजियाबाद | 3 महीना पहले | Dhiraj Dhillon

Tricity Today | Gyanshali College



Ghaziabad News : ज्ञानस्थली कॉलेज संचालक हरिओम शर्मा की गिरफ्तारी पर गाजियाबाद पुलिस को कोर्ट में करारा झटका लगा है। पुलिस जहां हरिओम शर्मा की रिमांड की मांग कर ही थी, वहीं कोर्ट में गिरफ्तारी ही सवालों में घिरी नजर आई। कोर्ट ने मामले में पुलिस गिरफ्तारी के औचित्य पर सवाल किया है। दरअसल, हरिओम शर्मा के खिलाफ दर्ज मामले में अपराध साबित भी हुआ तो उन धाराओं में सात साल से कम सजा का प्रावधान है। नए कानून कहते हैं कि सात साल से कम सजा वाले मामलों में जरूरी होने पर ही गिरफ्तारी की जाए। कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी से एक सप्ताह में गिरफ्तारी के औचित्य पर जबाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। हरिओम शर्मा को 10 रुपए के पर्सनल बांड पर जमानत दे दी गई।


वकीलों ने किया गिरफ्तारी का कड़ा विरोध
पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद हरिओम शर्मा को अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रीति भूषण की अदालत में पेश किया। हरिओम की पैरवी के ल‌िए दर्जनों अधिवक्ता कोर्ट पहुंचे थे। कुल आठ वकालतनामें हरिओम शर्मा की पैरवी के लिए लगे थे। पूर्व सचिव परविंदर नागर ने हरिओम शर्मा की पैरवी में कहा कि पुलिस ने जिस वायरल ऑडियो को गिरफ्तारी का आधार बनाया है, उसकी जांच तक नहीं कराई है। आवाज हरिओम शर्मा की मानी जा रही है, लेकिन जांच भी तो होनी चाहिए थी।  इसके अलावा पीड़ित छात्र की ओर से मामले में एफआईआर नहीं की गई। 

कोर्ट ने नहीं माना जेल भेजने का पर्याप्त आधार
एसीजेएम प्रीति भूषण की अदालत ने कहा 26 जुलाई को नोटिस के अगले ही दिन हरिओम शर्मा की गिरफ्तारी क्यों कर ली गई। हरिओम शर्मा को जेल भेजने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। अदालत ने पुलिस की हरिओम शर्मा को जेल भेजने की अर्जी निरस्त कर दी। अदालत ने एक सप्ताह में विवेचक के स्पष्टीकरण दाखिल करने के आदेश दिए हैं और आदेश की प्रतिलिपि गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर को भेजने के भी आदेश दिए गए हैं। अदालत ने माना है कि ‌हरिओम शर्मा की गिरफ्तारी का कोई औचित्य ही नहीं था।

22 जुलाई को दर्ज हुई थी एफआईआर
बता दें कि एक जाति को अपमानित करने वाली एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। यह ऑडियो ज्ञानस्थली कॉजेज के संचालक की बताई गई थी। आरोप है कि संचालक ने दलित समाज के एक छात्र को फोन पर गाली गलौज करते हुए पूरे समाज को अपमानित किया है। मामले में  22 जुलाई को जिला पंचायत सदस्य अनिल गौतम ने भोजपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।  हरिओम शर्मा को नामजद किए जाने के बाद भी अनिल गौतम की ओर से भोजपुर थाने पर खड़े होकर वीडियो जारी किया गया था। मामले में छात्रों ने मेरठ विश्व विद्यालय में भी प्रदर्शन किया था और एक विश्वविद्यालय की ओर से कॉलेज की संबद्धता एक वर्ष के लिए निलंबित किए जाने की बात भी सामने आई थी।
 

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