गाजियाबाद के कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष हरेंद्र कसाना और उनके चार साथियों पर अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को इस संबंध में जिले की टीला मोड़ थाने को सभी पांचों आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने और इसकी जांच कर उचित कार्रवाई करने को कहा है। इन सभी पर एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगा है। इनके रसूख की वजह से पुलिस ने पहले मामला पंजीकृत करने में आनाकानी की थी। इससे क्षुब्ध होकर पीड़िता को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
गाजियाबाद के मुख्य न्यायिक मजिरूट्रेट ने प्रार्थी की अर्जी पर सुनवाई कर 18 फरवरी को उक्त आदेश दिया। पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता विजय कुमार ने पूरी घटना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीला मोड़ क्षेत्र में एक व्यक्ति की 18 बीघा जमीन थी। पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष हरेंद्र कसाना और कुछ अन्य से इस जमीन को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था। विवाद के दौरान ही कसाना पक्ष के लोगों ने विवादित जमीन पर कॉलोनी बसाने के लिए प्लॉट काटकर बेचना शुरु कर दिया। इन्होंने मार्च, 2018 से जनवरी, 2020 के बीच कई भूखंड बेच दिया।
पति को फर्जी मामले में जेल भेजने का आरोप -
अधिवक्ता ने बताया कि जमीन के मालिक ने भूखंड बेचने का कई बार विरोध किया। इसे लेकर दोनों पक्ष में कई बार विवाद हुआ। इस दौरान हरेंद्र कसाना ने सांठगांठ कर पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा करा दिया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। व्यक्ति के जेल जाने के बाद कांग्रेस के नेता हरेंद्र कसाना और उनके साथियों ने उनकी पत्नी पर समझौते के लिए दवाब बनाया। इन लोगों ने जेल में बंद व्यक्ति की पत्नी को अपने दफ्तर बुलाया। वहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी।
पुलिस ने आनाकानी की -
बलात्कार की शिकार महिला ने पुलिस में इसकी शिकायत की। मगर पुलिस ने मामला पंजीकृत करने में आनाकानी की। इससे दुखी पीड़िता ने अधिवक्ता के माध्यम से न्याय पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। गुरुवार को सीजेएम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों हरेंद्र कसाना, धर्मेंद्र, मोहन, दिनेश और देवराज के खिलाफ उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने को कहा। साथ ही न्यायालय ने मामले की अच्छी तरह जांच कर रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया है। पीड़ित महिला ने इस फैसले पर खुशी जताई है।