Sensational There Is A Twist In The Story Of Raju Who Returned To Ghaziabad After 31 Years A Family From Dehradun Said That This Is The Same Monu Know What Happened Next
सनसनीखेज : 31 साल बाद गाजियाबाद लौटे राजू की कहानी में ट्विस्ट, देहरादून का परिवार बोला ये तो मोनू है!
Tricity Today | गाजियाबाद में परिवार के साथ राजू, देहरादून में आशा शर्मा के साथ मोनू शर्मा की तस्वीर।
Ghaziabad News : 22 नवंबर को खोड़ा थाने पहुंचने के बाद 27 नवंबर को शहीद नगर के परिवार द्वारा अपनाए गए राजू की असलियत को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। देहरादून के परिवार ने राजू के मोनू होने का शक जाहिर किया है। इसके बाद देहरादून पुलिस मामले की असलियत जानने में जुट गई है, इसके लिए गाजियाबाद पुलिस से संपर्क किया गया है। इस संबंध में गाजियाबाद पुलिस के डीसीपी निमिष पाटिल का कहना है कि राजू से पूछताछ की जा रही है। देहरादून पुलिस का कहना है कि जुलाई में एक व्यक्ति खुद को मोनू शर्मा बताकर पटेल नगर में रहने वाले परिवार से मिला था। गाजियाबाद में मिले राजू को देखकर देहरादून के उस परिवार ने आशंका जाहिर की है कि यह वही मोनू है।
जुलाई में देहरादून के परिवार को मिला था मोनू
देहरादून पुलिस को मिले मोनू नाम के शख्स ने बताया था कि उसे 16 साल पहले अगवा कर राजस्थान ले जाया गया, जहां उसे बंधक बनाकर भेड़- बकरियां चरवाई गईं। उत्तराखंड का एक ट्रक चालक, जो राजस्थान से मवेशी खरीदने पहुंचा था उसकी मदद से वह देहरादून पहुंचा। देहरादून पुलिस ने उस शख्स को परिवार से मिलवाने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया। पटेलनगर में रहने वाला एक परिवार पुलिस का विज्ञापन देखकर पहुंचा और बुजुर्ग महिला आशा शर्मा और उनके पति कपिलदेव शर्मा ने उस शख्स को अपने लापता बेटे के रूप में अपना लिया।
गाजियाबाद पुलिस से बताई गई कहानी भी ऐसी ही
गाजियाबाद के खोड़ा थाने पहुचे शख्स ने अपना नाम राजू बताया और अपहरण की कहानी बिल्कुल मोनू शर्मा से मिलती- जुलती। राजू ने बताया था कि बचपन में उसका अपहरण कर राजस्थान के जाया गया और फिर भी बंधक बनाकर भेड़ बकरियां चरवाई गईं। उसके साथ मारपीट की जाती थी और खाने के शाम को ही केवल एक रोटी दी जाती थी। उसने खुद को तीन बहनों का इकलौता भाई
भी बताया था। मीडिया के जरिए राजू की कहानी लोगों को पता चली तो कई परिवार जो वर्षों से अपने बेटे के वियोग में जी रहे थे, खोड़ा थाने पहुंचे।
शहीदनगर निवासी परिवार ने अपनाया
शहीदनगर में रहने वाले भीम सिंह के परिवार ने राजू को अपना लिया। उनके बेटे का 8 सितंबर, 1993 को अपहरण हुआ था। भीम सिंह की बेटी संतोष और पत्नी ने उसे देखते ही अपना मान लिया, हालांकि पिता को इसमें दो दिन का समय लगा। लेकिन अब राजू इस परिवार के साथ खुश है और परिवार भी। इस बीच मीडिया में फोटो देखकर देहरादून के पटेल नगर निवासी कपिलदेव शर्मा ने आशंका जाहिर की हैं कि यह वही धोखेबाज मोनू शर्मा है। कपिलदेव ने कहा कि कुछ दिनों बाद मोनू हमसे झगड़ा करने लगा और पोतियों के हमारे साथ रहने पर आपत्ति करने लगा। दिल्ली जाने के लिए उसने एक एनजीओ को झूठी कहानी बताई और आठ हजार रुपये ले गया। देहरादून पुलिस ने मामले में गाजियाबाद पुलिस से संपर्क करने की बात कही है।