Tricity Today | साइट पर पहुंचे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अफसर
Greater Noida News : शहर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रवि कुमार एनजी ने एक नई पहल के तहत ग्रेटर नोएडा के भविष्य को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब दिल्ली की तरह शहर में कूड़े-कचरे के पहाड़ नहीं दिखेंगे। इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC), रिलायंस बायो एनर्जी और आकांक्षा एंटरप्राइजेज के साथ समझौता किया है। रवि कुमार एनजी ने इस खास योजना के बारे में जानकारी दी। जिसमें कूड़े के निस्तारण के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है।
75 एकड़ भूमि पर स्थापित होंगे प्लांट
ग्रेटर नोएडा के अस्तोली गांव में 75 एकड़ भूमि पर यह परियोजना बनाई जा रही है। जिसमें NTPC को 20 एकड़ भूमि दी गई है। इस प्लांट में NTPC सूखे कूड़े से प्रतिदिन 4 टन कोयला बनाएगा। जिसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। यह परियोजना अक्टूबर 2025 से शुरू होकर 2050 तक चलेगी। NTPC ने प्राधिकरण के साथ 25 वर्षों के लिए इस प्लांट की स्थापना का अनुबंध किया है और निर्माण कार्य पहले से ही प्रारंभ हो चुका है।
रिलायंस बायो एनर्जी बनाएगी बायोगैस
रिलायंस बायो एनर्जी को गीले कूड़े से बायोगैस बनाने के लिए अस्तोली गांव में 11 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। इस प्लांट के द्वारा निर्मित बायोगैस का प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाएगा। रिलायंस बायो एनर्जी इस परियोजना से हर साल 246 लाख रुपये की वार्षिक रॉयल्टी भी प्राधिकरण को प्रदान करेगी। यह प्रोजेक्ट अप्रैल 2026 में शुरू होकर मार्च 2051 तक चलेगा।
आकांक्षा एंटरप्राइजेज बनाएगी बायो CNG
इसके अतिरिक्त प्राधिकरण ने बायो CNG उत्पादन के लिए आकांक्षा एंटरप्राइजेज को 5 एकड़ भूमि आवंटित की है। यह कंपनी गीले कूड़े से बायो CNG बनाएगी और प्राधिकरण को इसके एवज़ में 18 लाख रुपये वार्षिक रॉयल्टी भी देगी। इस परियोजना की शुरुआत भी अप्रैल 2026 में होगी और यह मार्च 2051 तक जारी रहेगी।
प्रदूषण मुक्त प्लांट और हरित क्षेत्र की योजना
प्राधिकरण ने परियोजना स्थल के आसपास प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी विस्तृत व्यवस्था की है। प्लांट के आस-पास 30 एकड़ भूमि पर हरियाली और कई प्रकार के पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं। जिससे हवा शुद्ध बनी रहे और वातावरण में किसी प्रकार की गंध न फैले। मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने बताया कि सभी प्लांट प्रदूषण मुक्त होंगे और इनसे किसी तरह की दुर्गंध नहीं आएगी। स्थानीय निवासियों को यह भी महसूस नहीं होगा कि क्षेत्र में कोई कचरा निस्तारण केंद्र स्थापित है।