ग्रेटर नोएडा में 3 अरब का घोटाला : सरकार से बड़ी आरोपी महाप्रबंधक, 2 बार तबादला और रिलीव ऑर्डर आया लेकिन अथॉरिटी ने कहा...

Tricity Today | मीना भार्गव



Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) में सेवाएं ऑनलाइन शुरू करने और कार्यालयी कामकाज को जीआरपी पर लाने के नाम पर 300 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है, ऐसी शिकायत शासन को गई। मामले में जांच चल रही है। इस घोटाले में प्राधिकरण के पूर्व सीईओ, जनरल मैनेजर प्लानिंग और वरिष्ठ प्रबंधक को शामिल बताया गया है। खास बात यह है कि जनरल मैनेजर प्लानिंग मीना भार्गव ट्रांसफर होने के बावजूद पिछले 2 सालों से प्राधिकरण में जमी हुई हैं। उन पर पूर्व सीईओ की कृपा थी। करीब 7 महीने पहले ट्राईसिटी टुडे ने यह मुद्दा उठाया था। तब सीईओ ने कहा था कि जब तक शासन महाप्रबंधक स्तर का कोई दूसरा अफसर यहां नहीं भेजेगा, तब तक मीना भार्गव को रिलीव नहीं करेंगे। अब उनका नाम भी 300 करोड़ रुपए के घोटाले में सामने आ रहा है। इस मामले में ग्रेटर नोएडा के एक समाजसेवी राजेंद्र नागर ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की है। जिसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में इसको लेकर जांच शुरू हो गई है। 

एक साल में दो बार हो चुका मीना भार्गव का तबादला
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। मीना भार्गव का पिछले एक साल में दो बार ट्रांसफर हो चुका है, उसके बावजूद वह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार ट्रांसफर होने के बावजूद मीना भार्गव क्यों प्राधिकरण में तैनात हैं। मीना भार्गव समेत तीन अधिकारियों पर प्राधिकरण की ऑनलाइन सेवाओं के नाम पर 300 करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप लगा है। इस मामले में उनके खिलाफ जांच शुरू की हो चुकी है, जो आगामी कुछ दिनों में उच्च अधिकारी को सौंप दी जाएगी। इससे पहले मीना भार्गव यमुना प्राधिकरण में तैनात थीं। मीना भार्गव इस समय सवालों के कटघरे में खड़ी हैं।

क्या राज्य सरकार से बड़ा है मीना भार्गव का कद?
एक और गंभीर बात यह है कि शासन से जब दो बार तबादला आदेश जारी होने के बाद वह रिलीव नहीं की गईं। इस शासन ने नाराजगी जाहिर की। कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए शासन स्तर से ही उन्हें रिलीव कर दिया था। इसके बावजूद सीईओ ने महाप्रबंधक को पद से नहीं हटाया था। वह आज भी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में काम कर रही हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश शासन ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से सवाल पूछे थे। इस पर प्राधिकरण की ओर से जवाब आया कि मीना भार्गव के पास बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और अगर उनको हटा दिया गया तो काम ठप जाएगा।

यमुना प्राधिकरण में गड़बड़ियों के बाद हटाया गया
मीना भार्गव मूल रूप से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत थीं। उत्तर प्रदेश शासन ने औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के लिए एकीकृत तबादला नीति लागू की। जिसके आधार पर मीना भार्गव का तबादला वर्ष 2017 में यमुना अथॉरिटी में कर दिया गया था। यमुना प्राधिकरण में उन पर फाइल आगे ना बढ़ाने, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं करने और समय सीमा पर कार्य पूरा नहीं करने के आरोप लगे थे। लिहाजा, यमुना अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की नाराजगी पर साल 2021 में उनका तबादला एक बार फिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कर दिया गया था।

केवल 9 महीने बाद ग्रेटर नोएडा से यूपीएसआईडीए ट्रांसफर हुआ
इस पूरी प्रक्रिया पर दो सवाल और खड़े होते हैं। पहला, जीएम मीना भार्गव का तबादला महज 9-10 महीने में दो बार क्यों हुआ? उन्हें यमुना अथॉरिटी से ग्रेटर नोएडा आए केवल 9-10 महीने हुए थे। इतने कम वक्त में ऐसी कौन सी प्रशासनिक समस्या थी कि उन्हें फिर यूपीएसआईडीए भेजा गया। दूसरा सवाल यह कि अगर शासन ने प्रशासनिक आधार पर यह तबादला किया तो उस पर अमल क्यों नहीं हो रहा है? यह सरकार ही नहीं सामान्य नियोक्ता का अधिकार है कि वह अपने एम्प्लोयी से अपने सिस्टम के तहत काम ले। तबादला नीति में यह कहीं नहीं लिखा है कि प्राधिकरणों में किसी कर्मचारी का तबादला तीन साल से कम वक्त में नहीं किया जा सकता है। यह मामला केवल मीना भार्गव से जुड़ा नहीं है। प्राधिकरणों में ऐसे अफसरों और कर्मचारियों की एक लम्बी फेहरिस्त है।

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