Greater Noida : जिम्स अस्पताल के छात्र की ब्रेन हेमरेज से मौत, पैसे इकट्ठे करके भी साथी नहीं बचा पाए जान, अब होगा हंगामा

Tricity Today | राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स)



Greater Noida News : राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के पैरामेडिकल छात्र उपदेश भारती की दुखद मौत के बाद संस्थान में गुरुवार को छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। छात्रों ने संस्थान के ओपीडी पर्चा काउंटर समेत अन्य काउंटरों को बंद करवा दिया और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने संस्थान प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उपदेश को उचित चिकित्सा सहायता नहीं मिली, जिससे उसकी मौत हो गई।

2 सितंबर को बिगड़ी तबीयत
बलिया जिले के रेवती गांव के निवासी उपदेश भारती इस समय जिम्स में डीएमएटी (डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी) के अंतिम वर्ष का छात्र था। वह संस्थान के एम ब्लॉक हॉस्टल में रहता था। बीते 2 सितंबर की शाम उपदेश की तबीयत अचानक खराब हो गई। जब सीटी स्कैन कराया गया तो पता चला कि उसके दिमाग में रक्त का थक्का जम गया है और वह ब्रेन हेमरेज का संकेत था। जिम्स में ब्रेन हेमरेज के उपचार की सुविधा न होने के कारण उसे तुरंत एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

दिल्ली अस्पताल में ले जाते वक्त हुई मौत
उपदेश के साथी छात्रों ने उसे निजी अस्पताल तक पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने तुरंत सर्जरी की आवश्यकता बताई। हालांकि, सर्जरी के लिए अस्पताल ने संस्थान से एक पत्र की मांग की। जिसमें सर्जरी का खर्च और जिम्मेदारी संस्थान द्वारा ली जानी थी, लेकिन जिम्स की ओर से कोई ऐसा पत्र नहीं दिया गया। जिसके कारण उपदेश का समय पर इलाज नहीं हो सका। इसके बाद छात्र को गंभीर हालत में दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

साथियों ने पैसे इकट्ठे किए
उपदेश के भाई निशांत भारती ने बताया कि उनकी मौत के बाद भी संस्थान की ओर से कोई मदद नहीं मिली। निशांत भारती का कहना है, "हमने रात में कई बार संस्थान के डॉक्टरों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। साथी छात्रों ने इलाज के लिए अपनी ओर से पैसे इकट्ठे किए, लेकिन यह रकम पर्याप्त नहीं थी।"

जिम्स प्रबंधन पर आरोप
उपदेश की मौत के बाद पैरामेडिकल के छात्रों ने गुरुवार को संस्थान परिसर में उग्र प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप था कि अगर समय पर उपदेश को सही इलाज मिलता और संस्थान प्रबंधन ने गंभीरता दिखाई होती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। छात्रों ने ओपीडी पर्चा काउंटर समेत कई अन्य सेवाओं को बंद करवाकर विरोध किया और मांग की कि संस्थान प्रशासन अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करे।

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