हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अनिल सागर प्रतीक्षारत : फिर भी गौतमबुद्ध नगर के किसानों की समिति में बरकरार, सवाल उठा रहे जानकार

Tricity Today | अनिल कुमार सागर



Greater Noida News : यूपी के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिल कुमार सागर, जो हाल ही में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद यमुना विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव पद से हटा दिए गए, अब एक बड़े सवाल के दायरे में हैं। उन्हें गौतमबुद्ध नगर के किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए गठित 5 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनाए रखा गया है, जिससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी
हाईकोर्ट ने अनिल सागर पर यमुना प्राधिकरण में अनियमितताओं और बिल्डरों से मिलीभगत के आरोपों को लेकर सख्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो सीबीआई जांच के आदेश जारी किए जाएंगे। इसके बाद शनिवार को प्रदेश सरकार ने उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया। बावजूद इसके, किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए गठित समिति में उनकी उपस्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।

किसानों की समिति में नियुक्ति पर विवाद
गौतमबुद्ध नगर के वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने अनिल सागर की नियुक्ति पर कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है, “जिस अधिकारी के फैसलों पर खुद हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं, उसे किसानों की समस्याओं का समाधान करने की जिम्मेदारी देना उचित नहीं है। सरकार को चाहिए कि इस समिति की कमान किसी अन्य अधिकारी को सौंपे।”

बिल्डरों के प्रोजेक्ट को मनमाने तरीके से मंजूरी दी 
गौरतलब है कि अनिल सागर की अध्यक्षता में तीन दिसंबर को किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए यह समिति गठित की गई थी। अब उनकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वह समिति के कार्यों को भी प्रभावित कर सकते हैं। अनिल कुमार सागर पर आरोप है कि उन्होंने यमुना प्राधिकरण में बिल्डरों के प्रोजेक्ट को मनमाने तरीके से मंजूरी दी और रद्द किया। एक ही दिन में तीन अलग-अलग मामलों में विरोधाभासी फैसले लेने के कारण वह हाईकोर्ट की नजरों में आ गए। इसके अलावा, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप भी उनके खिलाफ लगे हैं।

सीबीआई जांच के आदेश 
लखनऊ बेंच के जस्टिस पंकज भाटिया ने यमुना अथॉरिटी में बिल्डरों की मिलीभगत और जमीनों की घपलेबाजी के मामलों पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को सख्त निर्देश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएंगे। सरकार ने हाईकोर्ट के दबाव में अनिल सागर को पद से तो हटा दिया, लेकिन उन्हें किसानों की समिति में बनाए रखना उनके प्रशासनिक निर्णयों पर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अधिकारी को किसानों की समस्याओं का समाधान सौंपना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे किसानों का भरोसा भी टूट सकता है।

अब आगे क्या
अब यह देखना होगा कि सरकार इस समिति की संरचना पर पुनर्विचार करती है या नहीं। हाईकोर्ट द्वारा लगातार बढ़ रहे दबाव और सीबीआई जांच की आशंका के बीच अनिल सागर की नियुक्ति को लेकर सरकार पर सवालों का दबाव बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ, अभी राज्य सरकार को औद्योगिक विकास विभाग में प्रमुख सचिव की नियुक्ति करनी है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए औद्योगिक विकास विभाग बेहद महत्वपूर्ण भूमिका में रहता है।

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