ग्रेटर नोएडा में भाकियू लोकशक्ति के सदस्यों की बैठक : किसानों के मुद्दों पर की गई चर्चा, समस्याओं का जल्द समाधान ना होने पर आंदोलन की चेतावनी

ट्राई सिटी | बैठक में भाग लेते किसान



Greater Noida West News : भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह के निवास ग्राम रौनीजा में रविवार देर रात पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में किसानों के सामने आ रही समस्याओं पर चर्चा की गई। इस दौरान यह बताया गया कि गौतम बुद्ध नगर के प्रशासन ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को गुमराह किया है। किसानों की मांग पूरी तरह से वाजिब हैं। 2011 के गजराज बनाम सरकार केस के फैसले को लेकर किसानों के हक में निर्णय आया था। लेकिन जिन किसानों ने कोर्ट का रुख नहीं किया, उन्हें यह लाभ नहीं मिल पाया। इसके अलावा मीटिंग में किसान नेताओं की रिहाई को लेकर भी आगे रणनीति बनाई गई। कहा कि  या तो प्रशासन वार्ता करके समस्याओं का समाधान करें, नहीं तो एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

किसानों को न्याय दिलाने की मांग
किसानों के मुद्दे पर बैठक में भाकियू लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह ने बताया कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों को कोर्ट के फैसले का लाभ दिया गया, लेकिन जो किसान कोर्ट नहीं गए, उन्हें वंचित किया गया। यदि एक खाते में चार खातेदार हैं, तीन कोर्ट गये तो तीन को लाभ मिल गया और एक जो कोर्ट नहीं गया वह वचिंत रह गया। यह सौतेला व्यवहार माना गया क्योंकि अधिकारियों ने पहले कहा था कि जो कोर्ट आदेश देगा, उसी के आधार पर लाभ मिलेगा। किसानों ने अब यह मांग उठाई है कि गजराज बनाम सरकार के फैसले के बाद सभी किसानों को वही लाभ दिया जाए, जो कोर्ट जाने वाले किसानों को मिला था।

सर्किल रेट और मुआवजे को लेकर उठाए गए सवाल
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि जिलाधिकारी ने पिछले 10 वर्षों से सर्किल रेट नहीं बढ़ाए हैं, जबकि महंगाई और बाजार मूल्य बढ़ गए हैं। रजिस्ट्री सरकारी सर्किल रेट पर हो रही है, लेकिन बाजार मूल्य उससे कई गुना ज्यादा हो गया है। इसके अलावा, जेवर एयरपोर्ट और यमुना विकास प्राधिकरण का मुआवजा भी दो वर्षों से नहीं बढ़ाया गया है। किसानों ने कहा कि यमुना विकास प्राधिकरण का किसान वहां का पुस्तैनी किसान है और उसे समान सुविधाएं मिलनी चाहिए।

किसानों के विस्थापन और अन्य मुद्दों पर की गई चर्चा
इस दौरान बैठक में किसानों ने यह भी सवाल उठाया कि जब विस्थापन किया जाता है, तो गांवों को नुकसान होता है, लेकिन शहरों के लिए मुआवजा बढ़ा दिया जाता है। इसके अलावा महानगरों जैसी सुविधाओं का वादा किया जाता है, लेकिन गांवों में शिक्षा, चिकित्सा और यातायात की कोई व्यवस्था नहीं है। किसानों ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण ने 2009-11 में जिन किसानों की जमीन ली, उन्हें आज तक रोजगार और शिक्षा जैसी सुविधाएं नहीं मिलीं। साथ ही जो प्राधिकरण की परियोजनाओं में शामिल हुए। उन्हें आज तक मुआवजा और पुनर्वास सुविधाएं भी पूरी तरह से नहीं दी गईं।

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