यमुना प्राधिकरण में 3,000 करोड़ रुपये का घोटाला : पुलिस जांच में इन नए चार अफसरों के नाम सामने आए, जल्द जाएंगे जेल!

Tricity Today | यमुना प्राधिकरण



Greater Noida News : हाथरस में जमीन खरीद के मामले में यमुना अथॉरिटी में हुए भ्रष्टाचार की जांच अब तेजी पकड़ रही है। इस मामले में पहले से दर्ज एफआईआर में अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता समेत 29 लोगों के नाम शामिल थे। अब पुलिस की जांच में अथॉरिटी के तत्कालीन जीएम फाइनेंस समेत चार और अधिकारियों के नाम इस पूरे खेल में सामने आए हैं। पुलिस ने इनके नाम भी केस में शामिल कर लिए हैं और इस मामले की जांच जारी है। पुलिस कई और लोगों की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है। केस की जांच एसीपी-1 नोएडा प्रवीण सिंह कर रहे हैं। अथॉरिटी के दो तहसीलदार और तत्कालीन अधिकारियों के आठ रिश्तेदारों के खिलाफ पुलिस पहले ही करीब 1000 पन्नों की पहली चार्जशीट कोर्ट में पेश कर चुकी है।

इन नए अफसरों को बनाया आरोपी
नए आरोपी अधिकारियों में यमुना अथॉरिटी के वित्त विभाग के तत्कालीन जीएम फाइनेंस एसएआर जैदी, अकाउंटेंट एमपी सिंह, मैनेजर लाजपत अरविंद मोहन और अकाउंटेंट रविकांत के नाम शामिल हैं। पुलिस ने इन चारों पर भी कई आरोप लगाए हैं और इनके खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश करने की मंजूरी मांगी जाएगी। 

कब हुआ था घोटाला
आपको बता दें कि कि यमुना अथॉरिटी ने 2011-12 में हाथरस में लगभग 42 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। इसके बदले किसानों को 7 प्रतिशत प्लॉट देने का प्रावधान था और इसके लिए अथॉरिटी को 5 हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी। आरोप है कि अधिकारियों ने जरूरत से ज्यादा करीब 14 हेक्टेयर जमीन अपने रिश्तेदारों और करीबी लोगों के नाम पर खरीदी और इसके बदले अधिक मुआवजा दिलवाया। 

बीटा-2 थाने में एफआईआर
यह मामला 2019 में बीटा-2 थाने में दर्ज हुआ था। अब इस केस की जांच में जीएसटी फ्रॉड केस में लगे पुलिस टीम के एक्सपर्ट को भी शामिल किया गया है। पुलिस ने तहसीलदार रणवीर सिंह निवासी बागपत और सुरेश चंद्र शर्मा निवासी सदरपुर दिल्ली समेत आठ अन्य के खिलाफ पहली चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। अब इस घोटाले की सूचना संबंधित विभागों और अधिकारियों के तैनाती वाले जिलों को भेजी जाएगी। जांच में कुछ और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है। 

घोटाले की गहराई
मार्च 2019 में ग्रेटर नोएडा के सेक्टर बीटा-2 कोतवाली में 29 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इन लोगों में यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन CEO पीसी गुप्ता, ACE सतीश कुमार और विशेष कार्याधिकारी वीपी सिंह शामिल थे। इस मामले की जांच अब एडीसीपी मनीष कुमार मिश्रा कर रहे हैं और कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा रहा है।

मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदी
मथुरा और हाथरस के गांवों में मास्टर प्लान से बाहर जाकर आवश्यकता से अधिक जमीन खरीदी गई थी। एक ही दिन में 30 लाख रुपये से कम के बने चेकों को एक सोची-समझी रणनीति के तहत महामेधा बैंक में खाता खुलवाकर जमा कराया गया और उसी दिन पैसा दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर दिया गया। इस घोटाले को अंजाम देने वाले कई लोगों ने हेलीकॉप्टर, आलीशान कोठियां और लग्जरी गाड़ियों में निवेश किया। लेकिन अब शासन के हाथ मजबूत हो गए हैं और उन्होंने मामले में अहम भूमिका निभाने वाले 10 तहसीलदारों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। 

SSP अजयपाल शर्मा ने पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता को किया था अरेस्ट
इस मामले में सबसे पहले गिरफ्तारी गौतमबुद्ध नगर के पूर्व SSP अजयपाल शर्मा ने की थी। उन्होंने इस घोटाले के मास्टरमाइंड और पूर्व पीसी गुप्ता को मध्य प्रदेश के दतिया से गिरफ्तार किया था। यमुना प्राधिकरण में हुआ यह घोटाला प्रशासनिक भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का एक बड़ा उदाहरण है। इस घोटाले की जांच और कार्रवाई में तेजी लाने की आवश्यकता है, जिससे भविष्य में ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति न हो और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।

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