Hapur News : गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट गंगा घाट पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। परिवार के साथ आए श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान और दान आदि कर पुण्य लाभ कमाया। घाट पर भंडारों और यज्ञ का आयोजन भी किया गया। शनिवार की रात से ही श्रद्धालु ब्रजघाट गंगा पर पहुंचने शुरू हो गए थे, और रविवार भोर के 4 बजे तक ब्रजघाट गंगा तट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
ब्रजघाट पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सादा कपड़ों में पुलिस कर्मी तैनात रहे। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बरसात से गंगा का जल स्तर बढ़ा हुआ था, इसलिए पानी की गहराई अधिक होने के स्थान पर खतरे का निशान लगाते हुए बैरीकेडिंग की गई। इससे आगे श्रद्धालुओं को स्नान के लिए नहीं जाने दिया गया। इस दौरान गंगा तट पर मेले का आयोजन भी किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सूर्योदय के साथ ही सूर्यदेव को अर्घ्य दिया गया और उपासना की गई।
गुरु पूर्णिमा का महत्व और शास्त्रों में गुरु का अर्थ
गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत खास होता है। पंचांग के अनुसार यह तिथि आषाढ़ पूर्णिमा होती है। मान्यता है कि इस दिन हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने चारों वेदों का ज्ञान दिया और पुराणों की रचना की। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में गुरु शब्द का अर्थ बताया गया है। गुरु दो अक्षरों से मिलकर बना है: 'गु' का अर्थ अंधकार से है और 'रु' का अर्थ उसे हटाने वाले से। अर्थात, जो अज्ञानता के अंधकार से हटाकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए, वही सच्चा गुरु है।
संत कबीर दास के दोहे और गुरु की महिमा
संत कबीर दास ने अपने दोहों में गुरु की महिमा का बखान करते हुए गुरुओं पर आधारित अपने प्रसिद्ध दोहे लिखे हैं। अपने दोहों में कबीर ने गुरु को ईश्वर और माता-पिता से श्रेष्ठ बताया है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर इन दोहों का विशेष महत्व होता है और श्रद्धालु इनका पाठ कर गुरुओं का सम्मान करते हैं। गुरु पूर्णिमा का यह पावन अवसर श्रद्धालुओं के लिए विशेष था, जहां उन्होंने आस्था की डुबकी लगाई, पुण्य लाभ कमाया और अपने गुरुओं का सम्मान किया। गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट गंगा घाट पर यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी बढ़ा देता है, जो श्रद्धालुओं के मन में गहरी छाप छोड़ता है।