समाजवादी सरकार में हुए लखनऊ के चर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले से जुड़े सभी लोग सीबीआई की नजर में हैं, लखनऊ के कई ठेकेदारों के साथ ही फ्रेंड इलेक्ट्रॉनिक भी जाँच में फस चुकी है। जानकारी के मुताबिक नाका हिंडोला निवासी ऋषभ ठाकुर ने रिवर फ्रंट में भ्रष्टाचार के जरिए बेशुमार दौलत कमाई है। यही कारण है कि ऋषभ पर भी सीबीआई शिकंजा कस सकती है। बता दें कि सीबीआई जांच के मुताबिक ऋषभ पर करोड़ों रुपए का गबन करने की बात भी सामने आई है। ऋषभ फिलिप्स समेत कई कंपनियों का डीलर भी है। उम्मीद है जल्द ही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ऋषभ के ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है।
बीती 5 जुलाई को सीबीआई ने लखनऊ समेत कई जगहों पर छापेमारी की थी। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है। लखनऊ, नोयडा, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा समेत कई जगहों पर छापेमारी की थी। वहीं बीती दो जुलाई को रिवर फ्रंट घोटाले मामले में 190 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है। उत्तरप्रदेश के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में करीब 40 जगहों पर सीबीआई ने एक साथ छापेमारी की है।
क्या है रिवर फ्रंट घोटाला
रिवर फ्रंट घोटाला सपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था। लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे। 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया था।
इंजीनियरों ने किया भ्रष्टाचार
गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर कई गंभीर आरोप हैं। इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है।