BIG BREAKING : अंसल बिल्डर पर UP RERA ने किया बड़ा एक्शन, 2 प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द किया

लखनऊ | 4 साल पहले | Rakesh Tyagi

Google Image | UP RERA OFFICE



यूपी रेरा ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की है। उत्तर प्रदेश रियल स्टेट विनियामक प्राधिकरण ने लखनऊ में अंसल बिल्डर के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। UP RERA ने अंसल बिल्डर के दो प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार यूपी रेरा ने इन दोनों बिल्डरों को नोटिस जारी किया था। लेकिन नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर यूपी रेरा ने अंसल बिल्डर परियोजनाओं को निरस्त कर दिया है।

यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि पंजियन के निरस्तीकरण का आर्डर एकत्रित की गई जानकारी, साइट निरीक्षण, रेरा में दर्ज  शिकायत और रेरा अधिनियम का पालन नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई है। जबकि प्राधिकरण ने पहले भी सख्त चेतावनी दी थी। यह निर्णय तब लिया गया जब हमने उन्हें नोटिस जारी करने के बाद जवाब मांगा। लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इस कदम को दूसरे के लिए चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए।

जब फॉरेंसिक ऑडिट, मेमर्स करी एंड ब्राउन के द्वारा ऑडिट किया गया। तब यह पता चला कि एस्को अकाउंट और अर्ध वार्षिक प्रोजेक्ट अकाउंट के प्रबंधन में डेवलपर द्वारा रेरा अभिनियम के तहत कई गैर अनुपालनीय कार्य किए गए हैं। प्रमोटर को परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से विकसित और वितरित करना चाहिए था।

प्रोजेक्ट में 606 करोड़ रुपये का घपला सामने आया
यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि दोनों प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। निरस्तीकरण के पश्चात होने वाली प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार से परामर्श लिया जाएगा। कंपनी प्रमोटर्स ने निरस्तीकरण नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं दिया था। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। प्राधिकरण को यह जानकारी भी मिली कि प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई हैं। करीब 606 करोड रुपए का घपला किया गया है। यह पैसा प्रोजेक्ट के खातों से निकाल कर दूसरे उद्देश्यों में डायवर्ट किया गया है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि आम आदमी से पैसा ले लिया गया और आवंटन नहीं किया गया है। जिन लोगों को घरों के आवंटन किए गए, उनके साथ किए गए एग्रीमेंट का उल्लंघन किया गया है।

बिल्डर ने रेरा के नोटिसों का जवाब ही नहीं दिया
रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा, "पंजीयन के निरस्तीकरण के लिए सूचनाएं एकत्र की गई हैं। प्रोजेक्ट की वेबसाइट का निरीक्षण किया गया है। रेरा में दर्ज शिकायतों और रेरा अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने के आधार पर यह फैसला लिया गया है। प्राधिकरण ने पहले ही बिल्डर को सख्त चेतावनी दी थी। बिल्डर को जारी किए गए नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया। बार-बार जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया। बिल्डर ने प्राधिकरण के आदेशों और शक्तियों की अवहेलना की है। यह कदम उठाने के पीछे इस तरह के दूसरे लोगों को भी चेतावनी देना है।

फोरेंसिक ऑडिट में पता लगा, पैसा डायवर्ट हुआ 
रेरा चेयरमैन ने बताया कि जब परियोजनाओं का फॉरेंसिक ऑडिट करी एंड ब्राउन से करवाया गया तो पता चला कि एसक्रो अकाउंट में भी गड़बड़ी की गई है। अर्धवार्षिक प्रोजेक्ट अकाउंट के प्रबंधन में डेवलपर ने रेरा अधिनियम के नियमों का पालन नहीं किया है। प्रमोटर ने परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से विकसित नहीं किया है। परियोजना का अनियमित रूप से और गलत ढंग से विस्तार किया गया। जिसकी वजह से संसाधनों और धन का कुप्रबंधन हुआ। यही वजह है कि परियोजना को पूरी करना चुनौती बन गया है। कुछ ऋण समझौतों में प्रमोटर ने न केवल परियोजना की जमीन को गिरवी रख दिया, बल्कि परियोजना से प्राप्त आय को भी सीमित कर दिया है। फॉरेंसिक ऑडिटर को यह भी पता चला कि परियोजना में अधिशेष धन था, जिसे परियोजना के पूरा होने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए था।

खरीदारों ने रेरा से यह 10 शिकायत की हैं
  1. प्रमोटर ने परियोजना को पूरा करने के लिए समय रेखा का पालन नहीं किया है। परियोजनाओं को पूरा करने और आवंटियों को इकाई का कब्जा सौंपने का समय पहले ही खत्म हो चुका है। 
  2. प्रमोटर ने परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने की बहुत ही अनुचित तारीख दी है। कुछ मामलों में तारीख 4 से 5 साल दूर हैं। परियोजना में कोई काम नहीं चल रहा है, इसलिए वह प्रमोटर पर परियोजना को पूरा करने के लिए दी गई संशोधित समय सीमा पर भी भरोसा नहीं कर सकते हैं। 
  3. परियोजना की स्थिति के बारे में प्रबंधन उनके प्रश्नों का जवाब नहीं देता है और न ही नई परियोजना को पूरा करने के लिए कोई ठोस कार्य योजना बनाता है। 
  4. खरीदारों ने शिकायत की है कि कब्जा देने में देरी के लिए आवंटी को दंड राशि का भुगतान करने का नियम है। बिल्डर नहीं कर रहा है। 
  5. जमा किए गए धन को वापस करने के लिए भी तैयार नहीं है। कुछ मामलों में प्रमोटर के पास परियोजना की जमीन तक नहीं है। उन्होंने आवश्यक भूमि न होने पर भी आवंटन किया। यह पूरी तरह जालसाजी और घोर लापरवाही है। 
  6. प्रमोटर ने परियोजना में निर्माण शुरू नहीं किया। इसके अलावा यूनिट के लागत मूल्य के मुकाबले एक बड़ी राशि ली है। 
  7. प्रमोटर ने केवल बिक्री करने के उद्देश्य से समझौते में कहा था कि उसके पास सक्षम प्राधिकारी से अधिग्रहित भूमि और आवश्यक अनुमोदन है। 
  8. प्रमोटर ने उनसे प्राप्त धन को अन्य गतिविधियों में लगा दिया है। उनमें से कई खरीददारों का आरोप है कि प्रमोटर ने परियोजना का पैसा कुछ अन्य मंतव्य के लिए डायवर्ट किया है। 
  9. कई शिकायत कर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने सिर पर छत की उम्मीद से परियोजना में अपनी मेहनत की कमाई लगाकर निवेश किया है। अब वह लोन की ईएमआई और मकान का किराया साथ-साथ  चुका रहे हैं। अब उनके पास न तो पैसा है और ना ही घर है। वह अपना सारा पैसा ब्याज सहित वापस चाहते हैं। 
  10. बड़ी संख्या में शिकायतकर्ताओं ने परियोजना में घोटाला करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायतकर्ता घर लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन नियत समय के भीतर कब्जे के लिए एक ठोस प्रतिबद्धता और विलंब के लिए जुर्माना भुगतान चाहते हैं।

अन्य खबरें