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दिल्ली के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी के कारण अब स्वयंसेवको को पढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा है. इनमें कुछ तो उन्हीं स्कूलों के पुराने छात्र हैं तो कुछ बिना प्रशिक्षण के पढ़ा रहे हैं.
इस व्यवस्था से सरकारी स्कूलों के टीचर्स परेशान हैं. उनका मानना है कि इससे यह संदेश जाता है कि कोई भी टीचिंग कर सकता है. एक अध्यापक ने कहा, 'यह टेंपरेरी उपाय है. इनमें से अधिकतर प्रशिक्षित नहीं है इसलिए हम उनकी टीचिंग पर भरोसानहीं कर सकते. ये सभी एक माह तक पढ़ाएंगे और इन्हें इसके लिए तनख्वाह भी नहीं मिलेगी.'