Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
महामारी से लड़ते-लड़ते राजधानी दिल्ली के डॉक्टर और अस्पताल खुद बीमारी से घिर गए हैं। सोमवार की शाम तक दिल्ली में 24 अस्पतालों के 213 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके थे। राजधानी के कई सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों के कोरोना पीड़ित होने के बाद सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। तीन सरकारी अस्पतालों को बंद करना पड़ा है। वहीं, दूसरी ओर निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाओं में आने वाले मरीजों की संख्या आधी रह गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, 95 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी ऐसे हैं, जो कोरोना वार्ड में काम नहीं कर रहे थे। दिल्ली में कोरोना संक्रमण का शिकार हुए स्वथ्यकर्मियों में 95 फीसदी ऐसे हैं, जो कोरोना वार्ड में काम नहीं कर रहे थे। दिल्ली के जिन 24 अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में आए हैं, उनमें से 15 अस्पताल ऐसे हैं जहां कोरोना के मरीजों के लिए वार्ड नहीं हैं।
एम्स की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर श्रीनिवासन का कहना है कि अन्य वार्डों में काम करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के पास उतने सुरक्षा उपकरण नहीं हैं, जितने होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सभी मरीजों की स्क्रीनिंग की जाए और सभी स्वास्थ्यकर्मी को अलग अलग टीमों में बांटकर काम कराया जाए तो इतने लोग संक्रमित नहीं होंगे। अधिकतर लोग उन मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हुए हैं जिनके बारे में यह पता नहीं था कि ये कोरोना संक्रमित हैं।
10 अस्पतालों में 5 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं
दिल्ली में 10 अस्पताल ऐसे हैं, जहां 5 या इससे अधिक स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। सबसे अधिक 59 स्वास्थ्यकर्मी बाबू जगजीवन राम अस्पताल में संक्रमित हुए हैं। इसके बाद पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल में 33 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में भी 26 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हुए थे। इसके बाद अस्पताल को कुछ दिन तक बंद करना पड़ा था। दिल्ली के रोहिणी स्थित अम्बेडकर अस्पताल में भी एक कोरोना पीड़ित महिला का इलाज करते हुए संपर्क में आने वाले 26 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट के आ गए हैं।
इन सभी अस्पतालों में किसी में भी कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए वार्ड नहीं हैं। एम्स और सफदरजंग अस्पताल में 8-8 कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। लेकिन दोनों अस्पताल के इन 16 कर्मचारियों में से सिर्फ 2 कर्मचारी ऐसे हैं, जो कोरोना वार्ड में काम करते थे। इनमें एम्स ट्रामा सेंटर में काम करने वाला एक सफाईकर्मी और सफदरजंग में पल्मनरी विभाग के एक डॉक्टर हैं, जो कोरोना वार्ड में काम कर रहे थे।
शहर के निजी अस्पतालों में इमरजेंसी के मरीज आधे हुए
दिल्ली के बड़े निजी अस्पतालों जैसे मैक्स, गंगाराम, फोर्टिस और अपोलो में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या भी आधी हो गई है। मैक्स के देशभर के अस्पतालों में 10 हजार मरीज रोज आते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 4 हजार रह गई है। अपोलो दिल्ली में 80-90 मरीज हर रोज इमरजेंसी में आते थे लेकिन अब संख्या 40 से 45 रह गई है। फोर्टिस में भी 100 से 110 मरीज आते थे वहां भी संख्या 50 रह गई है।
किस अस्पताल के कितने स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हुए हैं
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