अजयपाल शर्मा ने बहादुरी के बूते कमाया नाम लेकिन...

Tricity Today | Ajaypal Sharma IPS



अजयपाल शर्मा मतलब अपराधियों में खौफ का दूसरा नाम। अजयपाल शर्मा ने बहुत कम समय में बहादुरी के बूते नाम और भरोसा कमाया लेकिन आज इस बहादुर आईपीएस अफसर पर सबसे गम्भीर आरोप हैं, भ्रष्टाचार और महिला का शोषण। इन आरोपों से मुक्ति अजयपाल को मुक्ति मिलेगी या नहीं, यह तो वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल अजयपाल शर्मा को चाहने वाले अचरज में हैं। मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले और यूपी कैडर में 2011 बैच के आईपीएस अफसर अजयपाल शर्मा के खिलाफ गाजियाबाद की रहने वाली महिला दीप्ति शर्मा ने एफआईआर दर्ज करवाई है। दीप्ति का आरोप है कि अजयपाल शर्मा ने उससे शादी की और फिर धोखा दिया। उसे चुप करवाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज करवाए और जेल भेजा। अब मामले में शासन के आदेश पर अजयपाल शर्मा के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज करवाई गई है।

उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर का दौर दोबारा योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद शुरू हुआ। लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार में अजयपाल शर्मा बदमाशों पर अपनी गोली के दम पर हावी थे। उत्तर प्रदेश में अजयपाल शर्मा की पारी 2013 में शुरू हुई। अजय पाल शर्मा ने ट्रेनिंग पीरियड से ही बदमाशों से लोहा लेना शुरू कर दिया था। वह चर्चा में आए जब गाजियाबाद के इंदिरापुरम में चैन स्नेचिंग करने के भाग रहे बदमाशों ने पुलिस टीम पर गोलीबारी की। अजयपाल शर्मा ने भाग रहे इन बदमाशों को मुठभेड़ के बाद पकड़ लिया। इस एनकाउंटर में बदमाशों के पैर में गोली लगी थी।

गाजियाबाद में बतौर SP सिटी तैनात रहने के बाद अजयपाल शर्मा को अखिलेश यादव सरकार ने हाथरस का एसपी बनाकर भेजा। अजयपाल ने हाथरस में एनसीआर के सबसे बड़े जुआ चलाने वाले चतुर्भुज गुप्ता उर्फ चतुरा को गिरफ्तार किया और वह सुर्खियों में आ गए। हाथरस से सरकार ने अजयपाल शर्मा को शामली का पुलिस अधीक्षक बनाकर भेज दिया। शामली में अपराध को अंजाम देकर बदमाश हरियाणा भाग जाते हैं। अजयपाल शर्मा ने इस समस्या से पार पाने के लिए एक मजबूत मुखबिर सिस्टम खड़ा किया।

शामली के पुलिस अधीक्षक बनने के कुछ समय बाद ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो गया। अखिलेश यादव चुनाव हार गए और उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहले ही दिन यह साफ कर दिया कि या तो अपराधी जेल में रहेंगे या ऊपर, लेकिन प्रदेश में उनकी कोई जगह नहीं है। यूपी के विधानसभा चुनाव में शामली-कैराना से हिंदुओं का पलायन बड़ा मुद्दा बना था। लिहाजा, शामली-कैराना से पलायन रोकने के लिए वहां के कुख्यात बदमाशों का सफाया जरूरी था।

योगी सरकार का सबसे पहला एनकाउंटर किया
योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयजपाल शर्मा पर भरोसा जताया तो शानदार परिणाम आए। शामली में खौफ का दूसरा नाम बन चुका डैनी किसी अपराध को अंजाम देने आया और अजयपाल शर्मा को भनक लग गई। डैनी के आने की सूचना जैसे ही अजयपाल शर्मा को लगी उन्होंने घेराबंदी की। पुलिस टीम को देखते ही डैनी ने फायरिंग शुरू कर दी और जवाबी फायरिंग में डैनी और उसका एक साथ मारा गया। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद यह पहला एनकाउंटर था। जिसके बाद पूरे प्रदेश में अजयपाल शर्मा के नाम की चर्चाएं शुरू हो गईं।

साबिर का खौफ खत्म करने में मिली कामयाबी
इसके बाद अजयपल शर्मा के निशाने पर एक लाख रुपये का इनामी कुख्यात साबिर आ गया। साबिर की सूचना मिलते ही SP अजयपाल ने उसके घर की घेराबंदी कर दी। साबिर कई बड़ी हत्याओं में शामिल रहा था और कई पुलिस कर्मियों की भी हत्या कर चुका था। साबिर कुछ समय पहले ही कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी से फरार हुआ था। जिसके बाद उसके ऊपर इनाम बढ़कर एक लाख रुपये किया गया था। 

पुलिस ने साबिर को सरेंडर करने की चेतावनी दी। लेकिन साबिर ने अपने दोनों हाथों में पिस्टल और एके-47 से पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। अजयपाल शर्मा ने इस मुठभेड़ में खुद मोर्चा संभाला था। साबिर को मार गिराया लेकिन इस मुठभेड़ में पुलिस के जवान अंकित तोमर और कैराना के कोतवाल भगवत सिंह गुर्जर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अंकित को सिर में एक गोली लगी थी, वहीं कोतवाल भगवत सिंह को तीन गोली लगी थीं। अजय पाल शर्मा ने दोनों को नोएडा और मेरठ के बड़े अस्पतालों में एडमिट कराया। हालांकि, उपचार के दौरान फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में अंकित तोमर की मौत हो गई थी।

गौतमबुद्ध नगर के कप्तान बने और विवाद शुरू हुए
शानदार काम के दम पर अजयपाल शर्मा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मार्च में गौतमबुद्ध नगर का पुलिस कप्तान बनाया। यहां आकर अजयपाल शर्मा ने अपनी नई पहचान बनाई। जिसमें उन्होंने एक लाख रुपये के इनामी बदमाश श्रवण चौधरी को मुठभेड़ में मार गिराया था। जिसके पास से एके-47 मिली थी। इस एनकाउंटर में अजयपाल शर्मा के साथ मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने भी शामिल रहे थे। अजयपाल शर्मा ने एफबीआई और स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस के साथ मिलकर नोएडा में बड़ा ऑपरेशन किया। जिसमें नोएडा में बैठकर फर्जी कॉल सेंटरों के जरिए यूरोप और अमेरिका में ठगी करने वाले करीब 500 लोगों को जेल का रास्ता दिखाया। लेकिन, गौतमबुद्ध नगर की पोस्टिंग के दौरान ही वह विवादों में घिर गए। तमाम आरोपों के चलते सरकार ने उनका तबादला कर दिया।

गाजियाबाद की एडवोकेट दीप्ति शर्मा से कथित शादी और धोखे के आरोप
गौतमबुद्ध नगर आते ही गाजियाबाद की एडवोकेट दीप्ति शर्मा ने अजयपाल शर्मा के खिलाफ शिकायत करनी शुरू कर दीं। दीप्ति का कहना है कि अजयपाल शर्मा ने गाजियाबाद में एसपी सिटी रहते हुए उससे शादी की थी। उसके पास शादी के दस्तावेज हैं। अब अजयपाल शर्मा उससे पीछा छुड़ाने के लिए उसे फंसा रहे हैं। यह मामला शासन तक गया। जांच शुरू हुई और अंततः अजयपाल शर्मा को गौतमबुद्ध नगर से हटा दिया गया।

रामपुर में बतौर एसपी फिर की शानदार वापसी
गौतमबुद्ध नगर से हटाए जाने के कुछ दिन बाद ही अजयपाल शर्मा ने रामपुर के कप्तान के तौर पर फिर वापसी की। अब अजयपाल शर्मा फील्ड में हो और बदमाश धूल न चाटें, यह हो ही नहीं सकता। अजयपाल शर्मा की मुठभेड़ इस बार एक बच्ची से रेप करने वाले से हुई और उसे गोली लगी। यह घटना पूरे देश में छा गई। अजयपाल शर्मा को बहुत प्रशंसा मिली। खासतौर से पूरे देश में महिलाओं ने उनके इस कदम का स्वागत किया। इसके बाद समाजवादी पार्टी सरकार में कद्दावर मंत्री मोहम्मद आजम खां और उनके परिवार पर एक के बाद एक 50 एफआईआर अजयपाल शर्मा ने दर्ज करवाईं। रामपुर में कई और घटनाओं में अजयपाल शर्मा ने शानदार काम किया।

आईपीएस वैभव कृष्ण के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा
सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन इसी बीच गौतमबुद्ध नगर में पत्रकार फिर जेल गए। दरअसल, अजयपाल शर्मा जब गौतमबुद्ध नगर के कप्तान थे तो उनके सीनियर वैभव कृष्ण गाजियाबाद के कप्तान थे। वैभव कृष्ण को सरकार ने अचानक गाजियाबाद से हटाकर इलाहाबाद में पुलिस निदेशालय अटैच कर दिया। फिर करीब 15 दिन बाद जब अजयपाल शर्मा को गौतमबुद्ध नगर से हटाया गया तो वैभव कृष्ण की उनकी जगह भेज दिया गया। इस दौरान यह चर्चा आम हो गई कि दोनों अफसरों में तनातनी चल रही है। एसएसपी वैभव कृष्णा ने अजय पाल शर्मा पर गम्भीर आरोप लगाते हुए शासन से शिकायत की थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच का आदेश दिया। एसआईटी का गठन किया गया और फरवरी में जांच पूरी करके एसआईटी ने सीएम को रिपोर्ट दी। अब इस मामले में शासन को कार्रवाई का निर्णय लेना है।

इस मामले में हुई अजयपाल शर्मा के खिलाफ जांच
गौतमबुद्ध नगर में एसएसपी रहते हुए IPS अजयपाल शर्मा पर कुछ पत्रकारों के साथ सांठगांठ करके पोस्टिंग और मुकदमों में जांच से जुड़ी गड़बड़ियां करने के आरोप भी लगाए गए। दरअसल, अजयपाल शर्मा का गौतमबुद्ध नगर से तबादला हो गया और उनकी जगह शासन ने वैभव कृष्ण को कप्तान बनाकर भेजा। वैभव कृष्ण ने एक इन्स्पेक्टर और कुछ पत्रकारों को रंगे हाथों गिरफ्तार करके जेल भेजा। उनके मोबाइल फोन से बरामद डेटा के आधार पर वैभव कृष्ण ने डीजीपी और शासन से शिकायत की। मामले में जांच नहीं हुई। शासन में वैभव कृष्ण की रिपोर्ट को दबा लिया गया। दूसरी ओर वैभव कृष्ण की एक वीडियो वायरल कर दी गई।

जिसके बाद वैभव कृष्ण ने इस मामले में पत्रकार वार्ता की। इसी दौरान उनकी ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई। जिसके चलते उन्हें तत्कालीन डीजीपी ने कोड ऑफ कंडक्ट तोड़ने का दोषी बताते हुए निलम्बित कर दिया। लेकिन, मामला नेशनल मीडिया में आ गया तो खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैभव कृष्ण की रिपोर्ट तलब कर ली। इस रिपोर्ट में यूपी के 5 आईपीएस अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। सीएम के आदेश पर एसआईटी गठित कर दी गई। एसआईटी ने 3 आईपीएस अफसरों को क्लीन चिट दी है। 

अभी एसआईटी की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई होती उससे पहले ही रविवार को लखनऊ के हजरतगंज थाने में दीप्ति शर्मा की शिकायत पर अजयपाल शर्मा, एक इन्स्पेक्टर, एक पत्रकार और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर क्राइम नंबर 101/2020 दर्ज करवाई है। जिसमें डॉ. अजयपाल शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 201, 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अजयपाल शर्मा पर आईपीसी की धाराओं 409 (गबन), 201 (साक्ष्य छिपाना) और 120B (आपराधिक षड्यंत्र) के आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ है।

कुल मिलाकर एक बहादुर पुलिस अफसर डॉ. अजयपाल शर्मा का इस तरह विवादों में घिर जाना उनके करियर के लिए बड़ा धक्का है। वह जिन जिलों में रहे वहां बड़ी संख्या में उनको पसंद करने वाले हैं। इस घटनाक्रम से निःसन्देह लोगों को झटका लगेगा।

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