आम्रपाली ग्रुप के निदेशक अनिल शर्मा और शिव प्रिया गिरफ्तार, ग्रेटर नोएडा के फ्लैट खरीदारों की शिकायत पर हुई कार्रवाई

Google Image | आम्रपाली ग्रुप के निदेशक अनिल शर्मा



आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा और निदेशक शिव प्रिया को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने और धन का गबन करने के आरोप हैं। दोनों लोगों पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा अब तक करीब 38 मुकदमे दर्ज कर चुकी है। इन्हीं में से 2 मामलों में गुरुवार को गिरफ्तारी की गई है। हालांकि, अनिल शर्मा और शिव प्रिया अभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। आर्थिक अपराध शाखा ने दोनों को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया है।

आम्रपाली ग्रुप के निदेशक अनिल शर्मा और शिव प्रिया को धोखाधड़ी के दो नए मामलों में दिल्ली पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गिरफ्तार किया है। ईओडब्ल्यू पहले से ही रियल एस्टेट मानदंड के खिलाफ समान प्रकृति के 14 अन्य मामलों की जांच कर रहा है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त ओपी मिश्रा ने खुलासा किया है कि दोनों मामलों में गिरफ्तार किया गया है। पहला मामला 169 होम बॉयर्स द्वारा दायर की गई शिकायत से संबंधित है। जिन्होंने ग्रेटर नोएडा के आम्रपाली सेंचुरियन पार्क टेरेस होम में अपने 2, 3 या 4 बीएचके फ्लैट बुक किए थे। वर्ष 2019 में दायर शिकायत में कहा गया है कि आम्रपाली समूह वादा किए गए घरों को वितरित करने में विफल रहा है। साथ ही निवेश किए गए धन को वापस नहीं किया है।

दूसरा मामला ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली गोल्फ होम्स परियोजना से भी जुड़ा है। होमबॉयर्स का आरोप है कि रियल एस्टेट कंपनी ने 2014 तक परियोजना के वितरण का वादा किया था, लेकिन यह अभी भी अधूरा है। होमबॉयर्स ने कहा है कि परियोजना के वितरण में देरी के कारण उन्हें पर्याप्त वित्तीय नुकसान हुआ है। दोनों आरोपी पहले से ही अन्य मामलों के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अब उन्हें दो नए मामलों में गिरफ्तार किया है।

आपको बता दें कि आम्रपाली समूह ने वर्ष 2007 से लेकर 2013 तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 22 आवासीय परियोजनाएं लांच की थीं। इन परियोजनाओं में करीब 45,000 फ्लैट खरीददार फंसे हुए हैं। फ्लैट खरीदारों ने वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अनिल शर्मा और उनके सहयोगियों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। अंततः इन लोगों की धोखाधड़ी, जालसाजी और तमाम दूसरे आपराधिक कृत्य खुलकर सामने आए। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह की कंपनियों का फॉरेंसिक ऑडिट कराया। जिससे पता चला कि इन लोगों ने मिलकर हजारों करोड रुपए इधर से उधर किए हैं। यह पैसा फ्लैट खरीदारों से लिया गया था। 

जांच में पता लगा कि फ्लैट खरीदारों के पैसे से दूसरी कंपनियां खड़ी की और संपत्तियां अर्जित की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के सभी निदेशकों की संपत्तियां जब्त करके नीलाम करने का आदेश दिया। नीलामी प्रक्रिया चल रही है। दूसरी ओर आम्रपाली समूह की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन को सौंप दिया गया है।

एनबीसीसी ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अधूरी पड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई समय सीमा के आधार पर अगले 3 महीनों से लेकर 2 वर्षों में सभी लंबित परियोजनाएं पूरी करके फ्लैट खरीदारों को उनके घर सौंप दिए जाएंगे। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस आम्रपाली समूह के चेयरमैन अनिल शर्मा और बाकी डायरेक्टर बोर्ड के खिलाफ खरीदारों की ओर से दर्ज करवाए गए मुकदमों की जांच कर रही है। अब इन्हीं मामलों में चार्जशीट दाखिल हो रही हैं। पुलिस पूछताछ के लिए अनिल शर्मा और उनके सहयोगियों को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर रही है।

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