Google Image | Allahabad High Court
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के घंटों बाद भी डॉक्टर कफील की मथुरा जेल से रिहाई देर शाम तक नहीं हो सकी। कफील को फिर से किसी और इल्जाम में फंसाने की साजिश से आशंकित परिजन ने बुधवार को उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने का फैसला किया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने कफील को तत्काल रिहा करने के आदेश दिये थे। कफील संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत करीब साढ़े सात महीने से मथुरा जेल में बंद हैं।
आदेश के बाद कफील के परिजन उनकी रिहाई के लिये मथुरा जेल पहुंचे लेकिन अधिकारियों ने आदेश न मिलने का हवाला देते हुए उन्हें रिहा करने से इनकार कर दिया। कफील के भाई अदील खां ने 'भाषा' से बातचीत में अधिकारियों पर टालमटोल का आरोप लगाते हुए आशंका जतायी कि कहीं प्रशासन उनके भाई को किसी और इल्जाम में फंसाने की साजिश तो नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर आज कफील को जेल से रिहा नहीं किया गया तो वह बुधवार को उच्च न्यायालय में अवमानना की याचिका दाखिल करेंगे। अदील के मुताबिक मथुरा जेल प्रशासन का कहना है कि वह उच्च न्यायालय को नहीं बल्कि जिलाधिकारी के आदेश को मानता है, जब तक जिलाधिकारी नहीं कहेंगे तब तक रिहाई नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की तरफ से आदेश जारी किये जाने के फौरन बाद ही मथुरा जेल प्रशासन और अलीगढ़ तथा मथुरा के जिलाधिकारी को ई—मेल के जरिये आदेश भेजकर कफील को फौरन रिहा करने को कहा था, मगर इसके बावजूद प्रशासन आदेश न मिलने का बहाना बना रहा है। अदील ने कहा कि उच्च न्यायालय प्रशासन ने कई कर्मियों के कोविड—19 संक्रमित होने के बाद गत 15 अगस्त को एक सर्कुलर जारी करके कहा था कि अब उसके द्वारा कोई भी अदालती आदेश कागज के बजाय ईमेल के जरिये ही भेजा जाएगा।
इस बीच मथुरा के जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र ने कहा कि उच्च न्यायालय का जो भी आदेश होगा, उसका समुचित अनुपालन किया जाएगा। चूंकि कफील पर रासुका की कार्यवाही अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने की थी, लिहाजा रिहाई के बारे में उनसे बात की जाए। मथुरा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेन्द्र कुमार मैत्रेय का कहना है कि उन्हें अदालत का आदेश अभी तक नहीं मिला है।
उधर, अलीगढ़ के जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह से कई बार बात करने की कोशिश की गयी लेकिन बात नहीं हो सकी। कफील के वकील इरफान गाजी का आरोप है कि उन्होंने रिहाई सम्बन्धी कार्यवाही कराने के लिये अलीगढ़ के जिलाधिकारी से मुलाकात की घंटों कोशिश की मगर वह कभी किसी बैठक में शामिल होने या फिर कोई और बात का हवाला देकर उनसे नहीं मिले।
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मरीज बच्चों की मौत के मामले से चर्चा में आये डॉक्टर कफील खान को पिछले साल दिसम्बर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए के विरोध में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इस साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मथुरा जेल भेजा गया था। फरवरी में उन्हें अदालत से जमानत मिल गयी थी, मगर जेल से रिहा होने से ऐन पहले 13 फरवरी को उन पर रासुका के तहत कार्यवाही कर दी गयी थी, जिसके बाद से वह जेल में हैं।
कफील की रासुका अवधि गत छह मई को तीन माह के लिये बढ़ाया गया था। गत 16 अगस्त को अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गत 15 अगस्त को उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिये और बढ़ा दी थी।
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