गाजियाबाद जिला प्रशासन का दावा- वाल्मीकि समाज के लोगों ने नहीं किया धर्मांतरण, अफवाह फैलाने वालों पर एफआईआर दर्ज

Social Media | वाल्मीकि समाज के लोगों द्वारा धर्मांतरण की बात के साथ सोशल मिडिया पर यह फोटो वायरल हो रहा है



हाथरस कांड से कुपित होकर गाजियाबाद में वाल्मीकि समाज के 50 परिवारों ने धर्मांतरण कर लिया है। यह सूचना बुधवार को सोशल मीडिया और तमाम समाचार माध्यमों पर प्रसारित हुई थी। जिसके बाद गाजियाबाद के जिलाधिकारी डॉ. अजय शंकर पांडे ने अपर जिलाधिकारी (नगर) और पुलिस अधिकारियों की टीम जांच के लिए करहेड़ा भेजी थी।

बुधवार की देर शाम एडीएम सिटी ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी। जिसमें बताया गया है कि धर्मांतरण जैसी कोई घटना नहीं हुई है। यह पूरी तरह अफवाह है। वहीं, देर रात वाल्मीकि समाज के एक व्यक्ति की ओर से इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई गई है। जिसमें उनका कहना है कि अफवाह उड़ाकर उत्तर प्रदेश सरकार की छवि को खराब किया जा रहा है।

गाजियाबाद के अपर जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि करहेड़ा में 230 लोगों के धर्मांतरण से जुड़ा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हुआ है। धर्म परिवर्तन संबंधी जो प्रमाण पत्र देखने को मिले हैं, उनमें से अधिकांश पर न तो किसी का नाम और न सही एड्रेस है। इन प्रमाण पत्रों पर क्रमांक नंबर और प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि भी अंकित नहीं की गई है। कोई सदस्यता पंजीकरण संख्या भी नहीं लिखी गई है। कुछ प्रमाण पत्र सादे हैं। जिसमें किसी का भी नाम उसकी सहमति के बिना लिखवाया जा सकता है। एडीएम का कहना है कि इस क्षेत्र के निवासियों ने केवल स्थानीय विषयों के समाधान कराए जाने के लिए हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रस्तुत किया है। जिसमें धर्मांतरण का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। मौके पर सतर्क दृष्टि रखी जा रही है। ज्ञापन में उल्लिखित समस्याओं के समाधान पर शीघ्र कार्रवाई का निर्णय लिया गया है।

दूसरी ओर धर्म परिवर्तन के इस कथित मामले को लेकर साहिबाबाद थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। यह एफआईआर एक स्थानीय निवासी मोंटू वाल्मीकि की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की है। मोंटू वाल्मीकि का आरोप है कि 236 लोगों के धर्म परिवर्तन की अफवाह उड़ाई गई है। इससे उत्तर प्रदेश सरकार की छवि खराब की जा रही है। बुधवार की आधी रात 12:30 बजे यह एफआईआर पुलिस ने दर्ज की है।

आपको बता दें कि बुधवार को जानकारी मिली थी कि गाजियाबाद के करहेड़ा इलाके में रहने वाले वाल्मीकि समाज के 236 लोगों ने एकजुट होकर बाबा साहब अंबेडकर के पर पोते राजरत्न अंबेडकर की मौजूदगी में 14 अक्टूबर को बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। बताया जा रहा था कि यह परिवार हाथरस कांड से काफी ज्यादा आहत होकर अपना हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाया था। 

कथिततौर पर बीती 14 अक्टूबर का एक वीडियो भी सामने आया था कि जिसमें राजरत्न आंबेडकर बौद्ध धर्म की दीक्षा इन लोगों को दे रहे हैं। इसी दौरान इन लोगों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया, इन सभी 50 परिवारों को भारतीय बौद्ध महासभा की तरफ से प्रमाण पत्र भी जारी किए गए हैं। हाथों में या प्रमाण पत्र लेकर इन लोगों ने फोटो खिंचवाई और यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी।

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