Tricity Today | ट्वीटर पर #WaiveSchoolFee ने ट्रेंड किया
स्कूल फीस घटाने का मुद्दा शनिवार को एकबार फिर सोशल मीडिया पर छाया रहा। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में अभिभावकों ने ट्विटर पर हैशटैग #WaiveSchoolFee को ट्रेंड करवाया। दिल्ली-एनसीआर के लिए यह हैशटैग पहले नंबर तक पहुंच गया। अभिभावकों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी चीफ मिनिस्टर डॉ दिनेश शर्मा समेत सांसद और विधायकों को टैग करके हजारों ट्वीट किए हैं।
अभिषेक कुमार आगे कहते हैं, "आने वाले शिक्षण सत्र में बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल है। लगभग पूरा साल ऑनलाइन क्लासेज ही चलेंगे। ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर फीस, डेवलपमेंट फीस और तमाम दूसरी तरह के मदों में पैसा लेने का कोई औचित्य नहीं बनता है। सरकार को पूरा शुल्क खत्म कर देना चाहिए। शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन बहुत आसानी से दिया जा सकता है।"
अभिषेक कुमार आगे कहते हैं, "आने वाले शिक्षण सत्र में बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल है। लगभग पूरा साल ऑनलाइन क्लासेज ही चलेंगे। ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर फीस, डेवलपमेंट फीस और तमाम दूसरी तरह के मदों में पैसा लेने का कोई औचित्य नहीं बनता है। सरकार पूरा शुल्क खत्म कर देनी चाहिए। शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन बहुत आसानी से दिया जा सकता है।"
मनीष कुमार का कहना है, "प्राइवेट स्कूलों को नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर चलने वाली सामाजिक संस्थाएं संचालित कर रही हैं। इन संस्थाओं के पास करोड़ों रुपए की एफडीआर बैंकों में हैं। जब हर साल स्कूलों ने मुनाफा कमाया है तो अगर 1 साल फीस घटा कर लेंगे तो कौन सा नुकसान हो जाएगा। सरकार की कोई साफ नीति नहीं है। पिछले 1 महीने में उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 शासनादेश जारी किए हैं। लेकिन तीनों ही शासनादेश अभिभावकों के लिए बेमायने हैं। उनसे से आम आदमी को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।"
मनीष ने कहा, "सरकार कह रही है कि तालाबंदी के दौरान फीस मत दो, आगे आने वाले महीनों में देने की छूट दे रहे हैं। यह कहां का तुक है। 3 महीने बाद एकसाथ 6 महीने की फीस देना तो अभिभावक के लिए और मुश्किल हो जाएगा। सरकार को हम लोगों की बात सुननी चाहिए और कम से कम आधी फीस खत्म कर देनी चाहिए।"
नोएडा ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के महासचिव मनोज कटारिया का कहना है कि पिछले एक दशक से हम स्कूलों का यही रोना सुन रहे हैं। कभी कोई स्कूल फायदे में नहीं रहता। स्कूल मैनेजमेंट अभिभावकों से मिलने वाली फीस को इस तरह मैनेज करते हैं कि स्कूलों को हमेशा घाटे में ही दिखाया जा सके। जिससे जब कभी भी अभिभावकों की तरफ से कोई दबाव बनाया जाए तो सरकार अभिभावकों की बजाय स्कूलों की तरफ ही खड़ी हो। अगर अभिभावक कोर्ट में जाएं तो वहां भी ऐसे दस्तावेज पेश करने के लिए मैनेजमेंट के पास उपलब्ध हैं, जो यह साबित कर सकते हैं कि स्कूल मुनाफे में नहीं चल रहे हैं। सरकार को सारे स्कूलों का ऑडिट करवाना चाहिए। जिससे पता चलेगा कि यह लोग किस तरह अनाप-शनाप मदों में पैसा खर्च कर रहे हैं।
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