Tricity Today | Irrfan Khan
इरफान जितने गंभीर दिखते हैं, उतने हैं नहीं। एक मुलाकात में फ़िल्म फेयर के सीनियर असिस्टेंट एडिटर रघुवेन्द्र सिंह ने उनके व्यक्तित्व, जीवन एवं सफर के रोचक पहलुओं को जाना। रघुवेन्द्र सिंह की इरफान से हुई बातचीत को हम यहां साभार यथाववत प्रकाशित कर रहे हैं।
यह इरफान साहब को हमारी श्रद्धांजलि है। वह साहेबजादे इरफान अली खान से इरफान खुद बने। हम उन्हें इरफान साहब कहना चाहते हैं।
बीता साल इरफान के नाम रहा। पान सिंह तोमर (हिंदी) और लाइफ ऑफ पाय (अंग्रेजी) फिल्मों के जरिए उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहना बटोरी। पान सिंह तोमर के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड हासिल किया। अभिनय के मामले में उन्होंने ऐसा स्तर कायम कर लिया है, जिसकी अब मिसाल दी जाती है। यह बात अब स्वयं इस धुरंधर कलाकार के लिए चुनौती बन चुकी है। इसीलिए उनके अंदर के अभिनेता की भूख और बढ़ गई है। वह नित कुछ नया तलाश रहे हैं।
पंद्रह साल के अभिनय करियर में इरफान निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं। जयपुर के खजुरिया गांव (टोंक जिला) के इस शख्स की यात्रा तिरस्कार, संघर्ष और पुरस्कार से भरी रही है। लेकिन उनमें कड़वाहट नहीं आई है। बल्कि, अवसर और स्थान देने के लिए वह इंडस्ट्री के आभारी हैं। लेकिन उन्हें एक बात का अफसोस है। ''मैंने बचपन में ऊपर वाले से एक गलत दुआ मांग ली थी। मैंने कहा कि मुझे एक अच्छा अभिनेता बना दे, लेकिन मैंने पैसा नहीं मांगा। अब एक्टिंग तो मुझे आ गई, लेकिन पैसा नहीं मिल रहा है। कहकर इरफान जोर का ठहाका लगाते हैं। पढ़िए इरफान से यह रोचक बातचीत...
(इंटरव्यू की प्रस्तावना में कोई बदलाव नहीं किया गया है।)