Google Image | इकबाल अंसारी
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष के मुख्य मुद्दई रहे इकबाल अंसारी ने आगामी पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन समारोह में भाग लेंगे।
का न्योता कुबूल करते हुए कहा है कि जो होना था वह हो चुका है और अब हम सभी को आगे की राह देखनी चाहिए। अंसारी ने सोमवार को 'भाषा' से विशेष बातचीत में कहा "हमें (मंदिर भूमि पूजन) का निमंत्रण आया है। हम उसमें शिरकत करेंगे। हमने यही बात मीडिया में पहले भी कही थी कि अगर हमारी जरूरत है और आप हमें बुलाते हैं तो हम जाएंगे।"
इस सवाल पर कि क्या वह कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कोई मांग करेंगे, उन्होंने कहा कि हमें अब किसी से कुछ नहीं मांगना है। जो होना था वह हो चुका। अब हमें भविष्य की तरफ देखना चाहिए। अयोध्या में विकास की गंगा बहाने के सरकार के आश्वासनों पर अंसारी ने कहा "ग़ैब (भविष्य) की बातें तो अल्लाह ही जानता है। अयोध्या में बहुत सी कमियां हैं। तमाम गरीबी है। यहां हर चीज की कमी है। अब मंदिर बनने के बाद यहां का विकास होगा या नहीं, यह तो अल्लाह ही बेहतर जानता है।"
उन्होंने कहा "अयोध्या में हर तीन महीने के बाद लाखों आदमी आता है, मगर इसके बावजूद आज तक तरक्की नहीं हो पाई।" भूमि पूजन को लेकर अयोध्या वासियों में व्याप्त उत्साह के बारे में पूछे जाने पर अंसारी ने कहा "फिलहाल अयोध्या में बहुत सन्नाटा है। हर तरफ पुलिस का पहरा है। श्रद्धालुओं को भूमि पूजन कार्यक्रम का दीदार करने के लिए नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। हो सकता है कि कोरोना के कारण एहतियात ज्यादा बरती जा रही हो।"
उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा "जहां तक अयोध्या का सवाल है तो यहां बुरे से बुरे वक्त में भी अमन चैन कायम रहा। यहां हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कभी कोई तनाव नहीं रहा।"
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अन्य मुस्लिम पक्षकारों के प्रति खिन्नता जाहिर करते हुए अंसारी ने कहा " अदालतों में जो भी हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा। बाद में उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला भी सुना दिया। उसके आगे अब हमें ना तो कुछ कहना है, ना करना है, क्योंकि हम लोगों ने देखा है कि जब मध्यस्थता की बात आई थी तो कौन क्या कर रहा था।"
अंसारी ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मिली जमीन पर मस्जिद बनाए जाने संबंधी सवाल पर कहा "वहां पहले से ही 22 मस्जिदें मौजूद हैं। हम पहले ही यह बात कह रहे थे और अब भी कह रहे हैं कि वहां मस्जिद की जरूरत नहीं है।"
उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोई तामीर का काम नहीं करेगा, वह सिर्फ राजनीति कर रहा है। वह तो बस हकदार बन बैठा है। बोर्ड के पास पैसा ही नहीं है कि वह मस्जिद, रिसर्च सेंटर और अस्पताल वगैरह बनाए।
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