Tricity Today | उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठक के दौरान
देश के इतिहास में पहली बार कोरोना वायरस ने कई ऐसी घटनाओं को जन्म दिया है, जो सोच से भी परे हैं। मसलन, देश में पहली बार रेल रोकी गई। मेरठ के नौचंदी जैसे मेले का आयोजन रद्द करना पड़ा। अब पौराणिक काल से चली आ रही कावड़ यात्रा भी इस साल नहीं होगी। शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक करके यह फैसला लिया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार की शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। तीनों मुख्यमंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कावड़ यात्रा पर विचार विमर्श किया। जिसके बाद तीनों में सहमति बनी कि इस साल कावड़ यात्रा का आयोजन नहीं किया जाएगा। दरअसल करीब डेढ़ करोड़ शिवभक्त तीनों राज्यों से कावड़ यात्रा में भाग लेते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस का संक्रमण बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों ने तय किया है कि कोरोना महामारी के बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष कांवड़ यात्रा को स्थगित करने में ही समझदारी है। कांवड़ संघों और संत महात्माओं की ओर से भी यही प्रस्ताव आया है। इस बैठक में तीनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। तीनों मुख्यमंत्रियों की इस चर्चा में तय हुआ कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि लोगों की भीड़ इकट्ठी नहीं कि जाए। हालांकि, स्थानीय स्तर पर निर्धारित गाइडलाइंस का पालन करते हुए लोग जलाभिषेक कर सकते हैं। जल्द ही इस सबंध में राजस्थान, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ भी चर्चा होगी।
आपको बता दें कि पौराणिक काल से उत्तर भारत में कावड़ यात्रा का धार्मिक महत्व है। शैव संप्रदाय को मानने वाले करोड़ों लोग हरिद्वार के अलावा कई और स्थानों से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने के लिए गंगाजल लेकर पदयात्रा करते हैं। श्रावण मास में महाशिवरात्रि के दिन गंगा जल से भगवान शंकर का जलाभिषेक किया जाता है। अकेले हरिद्वार और गंगोत्री से करीब डेढ़ करोड़ कांवड़ यात्री उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान तक सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा करते हैं।
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