Tricity Today | UP RERA Office Greater Noida
UP RERA NEWS: नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण और गाजियाबाद समेत पूरे उत्तर प्रदेश के लाखों फ्लैट खरीदारों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। घर मिलने का इंतजार लगातार लंबा होता जा रहा है। अब एक बार फिर घरों की डिलीवरी मिलने की समय सीमा एक साल ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। मतलब, जिन घर खरीददारों को मार्च 2021 तक घरों पर कब्जा मिलना था, उन्हें अब मार्च 2022 तक घरों का कब्जा दिया जाएगा। इसी तरह सभी घरों के मिलने की समय सीमा एक 1 साल बड़े जाएगी।
दरअसल, कोरोना वायरस के चलते रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर काम बंद पड़ा है। ऐसे में बिल्डरों ने उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) को पत्र लिखकर काम पूरा करने की समय सीमा कम से कम एक साल और बढ़ाने की मांग की है। यहां बताना लाजिमी होगा कि यूपी रेरा इससे पहले बीते मई के महीने में यह समय सीमा 6 महीने पहले ही बड़ा चुका है।
एक बार फिर बिल्डरों ने यूपी रेरा से घरों को बनाकर देने की समय सीमा एक वर्ष बढ़ाने की मांग की है। बिल्डरों की संस्था नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नरेडको) ने यह मांग रखी है। संस्था की ओर से दिए गए प्रत्यावेदन पर यूपी रेरा जल्दी ही फैसला लेगा। उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट डेवलपर्स का कहना है कि विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के चलते करीब 5 महीनों से रियल स्टेट प्रोजेक्ट ठप पड़े हुए हैं। बिल्डरों की तमाम कोशिशों के बावजूद दोबारा काम शुरू नहीं हो पा रहे हैं। जिन परियोजनाओं पर काम शुरू हुए हैं, उनकी रफ्तार बेहद धीमी है।
नरेडको के यूपी चैप्टर ने उत्तर प्रदेश रेरा को पत्र लिखा है। संस्था का कहना है कि काम थमने के कारण अब घरों को पूरा करने में करीब 18 महीने और ज्यादा वक्त लगेगा। इससे पहले बिल्डरों की ओर से यूपी रेरा को एक और प्रत्यावेदन दिया गया था। जिसमें लॉकडाउन का हवाला देते हुए घरों को पूरा करने का वक्त बढ़ाने की मांग की गई थी। उस प्रत्यावेदन पर संज्ञान लेते हुए मई के महीने में यूपी रेरा में पंजीकृत आवासीय योजनाओं को पूरा करने की समय सीमा 6 महीने बढ़ा दी थी।
यूपी नरेडको के अध्यक्ष आरके अरोड़ा ने कहा, "महामारी लगातार बढ़ती जा रही है। संक्रमण घटने की बजाय दिनोंदिन बढ़ रहा है। अभी महामारी खत्म होने की कोई संभावना नहीं है। लिहाजा, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में काम करने वाले मजदूर अपने घरों से वापस लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद निर्माण रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। लॉकडाउन की पाबंदियों से स्थितियां बहुत बिगड़ गई हैं।" इन हालातों के चलते विगत 20 मई को यूपी रेरा ने लंबित परियोजनाओं को पूरा करने की समय सीमा 6 महीने बढ़ा दी थी।
आपको बता दें कि यह राहत पूरे उत्तर प्रदेश के बिल्डरों को कोविड-19 संक्रमण की वजह से दी गई। अब एक बार फिर यूपी नरेडको ने समय सीमा एक साल और बढ़ाने की मांग की है। सुपरटेक के चेयरमैन और नरेडको यूपी के अध्यक्ष आरके अरोड़ा का कहना है कि सामान्य रूप से परियोजना पर काम शुरू करने के लिए मजदूरों को वापस लाने की जरूरत है। निर्माण कार्यों के लिए जरूरी कच्चा माल उपलब्ध नहीं है। पर्याप्त संख्या में मजदूर और कच्चा माल उपलब्ध होने तक निर्माण आवश्यक गति से नहीं होगा। यही वजह है कि हमने यूपी रेरा को परियोजनाएं पूरी करने का समय बढ़ाने की मांग की है।
कुल मिलाकर बिल्डरों की इस मांग के चलते यह तो तय है कि समय पर खरीदारों को उनके घर नहीं मिलने वाले हैं। कोविड-19 संक्रमण के कारण रियल एस्टेट प्रोजेक्ट लटके हुए हैं। बिल्डर काम नहीं कर पा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि तीन तरह की समस्याएं बिल्डरों के सामने हैं। पहली समस्या मजदूरों का अभाव है। दूसरी परेशानी सप्लाई चैन का टूट जाना है। इस वक्त सीमेंट सरिया और दूसरे कंपोनेंट मार्केट में उपलब्ध नहीं हैं। तीसरी सबसे बड़ी परेशानी पैसे की लिक्विडिटी का नहीं होना है। बाजार और बैंक रियल एस्टेट सेक्टर में पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे माहौल में परियोजनाएं पूरी करना बिल्डरों के लिए टेढ़ी खीर है।
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