Social Media | गौतमबुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त आलोक सिंह और लखनऊ के आयुक्त सुजीत पांडेय।
गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को खत्म करने की अफवाहों को उत्तर प्रदेश सरकार ने विराम लगा दिया है। बुधवार की शाम लखनऊ में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में नोएडा और लखनऊ के पुलिस कमिश्नर को और शक्तिशाली बनाया गया है। अब जिले में गनर, शैडो और गारद मुहैया कराने का अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होगा पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में ही जिले की सुरक्षा समिति काम करेगी।
मंत्री परिषद के कार्यवृत्त पर बुधवार की देर रात शासन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जनपद गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित हो गई है। ऐसे में सुरक्षा के लिए गनर, शैडो और गारद उपलब्ध कराए जाने की नीति में बड़े बदलाव किए गए हैं। गृह विभाग की ओर से संशोधित नीति का प्रस्ताव मंत्री परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जिसे मंजूरी दे दी गई है।
डीएम या उनके प्रतिनिधि सुरक्षा समिति के सदस्य होंगे
अब नई नीति के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में सुरक्षा के लिए गनर, शैडो और गारद उपलब्ध करवाने के लिए समिति गठित की जाएगी। इस समिति के अध्यक्ष पुलिस कमिश्नर होंगे। संयुक्त पुलिस आयुक्त इसके सदस्य होंगे। जिला अधिकारी स्वयं या अपर जिलाधिकारी स्तर के अफसर को बतौर सदस्य नामित कर सकते हैं। एसीपी, इंस्पेक्टर और एलआईयू के इंस्पेक्टर इस समिति के सदस्य रहेंगे। अभी तक जिला सुरक्षा समिति के अध्यक्ष डीएम होते थे।
कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति इस तरह देगी सुरक्षा
पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित सुरक्षा समिति जिले में किसी भी व्यक्ति अथवा महानुभाव को जीवन भय के आधार पर सुरक्षा उपलब्ध करवाएगी। यह समिति जीवन भय वाले व्यक्ति को शुरुआत में 2 माह के लिए सुरक्षा देगी। दो-दो माह के लिए दो बार इस समिति को सुरक्षा आगे बढ़ाने की शक्ति दी गई है। मतलब कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति 6 माह के लिए सुरक्षा प्रदान कर सकती है। इस समिति को समय-समय पर सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा करने का अधिकार होगा। पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा को बढ़ाया, घटाया अथवा खत्म किया जा सकता है। पुलिस कमिश्नर को सुरक्षा का स्तर, सुरक्षाकर्मियों की संख्या, खर्च और समय सीमा निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है।
जीवन भय को समाप्त करने के लिए पुलिस प्रयास करेगी
व्यक्ति अथवा महानुभाव को सुरक्षा देते वक्त समिति यह स्पष्ट करेगी कि उसे सुरक्षा क्यों उपलब्ध करवाई जा रही है। उसके जीवन को क्यों भय है। सुरक्षा देने के बाद पुलिस की यह जिम्मेदारी भी होगी कि उसके जीवन भय के कारण का निराकरण किया जाए। अगर 6 माह के बाद भी उस व्यक्ति को सुरक्षा की आवश्यकता है तो पुलिस कमिश्नर शासन को रिपोर्ट भेजकर सुरक्षा आगे के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव और सिफारिश भेजें। छह महीने की सुरक्षा अवधि पूर्ण होने से पहले पुलिस कमिश्नर और उनकी समिति सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगी। इस नीति में आगे कोई भी बदलाव करने की शक्तियां मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दे दी हैं।
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