BIG BREAKING: बड़े उद्योगों के लिए गौतमबुद्ध नगर का रास्ता खुला, यूपी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, पढ़िए पूरी खबर

Tricity Today | Yogi Adityanath



उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। यह कदम लॉजिस्टिक्स पार्क और इकाइयों की स्थापना में बड़ी मदद करेगा। दरअसल, इससे लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करने की लागत कम हो जाएगी। अभी तक लॉजिस्टिक्स पार्क और हब कमर्शियल एक्टिविटी का हिस्सा हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को मिलेगा।

राज्य में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के मुद्दे पर राज्य के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक बैठक में इस प्रस्ताव को सहमति दी है। क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसर पैदा करने की अपार संभावनाएं हैं। COVID-19 लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से लौट रहे हैं। उन्हें हम अपने राज्य में काम दे सकते हैं।''

उन्होंने आगे कहा कि लॉजिस्टिक क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देकर राज्य में निवेश के लिए एक अनुकूल परिस्थिति देने का प्रयास सरकार ने किया है। यूपी के अवसंरचना और औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन ने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश में लॉजिस्टिक्स इकाइयां स्थापित करने की लागत काफी कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए, वर्तमान में अगर कृषि उपयोग की भूमि का परिवर्तन करके व्यावसायिक उपयोग करें तो सर्कल दर के 150 प्रतिशत पर यह परिवर्तन किया जाता है। जो अब सर्कल दर का केवल 35 प्रतिशत होगा। क्योंकि अब कृषि से औद्योगिक भूमि-उपयोग में परिवर्तन लागू होगा।

आलोक टण्डन ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की इकाइयों और पार्कों पर औद्योगिक भूमि उपयोग शुल्क लागू होगा। नई पहल के बारे में औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने जानकारी दी कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की औद्योगिक भूमि का उपयोग अब वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स पार्क की गतिविधियों के लिए किया जा सकेगा। यूपी वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2018 में यह प्रावधान किए जा रहे हैं। अब वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स इकाइयां औद्योगिक गतिविधि के लिए आरक्षित क्षेत्रों में संचालित की जा सकती हैं। इसके लिए भूमि आवंटन राज्य के औद्योगिक विकास प्राधिकरण करेंगे। जिसके लिए औद्योगिक भूमि की दर का 1.5 गुना भुगतान आवंटी को करना पड़ेगा। 

आलोक कुमार ने कहा, इससे इकाइयों की स्थापना लागत बहुत घट जाएगी। भूमि की लागत अब लगभग एक तिहाई तक कम हो जाएगी। इस निर्णय से राज्य की विभिन्न परियोजनाओं जैसे कि जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, अंतर्देशीय जलमार्ग, बहु-मोडल परिवहन और लॉजिस्टिक्स हब को समर्थन करने वाले निवेश आकर्षित करने की संभावना बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को मिलेगा। दरअसल, ग्रेटर नोएडा में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेलवे कॉरिडोर का हब विकसित हो रहा है  जहां लॉजिस्टिक पार्क की अपार संभावनाएं हैं।

दूसरी ओर यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण शुरू होने वाला है। इस एयरपोर्ट का उपयोग पहले चरण में यात्री विमानों के मुकाबले मालवाहक विमानों के लिए ज्यादा होगा। ऐसे में इन दोनों विकास प्राधिकरणों को नई पॉलिसी से बहुत बड़ा लाभ होने की संभावना है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार कोरोनावायरस के बाद चीन के प्रति उद्योग जगत में उत्पन्न हुई उदासीनता का लाभ उठाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। यूरोप, जापान, कोरिया, अमेरिका और एशिया के दूसरे मुल्कों की कंपनियां जो चीन से हटना चाहती हैं, सरकार उन्हें लाने का प्रयास कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसी करीब 100 कंपनियों से संपर्क भी साधा है। 

इस काम के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाकायदा एमएसएमई मिनिस्टर सिद्धार्थ नाथ सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन और औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार की टीम को लगाया हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि कोरोनावायरस के कारण उत्पन्न हुई महामारी को एक चुनौती मानते हुए अवसर में बदलने का प्रयास करना है। यह महामारी उत्तर प्रदेश को व्यापक निवेश और औद्योगिक विकास के रास्ते खोल सकती है।

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