कानपुर कांड के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलों में पुलिस के कामकाज का पता लगाने का बीड़ा उठाया है। मुख्यमंत्री के आदेश पर गृह विभाग ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में पुलिस के कामकाज की जांच-पड़ताल करने के 75 जिलों में नोडल अधिकारी भेजने का फैसला लिया है। इन अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। इस समीक्षा के दायरे में नोएडा और लखनऊ की पुलिस कमिश्नरेट भी शामिल हैं। इन सीनियर आईपीएस अफसरों में उप महानिरीक्षक से लेकर पुलिस महानिदेशक तक शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया सभी जिलों में पुलिस विभाग की समीक्षा होगी। इसके लिए सरकार ने सभी 75 जिलों के नोडल अफसर नियुक्त किए हैं। 75 जिलों के लिए 75 नोडल आईपीएस अफसर बनाए गए हैं। ये आईपीएस अफसर 2 दिन तक जिलों में रहकर समीक्षा करेंगे। आने वाले शनिवार और रविवार को सभी अफसर आवंटित जनपदों में रहेंगे। इनमें डीआईजी से लेकर एडीजी स्तर के आईपीएस अफसरों को यह जिम्मेदारी सौपी गई है।
लखनऊ और नोएडा कमिश्नरेट की समीक्षा होगी
उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी 75 जिलों में पुलिस के कामकाज की समीक्षा करने का फैसला लिया है। लिहाजा इस समीक्षा के दायरे में नोएडा और लखनऊ की पुलिस कमिश्नरेट को भी शामिल किया गया है। दोनों जिलों के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की समीक्षा अपर पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान करेंगे। नोएडा की समीक्षा संजय सिंघल को सौंपी गई है। सरकार की ओर से दिए गए 14 बिंदुओं पर ये नोडल अफसर समीक्षा करेंगे।
समीक्षा में मिलने वाला स्कोर तय करेगा अफसरों की किस्मत
सरकार की ओर से 14 बिंदु समीक्षा के लिए दिए गए हैं। नोडल अफसर जिलों में जाकर इन 14 पॉइंट्स के सापेक्ष जानकारी हासिल करेंगे। इसके बाद अपनी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव गृह को सौंपेंगे। शासन का कहना है कि नोडल अधिकारियों से मिलने वाली इन रिपोर्ट के आधार पर ही जिलों में कप्तान का भविष्य तय होगा। जिन जिलों की रिपोर्ट अच्छी नहीं होगी, वहां बड़ा फेरबदल सरकार करेगी। जिन जिलों की रिपोर्ट अच्छी आएगी, वहां तैनात अधिकारियों का खास ख्याल रखा जाएगा।
कानपुर कांड के बाद सरकार ने फैसला लिया
कानपुर में विकास दुबे के साथ हुई मुठभेड़ और उसके बाद हुई एक के बाद एक गलतियों ने सरकार का ध्यान पुलिस अधिकारियों की लापरवाही और महकमे में फैली अव्यवस्था पर खींचा है। बताया जा रहा है कि सरकार ने पूरे राज्य में पुलिस विभाग की ओवरहालिंग करने का फैसला लिया है। इसके तहत पुलिस अधिकारियों की योग्यता और संवेदनशीलता का पता लगाने का प्रयास सरकार कर रही है। जो अधिकारी सरकार के पैरामीटर पर खरे नहीं उतरेंगे, उन्हें सुधारने के लिए एक खास योजना भी बनाई जा रही है।
इन 11 बिंदुओं पर जिले में पुलिस अधिकारी समीक्षा करेंगे
सामाजिक समीकरण और शासनादेशों को दृष्टिगत रखते हुए अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की थाना स्तर पर तैनाती की गई है या नहीं।
थानाध्यक्ष और अन्य कर्मचारियों की निर्धारित समयावधि के उपरांत नियमों के सापेक्ष तैनाती की समीक्षा की जाएगी।
सक्षम अधिकारी से अनुमोदित सूची के अनुसार थानाध्यक्षों की तैनाती की गई है या नहीं।
खराब छवि वाले थाना स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों की समीक्षा की जाएगी।
जनपद में बनाई गई टॉप-10 अपराधियों में नगर क्षेत्र के किसी एक थाने के टॉप टेन अपराधी, ग्रामीण क्षेत्र के एक थाने के टॉप टेन अपराधियों की सूची की समीक्षा की जाएगी।
जनपद के सक्रिय अपराधियों की सूची की समीक्षा की जाएगी। उस पर टिप्पणी भी देनी होगी।
गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई में जब्त की गई संपत्तियों के विवरण की समीक्षा और उनका आकलन किया जाएगा।
महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों और पोक्सो एक्ट के तहत पंजीकृत अपराधों की विवेचना ट्रायल और निरोधात्मक कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी। यह देखा जाएगा कि क्या जनपदीय मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में इन लोगों के बारे में चर्चा नियमित रूप से हो रही है या नहीं। क्या मॉनिटरिंग कमेटी की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं। इन बिंदुओं पर आईपीएस अधिकारी तथ्यात्मक टिप्पणी देंगे।
अभियोजन की कार्यवाही में गवाह समय से अदालतों में प्रस्तुत हो रहे हैं या नहीं हो रहे हैं। मुकदमों की पैरवी पुलिस की ओर से सही ढंग से की जा रही है या नहीं की जा रही है।
इसकी भी समीक्षा की जाएगी और आईपीएस अफसर टिप्पणी लिख कर शासन को भेजेंगे।
कोविड-19 जून को लेकर शासन की ओर से दिए गए आदेशों का पुलिस दृष्टिकोण से पालन करवाया जा रहा है या नहीं करवाया जा रहा है।
जनपद में आम जनता और सभी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा मास्क धारण किया जा रहा है, सोशल डिस्टेंसिंग के आदेशों का पालन किया जा रहा है, रात्रि कर्फ्यू और दोपहिया वाहनों पर सवारी के प्रतिबंधों का पालन करवाया जा रहा है, चेकिंग की जा रही है।