कौन जिम्मेदार : बेसिक शिक्षा परिषद की लापरवाही के भेंट चढ़े 700 छात्र, नोएडा में योगी सरकार की योजना फेल

नोएडा | 15 दिन पहले | Mayank Tawer

Google Photo | प्रतीकात्मक फोटो



Noida News : योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद के छात्रों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत प्रत्येक छात्र को वार्षिक रूप से 1200 रुपये उनके अभिभावकों के खातों में भेजने की घोषणा की गई थी। हालांकि, डीबीटी पोर्टल पर कई स्कूलों के नाम गायब होने के कारण छात्र इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर के नोएडा स्थित होशियारपुर के कंपोजिट स्कूल के लगभग 700 छात्र बेसिक शिक्षा परिषद की लापरवाही के शिकार हुए हैं। डीबीटी पोर्टल पर स्कूल का नाम अंकित न होने के कारण छात्रों का डाटा ही अपलोड नहीं किया जा सका, जिससे सत्र 2023-24 में डीबीटी योजना के लाभ से वंचित रह गए।

डीबीटी पोर्टल पर स्कूल गायब
स्कूल की प्रधानाचार्य ने विभागीय अधिकारियों को कई बार मौखिक रूप से इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन न तो शासन स्तर पर और न ही जिला स्तर पर कोई ठोस कदम उठाया गया। अभिभावकों को डीबीटी की राशि के लिए स्कूल के चक्कर काटने पड़े, लेकिन पूरे सत्र में उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। शिक्षकों का कहना है कि प्रेरणा और डीबीटी पोर्टल पर स्कूल अंकित नहीं है, इसलिए डीबीटी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। विभाग को इस संबंध में पहले ही अवगत कराया जा चुका था।

ना जाने कितने लोग जिम्मेदार
होशियारपुर बिसरख ब्लॉक के अंतर्गत है, लेकिन कंपोजिट स्कूल बनने से पहले यह जेवर ब्लॉक के स्कूलों की सूची में अंकित था। कंपोजिट होने के बाद इसे जेवर ब्लॉक की सूची से हटा दिया गया, जबकि निपुण आंकलन परीक्षा में इसे बिसरख ब्लॉक की सूची में अंकित किया गया। लेकिन प्रेरणा और डीबीटी पोर्टल पर यह स्कूल गायब है। बेसिक शिक्षा परिषद के यू डाइस पोर्टल पर होशियारपुर के दो स्कूलों को एक ही विशिष्ट संख्या दी गई है, जिससे न तो खंड शिक्षा अधिकारी और न ही एआरपी और एसआरजी इस स्कूल का निरीक्षण कर पा रहे हैं।

अभिभावकों का सरकारी की योजना से उठा विश्वास
मजदूरी करने वाले अभिभावकों को योजना का लाभ नहीं मिलने से उनका सरकार से भरोसा उठने लगा है। अभिभावक राम नरेश ने बताया कि उन्हें बच्चों के लिए ड्रेस, जूते-मोजे आदि के पैसे नहीं मिले हैं। जबकि सरकार का दावा है कि वे भेज दिए गए हैं। उन्हें उधार लेकर बच्चों के लिए ये सामान खरीदना पड़ा। अभिभावक राकेश ने बताया कि उन्होंने विभाग में कई बार शिकायत की, लेकिन आश्वासन के अलावा कोई मदद नहीं मिली। इस योजना के तहत दो जोड़ी यूनिफॉर्म के लिए 600 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये, जूते-मोजे के लिए 125 रुपये और स्कूल बैग के लिए 170 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा स्टेशनरी में चार कॉपियां, दो पेंसिल, दो रबर और दो कटर के लिए 105 रुपये दिए जाते हैं।

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