नोएडा : हेलीपोर्ट के लिए शहर वासियों को करना होगा सब्र, इन वजहों से नहीं हुआ टेंडर जारी

नोएडा | 3 साल पहले | Nitin Parashar

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो



Noida : नोएडा हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट (Noida Helicopter Project) से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। सेक्टर 151 में प्रस्तावित हेलीपैड के निर्माण के लिए नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ग्लोबल टेंडर 31 मार्च को खोल दिया है। बृहस्पतिवार को टेंडर में एक ही बिल्डर शामिल हुआ है। नियम के अनुसार एक बिडर आने पर कंपनी को काम अलाट नहीं किया जा सकता है। जल्द प्राधिकरण अब रि-टेंडर जारी करेगा। ये रीटेंडर सात दिन और तीन महीने के लिए हो सकते है। इसके लिए रि टेंडर की फाइल सीईओ के समक्ष भेजी जाएगी। 

ऋतु महेश्वरी लेगी अंतिम फैसला
जानकारी के मुताबिक, नोएडा प्राधिकरण अन्य कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए जल्द री-टेंडर जारी करेगा। दूसरी बार भी एक ही बिल्डर शामिल होने पर टेंडर देने का निर्णय का फैसला नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी की ओर से लिया जाएगा। खास बात यह है कि नोएडा हेलीपोर्ट का निर्माण भी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Jewar International Airport) की तर्ज पर किया जाएगा। नोएडा में यह देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट बनने जा रहा है।

पीपीपी मॉडल पर बनेगा हेलीपैड
अथॉरिटी का फोकस अब सेक्टर-151ए के डिवेलपमेंट पर है। इसी के चलते यहां 120 एकड़ जमीन को एनसीआर के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा। जिसमें 90 एकड़ में गोल्फ कोर्स, 20 एकड़ में स्पोर्ट्स एडवेंचर पार्क और 10 एकड़ में पीपीपी मॉडल पर हेलीपैड बनाया जाएगा। 2004 से नोएडा में हेलीपैड बनाने पर विचार चल रहा है, जिसे अब मंजूर मिल गई है। तीनों प्रॉजेक्टों के निर्माण पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हेलीपैड में कई हेलीकॉप्टर एक साथ उतरने की सुविधा होगी। शहर में बढ़ रहे मल्टिनैशनल कंपनियों के निवेश और आए दिन सीएम व पीएम का कार्यक्रम होने के चलते हर बार हेलीकॉप्टर उतारने के लिए अस्थायी व्यवस्था करनी पड़ती है। इसी जरूरत को देखते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। करीब 170 करोड़ की लागत से बनने वाले गोल्फ कोर्स के बनने से पहले ही मेंबरशिप खोलने का प्लान है। स्पोर्ट्स एडवेंचर पार्क में मनोरंजन के विभिन्न संसाधन होंगे। इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित किया जाएगा।

दुनिया का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर एमआई-172 उतर सकेगा
नोएडा हेलीपोर्ट का उपयोग बहुउद्देशीय होगा। यहां से कमर्शियल उड़ान होंगी। जिनके लिए बेल-412 हेलीकॉप्टर उपयोग होते हैं। इन हेलीकॉप्टर्स में 12 यात्री सवार हो सकते हैं। साथ-साथ वीवीआईपी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर एमआई-172 भी यहां लैंड-टेकऑफ कर सकेगा। इन हेलीकॉप्टर की क्षमता 26 यात्रियों को लाने या ले जाने की होती है। इन बड़े हेलीकॉप्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नोएडा हेलीपोर्ट का डिजाइन तैयार किया गया है।

20 यात्रियों के लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी
इस हेलीपोर्ट से लगातार 20 यात्री आवागमन कर सकेंगे। इनके लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी। टर्मिनल बिल्डिंग 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाई जाएगी। जिसमें सभी तरह की सुविधाएं होंगी। इस रिपोर्ट में 5 बेल-412 हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए पार्किंग की सुविधा रहेगी। यह रिपोर्ट आत्मनिर्भर होगा। इसमें पावर स्टेशन, फायर स्टेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और दूसरी तमाम मूल सुविधाओं का विकास किया जाएगा।

मेट्रो और एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा हेलीपोर्ट, शानदार कनेक्टिविटी होगी
शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट विकसित किया जा रहा है। इस इलाके की कनेक्टिविटी बहुत शानदार है। जिसका फायदा हेलीपोर्ट पर आने वाले यात्रियों को मिलेगा। यह हेलीपोर्ट नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन के सेक्टर-147 स्टेशन से केवल 3 किलोमीटर दूर है। यमुना एक्सप्रेसवे से दूरी 7 किलोमीटर है। नोएडा शहर से दूरी 17 किलोमीटर है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 43 किलोमीटर और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 51 किलोमीटर की दूरी है। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर के शहर मेरठ, बागपत, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कुंडली, मानेसर, पलवल, आगरा, मथुरा, हाथरस और बुलंदशहर से हेलीपोर्ट तक पहुंचना बेहद आसान होगा। इन सारे शहरों से हेलीपोर्ट की दूरी 1 से 2 घंटे में तय होती है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे से हेलीपोर्ट सटा हुआ है। आवागमन के लिए चौड़ी सड़कें उपलब्ध हैं।

हेलीपोर्ट में 50 कारों के लिए पार्किंग बनेगी
इस हेलीपोर्ट में बेल और एमआई हेलीकॉप्टर पार्क करने के लिए हैंगर और एप्रेन बनाए जाएंगे। एक हेलीपैड 52 मीटर चौड़ा और 52 मीटर लंबा होगा। इनका टैक्सीवे 10-10 मीटर लंबा-चौड़ा होगा। एक एप्रेन 170 मीटर लंबा और 52 मीटर चौड़ा होगा। ऐसे 5 एप्रेन बनाए जाएंगे। हेलीपोर्ट पर बेल और एमआई हेलीकॉप्टर्स के लिए हैंगर भी बनेगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर 15 मीटर ऊंचा होगा और यहां 50 कारों की पार्किंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

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