नोएडा में नशे का अंडरवर्ल्ड : कमिश्नरेट ने लिया बड़ा एक्शन लेकिन....

नोएडा | 3 साल पहले | Pankaj Parashar

Tricity Today | नोएडा में नशे का अंडरवर्ल्ड



Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा में नशा परेशानी का सबब बन गया है। पिछले एक सप्ताह में पुलिस ने 100 से ज्यादा युवक और युवतियों को नशा पार्टी करते पकड़ा है। कोरोना संक्रमण के कारण जिले में नाइट कर्फ्यू लागू है लेकिन 'पार्टी परिंदे' थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। नोएडा में अय्याशी करते पकड़े गए लोग पूरे दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले हैं। खासतौर से यमुना नदी के खादर इलाके में बने फार्म हॉउस इन पार्टियों के लिए ख़ास अड्डे बने हुए हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट ने पिछले एकसाल के दौरान बड़े पैमाने पर एक्शन लिया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस संगठित अपराध को खत्म करने के लिए पुलिस को योजना बनाकर काम करना पड़ेगा।

महामारी से बड़ी नशे की बीमारी
करीब डेढ़ महीने से पूरे एनसीआर में महामारी के चलते लॉकडाउन है। सबकुछ बंद था। नशे की बीमारी के शिकार इन लोगों के लिए महामारी क्या मायने रखती है? लिहाजा, 31 मई को नोएडा पुलिस ने फेस-3 इलाके में पॉश हाउसिंग सोसाइटी एटीएस पर छापा मारा। सोसाइटी में रेव पार्टी करते हुए 6 लड़कियां और 11 लड़के गिरफ्तार किए। इनमें एक विदेशी युवती भी थी।

इसके बाद 9 जून को एक्सप्रेसवे थानाक्षेत्र में नशा पार्टी पकड़ी गई। यहां एक फार्म हाउस में नाईट कर्फ्यू के दौरान नशे में चूर 16 लोगों को पुलिस ने गिराफ्तार किया। पुलिस ने बताया इन 13 युवकों में से कई दिल्ली में पढ़ने वाले छात्र हैं। तीन विदेशी युवतियां भी पकड़ी गई थीं। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।

इन छापामार कार्रवाई के बाद नोएडा के एडिशनल डीसीपी कुमार रणविजय सिंह ने बताया कि एक्सप्रेसवे पुलिस ने बीती शनिवार की रात एक फार्म हाउस पर छापा मारकर 14 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया। रविवार की रात फिर यमुना खादर के एक फार्म हाउस पर छापेमारी हुई। वहां से 61 युवक और युवतियों को गिरफ्तार किया गया। भारी मात्रा में शराब, बीयर और नशे का दूसरा सामान बरामद हुआ है।



ऑनलाइन और ऑफलाइन चल रहा धंधा
अब सवाल उठता है कि आखिर यह सब चल कैसे रहा है। यह नशे का अंडरवर्ल्ड है। सोशल मीडिया इसका सबसे आसान रास्ता बना हुआ है। फेसबुक पर क्लोज्ड और ओपन ग्रुप हैं। जहां इस मिजाज के हजारों से लेकर लाखों युवक और युवतियां जुड़े हैं। इन ग्रुप के एडमिन हर नए बंदे को जांच परखकर एंट्री देते हैं। मतलब, उसकी उम्र क्या है। करता क्या है और रहता कहां है। इसके बाद इन ग्रुप से प्रीमियम मेंबर्स की छंटनी की जाती है। उन्हें एडमिन अपने व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल करते हैं। इन युवक और युवतियों को हर नशा पार्टी के बारे में मैसेज और कॉलिंग के जरिए सूचना मिलती है। इन पार्टियों में इस काले कारोबार की दुनिया के दूसरे दरवाजे भी खुलने शुरू हो जाते हैं। मसलन, ड्रग्स और सेक्स से लेकर पोर्न इंडस्ट्री के विशेषज्ञ इन्हीं पार्टियों में मिलते हैं।

ऐसी पार्टियों के एक पीड़ित युवक से ट्राईसिटी टुडे ने बात की। उसने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह गोरखधंधा जितना ऑनलाइन चलता है, उससे ज्यादा ऑफलाइन फल फूल रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के एलीट एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस और पॉश हाउसिंग सोसायटी इस गोरखधंधे के माफियाओं की नजर में हैं। इन सारी जगहों के आसपास नशे का कारोबार होता है। पुलिस को चकमा देकर यमुना खादर के फार्म हाउसेस में नशा पार्टी होती हैं। यहां अवैध शराब के अलावा तमाम दूसरे नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। शहर के सेक्टर-97 में श्मशान घाट के पीछे एक शराब परोसने वाला अहाता बना हुआ है। वहां खुलेआम स्टूडेंट, युवक और युवतियों को शराब पीते हुए देखा जा सकता है। वहीं तमाम दूसरे तरह के नशे भी बिकते हैं। दिल्ली का ओखला इलाका, नोएडा और गाजियाबाद के बीच खोडा और नोएडा के गांवों में रह रहे किराएदार बड़ी संख्या में नशे की तस्करी कर रहे हैं।

5 लाख स्टूडेंट्स और वर्किंग यूथ टारगेट पर
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में स्टूडेंट्स और वर्किंग क्लास यूथ की भरमार है। इन दोनों शहरों में करीब 2 लाख बाहरी स्टूडेंट रहते हैं। वर्किंग क्लास यूथ की संख्या 3 लाख से ज्यादा है।  नशा माफिया के लिए यह 5 लाख यंगस्टर्स का ग्रुप सॉफ्ट टारगेट है। इनके पास पैसा होता है लेकिन जवानी के जोश के कारण समझदारी की कमी भी होती है। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और नोएडा इंटनेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रोफेसर विक्रम सिंह ने कहा नशे का अवैध कारोबार शहर के लिए बहुत बड़ी समस्या है।

प्रोफेसर विक्रम सिंह कहते हैं, "देशभर के माता-पिता अपने बच्चों को एनसीआर में पढ़ने के लिए भेजते हैं। एनसीआर को एक सुरक्षित स्थान के रूप में तैयार करना नितांत आवश्यक है। माता-पिता को लगता है कि उनका बच्चा पढ़ने जा रहा है लेकिन यहां वह नशा माफिया के चंगुल में फंस जाता है। हर साल नोएडा, दिल्ली और एनसीआर के बाकी शहरों में आने वाले लाखों छात्र-छात्राओं पर इस माफिया की गिद्ध दृष्टि है। इन्हें अपना बाजार बना लिया है।"

विक्रम सिंह कहते हैं, "नशा माफिया को काबू करने के लिए गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट ने पिछले एक साल में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। मैं पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह से अपील करता हूं कि एक व्यापक योजना बनाकर नशा माफिया के कमर तोड़ें।" विक्रम सिंह आशंका जाहिर करते हैं कि यह हजारों या लाखों का खेल नहीं है बल्कि यह सैकड़ों करोड़ रुपए का अवैध कारोबार है। जिस तरह से नशा पार्टियों में छात्र-छात्राएं, पढ़े-लिखे युवक-युवती, धनाढ्य वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोग और विदेशी महिलाएं पकड़े गए हैं, इससे साफ पता चलता है कि यह एक संगठित अपराध बन चुका है। इस दिशा में भी सोचा जाना चाहिए कि कहीं हमारे पुलिसकर्मी ही इस अवैध धंधे के संचालन में भूमिका तो नहीं निभा रहे हैं। इन संगठित अपराधियों और उन्हें सहयोग करने वाले पुलिसकर्मियों पर कड़ा एक्शन होना चाहिए।

बहुत गहरी हैं माफिया की जड़ें
इस अवैध धंधे की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह भी आपको बताते हैं। पुलिस ने वर्ष 2019 के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 896 किलो मादक पदार्थ जब्त किए थे। करीब 100 नशे के तस्कर गिरफ्तार किए गए थे। गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद बड़ी कार्रवाई हुई। वर्ष 2020 के दौरान 2093 किलो मादक पदार्थ पुलिस ने जब्त किए और 250 से ज्यादा तस्करों को पकड़कर जेल भेजा है। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं यह बड़ी कार्रवाई है लेकिन इस गंदे धंधे को खत्म करने के लिए और बड़ा कदम उठाने की जरूरत है। अब देखना यही है कि आने वाले दिनों में गौतमबुद्ध नगर पुलिस इस महामारी से बड़ी बीमारी पर कैसे पार पाएगी।

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