Google Photo | सीएम योगी और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह
Noida News : नोएडा शहर के बीचों-बीच पिछले करीब तीन साल से बड़े भूमि घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। शहर के बीच अवैध कॉलोनाइजेशन किया जा रहा है। यह भूमि महर्षि योगी आश्रम की है। भाजपा के कुछ नेताओं और नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर महर्षि योगी आश्रम की जमीन पर अवैध कब्जा करवा दिया। बड़े-बड़े कामर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाकर खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन इस बीच नोएडा से लेकर लखनऊ तक हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने महर्षि योगी आश्रम की जमीन की फाइल खंगालनी शुरू कर दी है। इस मामले को ‘ट्राईसिटी टुडे’ ने प्रमुखता से उठाया है।
दादरी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने लिखा पत्र
दादरी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट राकेश नागर ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर इस मामले की जांच की मांग की है। पत्र में आरोप है, “अजय प्रकाश श्रीवास्तव के नेतृत्व में चल रही महिला ध्यान विद्यापीठ सोसाइटी, जो महर्षि आश्रम के नाम से भी जानी जाती है, उन्होंने लगभग तीन हजार बीघा जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। यह जमीन मूल रूप से भोले-भाले किसानों की थी, जिसे कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हड़प लिया गया है।”
अवैध गतिविधि में अधिकारियों ने दिया साथ
एडवोकेट नागर के अनुसार, “महर्षि आश्रम ने न केवल निजी भूमि पर कब्जा किया है, बल्कि सरकारी जमीन पर भी अपना अधिकार जमा लिया है। इस कारण राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। आश्रम के अंदर एक विलासिता का केंद्र चलाया जा रहा है, जहां लगभग 500 लोग सेवादार के रूप में कार्यरत हैं।” इस मामले में और भी गंभीर आरोप हैं। कहा जा रहा है कि आश्रम अपनी जमीन को नोएडा विकास प्राधिकरण की दरों से भी अधिक कीमत पर बेच रहा है। इससे प्राप्त धन को देश से बाहर भेजा जा रहा है। कुछ राजस्व अधिकारियों पर भी संदेह जताया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर इन अवैध गतिविधि में सहयोग किया है।
प्राधिकरण से भी स्पष्टीकरण मांगा जाए : राकेश नागर
नागर ने इस मामले की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग, सीबीआई और एसआईटी जैसी एजेंसियों को शामिल करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि यह मामला उत्तर प्रदेश के सबसे विकसित शहर में चल रहे एक बड़े भूमि घोटाले को उजागर करता है। संबंधित तहसील के भूलेख रिकॉर्ड की जांच की जाए और नोएडा विकास प्राधिकरण से भी स्पष्टीकरण मांगा जाए। इस घोटाले की जांच न केवल भ्रष्टाचार को उजागर करेगी, बल्कि कई निर्दोष किसानों को न्याय दिलाने में भी मदद कर सकती है।