Supertech Emerald Case : नोएडा के सेक्टर-93ए में सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट ट्विंस टावर को ध्वस्त करने का आदेश आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। मुख्यमंत्री ने जिम्मेदार अफसरों की पहचान करने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। अब इसी सिलसिले में शासन में नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के प्लानिंग डिपार्टमेंट में कार्यरत प्रबंधक को सस्पेंड कर दिया है। प्रबंधक को चार्जशीट थमाई गई है और जवाब मांगा गया है। जवाब मिलने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। नोएडा अथॉरिटी की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने प्लानिंग मैनेजर को सस्पेंड करने की शिकायत सरकार को भेजी थी।
मैनेजर पर कोर्ट केस की सही जानकारी नहीं देने का आरोप
इस मामले में प्लानिंग डिपार्टमेंट के मैनेजर मुकेश गोयल पर गंभीर आरोप लगे हैं। मैनेजर पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि सुपरटेक ट्विन्स टावर से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। इस बारे में मुकेश गोयल को पूरी जानकारी थी। उन्होंने सही वक्त पर सही जानकारी नोएडा अथॉरिटी के उच्चाधिकारियों को उपलब्ध नहीं करवाई। जिसकी वजह से अथॉरिटी सही ढंग से अपनी बात सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रख सकी। जिसका नुकसान यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं। नोएडा प्राधिकरण की छवि खराब हुई। यह रिपोर्ट मिलने के बाद सीईओ ऋतु महेश्वरी ने मुकेश गोयल के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई करने की सिफारिश राज्य सरकार से की थी। अब औद्योगिक विकास विभाग ने मुकेश गोयल को सस्पेंड कर दिया है।
दोनों एसीएईओ की विशेष जांच समिति का गठन किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों के 8 वर्ष के कार्यकाल के दौरान नोएडा में तैनात रहे अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठा दी है। इसके लिए सीईओ ऋतु महेश्वरी ने दोनों एसीईओ की जांच समिति बनाई है। यह समिति देखेगी कि उन 8 वर्षों के दौरान किस-किस अफसर ने गलत ढंग से सुपरटेक बिल्डर को फायदे पहुंचाए हैं। ऐसे तमाम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जानकारी मिल रही है कि जल्दी ही कई और अफसरों पर गाज गिर सकती है। नोएडा अथॉरिटी ने ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों की लिस्ट बनाकर शासन को भेज दी है।
आपको बता दें कि नोएडा के सेक्टर-93ए में सुपरटेक बिल्डर ने करीब एक हजार अतिरिक्त घरों का निर्माण किया। इसके लिए सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी में दो अवैध टावर बनाकर खड़े कर दिए। इन अवैध टावरों के खिलाफ रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने नोएडा अथॉरिटी से बार-बार शिकायत की थी। जिस पर कोई सुनवाई नहीं की गई। मजबूर होकर आरडब्ल्यूए ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में आरडब्ल्यूए के पक्ष में फैसला सुनाते हुए दोनों अवैध टावरों को हटाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश को सुपरटेक बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को जायज मानते हुए दोनों अवैध टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया है।