Noida News : नोएडा शहर के बीचों-बीच पिछले करीब तीन साल से बड़े भूमि घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। यह भूमि महर्षि योगी आश्रम की है। भाजपा के कुछ नेताओं ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर महर्षि योगी आश्रम की जमीन पर अवैध कब्जा करवा दिया। शहर के बीच अवैध कॉलोनाइजेशन किया जा रहा है। बड़े-बड़े कामर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाकर खड़े किए जा रहे हैं। यह सभी महर्षि योगी आश्रम की जमीन पर हुआ। लेकिन अब नोएडा प्राधिकरण के अफसरों के होश उड़ गए, क्योंकि उत्तर प्रदेश शासन ने प्राधिकरण से महर्षि योगी आश्रम की जमीन की फाइल मांगी है।
20 हेक्टेयर जमीन की फाइल मांगी
शासन का कहना है कि आश्रम की जमीन गेझा तिलपताबाद, भंगेल, बेगमपुर , हाजीपुर और सलारपुर के क्षेत्र में थी। इस जमीन का एरिया करीब 20 हेक्टेयर है। जिसके दस्तावेज आश्रम के पास मौजूद है। अब ये जमीन आश्रम वापस लेना चाहता है। शासन के इस पत्र के बाद नोएडा प्राधिकरण के तोते उड़े हुए है, क्योंकि इस जमीन पर तो अफसरों ने मिलीभगत करके अवैध कॉलोनाइजेशन करवा दिया। बताया जा रहा है कि इस पत्र के बाद नोएडा प्राधिकरण के काफी अफसर परेशान हैं। यह कोई एक-दो नहीं बल्कि कई सौ करोड़ रुपये का घोटाला है। अब 20 हेक्टेयर का जवाब प्राधिकरण क्या देगा? इसको लेकर शहर में चर्चा है।
ट्राईसिटी टुडे ने किया था खुलासा
आपको बता दें कि महर्षि योगी आश्रम और आसपास के इलाके में ख़ाली पड़ी ज़मीनों पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा किया जा रहा है। ऊंची टिन शेड लगाकर उनकी आड़ में प्लॉटिंग चल रही है। रातोंरात बड़े-बड़े शोरूम, दुकानें और कई-कई मंजिलें घर बनाकर खड़े किए जा रहे हैं। इस धंधे को बढ़ावा सत्ता दल के एक नेता दे रहे हैं। कुल मिलकर सनातन संस्कृति, योग, दर्शन और वेदांत को पूरी दुनिया में ले जाने वाले महर्षि महेश योगी के नाम पर माफियागिरी चल रही है। आपका पसंदीदा न्यूज पोर्टल 'ट्राईसिटी टुडे' पहले ही इस नेक्सस का ख़ुलासा कर चुका है, जो महर्षि महेश योगी की धार्मिक संपत्तियों को खुलेआम बाज़ार में बेच रहा है। इतना ही नहीं, इस गैंग ने नोएडा शहर को भारी नुक़सान पहुंचाया है। सरकारी खजाने को दोनों हाथों से लूटा है।
हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर का दुरुपयोग
महर्षि योगी आश्रम की ज़मीन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई साल पहले एक स्थगन आदेश जारी किया था। इस स्थगन आदेश का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। प्राधिकरण ज़मीन पर स्टे ऑर्डर बताकर डेमोलिशन नहीं करने का बहाना बनाता है। दूसरी ओर, स्थगन आदेश होने के बावजूद इस ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख्त धड़ल्ले से की जा रही है। दिन-रात बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। सवाल यह उठता है कि जब ज़मीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश पारित कर रखा है तो ख़रीद-फ़रोख़्त और निर्माण कैसे किया जा सकता है? नोएडा अथॉरिटी इस अवैध निर्माण के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर क्यों नहीं कर रही है? जानकारों का कहना है कि महर्षि आश्रम की ज़मीन को हड़पने वालों के साथ प्राधिकरण में तैनात रहे अफसर भी शामिल हैं। कई अफसर तो करोड़ों रुपये के वारे न्यारे करके शहर से रुखसत हो चुके हैं। कई अफ़सर अभी भी प्राधिकरण में बैठकर पौ-बारह कर रहे हैं।
धर्म की आड़ में धंधा, पूरी रात चलता है अवैध निर्माण
महर्षि आश्रम की जमीन पर अवैध रूप से छोटे-छोटे आवासीय भूखंड बेचे जा रहे हैं। बड़ी संख्या में भूखंडों पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बना दिए गए हैं। महर्षि आश्रम की जमीन पर रातोंरात अवैध निर्माण हो रहा है। रात 9 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक बड़े-बड़े डंपर मिट्टी लेकर आते हैं। आश्रम में एक झील थी, जिसे मिट्टी से पूरी तरह पाट दिया गया है। यज्ञशाला और गऊशाला की जमीन पर प्लॉटिंग हो चुकी है। मौके पर कई इमारतें खड़ी हुई हैं। आपको बता दें कि वर्ष 2011 में नोएडा प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण करने का प्रयास किया था। तब भूमाफिया गैंग ने महर्षि आश्रम को धार्मिक स्थल बताकर विरोध किया था। आसपास से किराये की भीड़ इकट्ठा करके धरना-प्रदर्शन किया गया था। प्राधिकरण और तत्कालीन सरकार पर आरोप लगाया गया था कि गऊशाला, यज्ञशाला और धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोग हो रही ज़मीन को ग़लत ढंग से अधिग्रहित किया जा रहा है। इससे लोगों की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंच रही है। लिहाज़ा, मजबूर होकर प्राधिकरण और सरकार को अपने पांव पीछे खींचने पड़े थे। अब उसी ज़मीन पर खुलेआम अवैध प्लॉटिंग चल रही है। जिससे साफ हो जाता है कि धर्म की आड़ में गंदा धंधा चल रहा है।