प्रयागराज : लग्जरी वाहन चोर गैंग के 5 सदस्य गिरफ्तार, कई राज्यों में फैला है जाल

Tricity Today | लग्जरी वाहन चोर गैंग के 5 सदस्य गिरफ्तार



प्रयागराज क्राइम ब्रांच और कैंट थाना पुलिस ने मंगलवार को अंतर्राज्यीय वाहन चोरों के गिरोह का पर्दाफाश किया है। चोर गैंग के 5 बदमाशों को गिरफ्तार किया गया और उनके पास से 5 लग्जरी वाहन बरामद किए हैं। पुलिस के हाथ तीन दर्जन से अधिक वाहनों के फर्जी कागजात और गाड़ी चोरी करने में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी मिले हैं। पकड़े गए लोगों से पूछताछ में पुलिस को गिरोह के अन्य सदस्यों के नाम की भी जानकारी मिली है। जिनकी छानबीन की जा रही है।

इधर कुछ दिनों से शहर में लग्जरी वाहनों की चोरी के मामले बढ़े तो  एसएसपी प्रयागराज ने क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम को बदमाशों का पता लगाकर पकड़ने के निर्देश दिए थे। मंगलवार को क्राइम ब्रांच के प्रभारी संजय यादव और एसओजी गंगापार प्रभारी मनोज सिंह को जानकारी मिली कि वाहन चोरों के गिरोह के सदस्य कैंट क्षेत्र के कमला नगर इलाके में पहुंचने वाले हैं। खबर मिलते ही क्राइम ब्रांच की टीम मौके पर पहुंची और थाना कैंट चौकी बेली प्रभारी इंदू वर्मा के साथ घेराबंदी कर दी। कुछ ही देर बाद ही पुलिस ने एक लग्जरी वाहन में सवार 5 बदमाशों को पकड़ा। इनमें रंजीत उर्फ रिंकू निवासी यशोदा नगर थाना फ्रेंड्स कॉलोनी जनपद इटावा, शीबू निवासी आरएन लाइन न्यू कैंट धूमनगंज प्रयागराज, आदित्य सिंह निवासी किदवई नगर कानपुर नगर, मोहम्मद आरिफ व शहंशाह निवासी जाटवपुरी चुंगी रसूलपुर जनपद फिरोजाबाद शामिल थे। इनकी निशानदेही पर चार और लग्जरी वाहन बरामद किये गये। इनमें एक लक्जरी गाड़ी शिक्षक विधायक डॉक्टर सुरेश त्रिपाठी के भतीजे की थी। जिसे अभी हाल ही में बदमाशों ने जॉर्ज टाउन इलाके से चोरी की थी।

एसएसपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों का उत्तर प्रदेश के साथ ही दिल्ली मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल आसाम उड़ीसा महाराष्ट्र  हरियाणा और उत्तराखंड में लग्जरी वाहन चोरी किए गए हैं। शीशे पर टेप लगाकर उसे काटते थे। उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाकर लॉक तथा टैबलेट के माध्यम से वाहन के सेंसर को डीएक्टिवेट कर देते थे। मास्टर की से गाड़ी को स्टार्ट कर सूनसान जगह पर ले जाकर नंबर प्लेट बदल देते थे। फर्जी नंबर प्लेट लगाने के साथ ही चेसिस व इंजन का नंबर भी बदल देते थे। दुर्घटनाग्रस्त वाहनों के कागजातों को हासिल कर उनका रजिस्ट्रेशन नंबर इन चोरी की गई वाहनों में डाल देते थे। इसके लिए कागजातों में हेराफेरी की जाती थी। इसके बाद दूसरे राज्यों में ले जाकर वाहनों को बेंच देते थे।

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