प्रयागराज : संगम नगरी में जुटे हैं भांति-भांति के श्रद्धालु, किसी के लिए मॉस्क जरूरी, कहीं आस्था है भारी

Tricity Today | संगम नगरी में भक्तों का आगमन शुरू हो गया है



सनातन धर्म  में आध्यात्मिक और धार्मिक संगम नगरी प्रयागराज में दुनिया के सबसे  बड़े सांस्कृतिक मेला “कुंभ माघ मेले” में वैश्विक महामारी कोविड़-19 से बचाव के लिए प्रशासन द्वारा लाउडस्पीकर से “बस दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी” शब्द सुनाई दे रहे हैं। लेकिन वहां के श्रद्धालु और कल्पवासी अपनी ही दुनिया में मस्त हैं प्रशासन के इस निर्देश को धता बताते हुए मेला क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं।

कोरोना काल 2021 में लगने वाला माघ मेला पिछले मेलों से जुदा दिखलायी पड़ रहा है। मेले में जहां पहले चहुंओर भजन-कीर्तन, शिविरों में कथा वाचन व प्रवचन सुनाई देता था। वह इस बार के माघ मेले में सीमित नजर आ रहा है। श्रद्धालु स्नानार्थी, कल्पवासी और  साधु-महात्मा भी अधिकांश बिना मास्क के मेला क्षेत्र में घूमते नजर आ रहे हैं।

कल्पवासियों को दी जा रही हिदायत
माघ मेला क्षेत्र में संगम नोज हो या सेक्टर दो, तीन, चार एवं पांच जहां पर कल्पवासियों को कल्पवास करने के लिए स्थान दिया गया है। कोरोना से बचाव के  लिए लाउडस्पीकर पर “बस दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी” शब्द  गूंज रहा है। किन्तु  प्रशासन के इस निर्देश को वहां के लोग धता बताकर खुला उल्लंघन कर रहे हैं। पहले स्नान पर्व मकर  संक्रांति और दूसरे पौष पूर्णिमा स्नान पर दूर दराज से मेला क्षेत्र में पहुंचने वाले श्रद्धालु कल्पवासी बिना मास्क लगाये घूम रहे हैं। वही स्थिति बदस्तूर जारी है।

बीमारी पर आस्था भारी
संगम नोज पर स्नान करने वाले फतेहपुर के एक बुजुर्ग नरेश शुक्ल, प्रयागराज के फूलपुर संसदीय क्षेत्र के राठौर सिंह तथा उनकी पत्नी शकुंतला देवी और स्थानीय दारागंज मुहल्ले के निवासी भुल्लर पाण्डेय ने बताया कि मां गंगा का जल औषधीय के साथ अमृत भी है। मां गंगा के जल की महिला अनंत है। इस जल को शरीर से स्पर्श होने के  बाद कोई भी वायरस असर नहीं करेगा।   
     
राठौर सिंह ने बताया कि चारों तरफ बिना मास्क लगाये लोग घूम रहे हैं। किसी भी श्रद्धालु को क्या अभी तक कोरोना होने की सूचना मिली है। अलबत्ता सुरक्षा में लगे सिपाहियों को  कोरोना से प्रभावित होने की खबरें अक्सर अखबार की सुर्खियां बनती हैं। उन्होंने बताया कि आस्था बड़ी चीज होती है। महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे, उन्हें तो कुछ नहीं हुआ। बचाव के उपाय करना उचित है। लेकिन माघ मेला में स्नान करने के लिए आने वाले अधिकाधिक लोगों के चेहरे पर मास्क नहीं मिलेंगे। उनमें मां गंगा के प्रति आस्था है और वही सब की रक्षा करेंगी।

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