Pitru Paksha 2021 :  पितृपक्ष के दौरान इस एकादशी व्रत का है विशेष महत्व, जानें इसके पूजन की विधि और फायदे

Google Image | इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व



Pitru Paksha 2021 : पितृपक्ष के दौरान आने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि पितृदोष से पीडि़त लोगों को इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष में आने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

दुख-दर्द हो जाते हैं दूर
सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज का कहना है कि धार्मिक दृष्टि से इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-उपासना और व्रत करने से दुख-दर्द दूर होते हैं। घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस बार एकादशी व्रत 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। एकादशी का व्रत एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद खोला जाता है। इसे कठिन व्रत माना जाता है। श्राद्धपक्ष में इस व्रत को करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्रत का महत्व
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसूत का कहना है कि श्राद्धपक्ष का समापन 6 अक्टूबर को हो रहा है। 2 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी व्रत रखा जाएगा। इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जबकि एकादशी व्रत करने से सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। एकादशी तिथि एक अक्टूबर को रात 11.03 बजे से आरंभ होकर 2 अक्टूबर को रात 11.10 बजे समाप्त होगी।

पितृ पक्ष में इन 5 बातों का रखें ख्याल
  1. पितृपक्ष के दौरान किसी भी विशेष चीज की खरीददारी से परहेज करें और किसी तरह का मांगलिक काम बिल्कुल न करें। पितृ पक्ष अपने पूर्वजों को याद करने के दिन होते हैं। ऐसे में आपके मांगलिक कार्यों से उन्हें महसूस होगा कि आपके मन में उनके न होने का कोई दुख नहीं है। इसलिए अगर आपको कोई शुभ समाचार पितृ पक्ष के दौरान मिल जाए, तो भी पितृ पक्ष के बाद ही उसका आनंद मनाएं।  
  2.  कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज किसी भी रूप में हमारे पास आ सकते हैं। ऐसे में किसी कीट पतंगे, पशु और पक्षी का निरादर न करें। न ही उन्हें किसी तरह की चोट पहुंचाएं।
  3. अपने घर के बाहर खाने और पानी के बर्तन रखें, ताकि जानवरों और पशु-पक्षियों को खाने-पीने में आसानी हो। माना जाता है कि इस दौरान पशु-पक्षियों आदि की सेवा करने से पितर प्रसन्न होते हैं। 
  4. पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, जीरा, काला नमक, लौकी, सरसों, खीरा और मांस आदि के सेवन से बचना चाहिए। शराब आदि भी नहीं पीनी चाहिए। जो लोग तर्पण करते हैं, उन्हें विशेष रूप से इस बात का खयाल रखना चाहिए।
  5. तर्पण करते समय काले तिल का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले भोजन के पांच हिस्से देवता, कौआ, गाय, कुत्ता और चींटियों के लिए निकालना चाहिए।

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