Navratri 2021: आज से नवरात्रि का त्यौहार शुरू हो गया है। प्रथम नवरात्रि शैलपुत्री नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। नवरात्रि का पावन पर्व 9 दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां को वृषारूढ़ा, उमा नाम से भी जाना जाता है। उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। जो लोग पाठ नहीं कर सकते हैं उन्हें इस कथा को सुनना चाहिए।
मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका वाहन वृषभ (बैल) है। शैल शब्द का अर्थ होता है पर्वत। शैलपुत्री को हिमालय पर्वत की बेटी कहा जाता है। इसके पीछे की कथा यह है कि एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। दक्ष ने भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा। ऐसे में सती ने यज्ञ में जाने की बात कही तो भगवान शिव उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण जाना ठीक नहीं लेकिन जब वे नहीं मानीं तो शिव ने उन्हें इजाजत दे दी।
मां शैलपुत्री के पूजन के मंत्र
मां शैलपुत्री के पूजन में इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के धैर्य और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं, इसलिए इनके पूजन और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं। श्रद्धा भाव से पूजन करने वाले को मां शैलपुत्री सुख और सौभाग्य प्रदान करती हैं।