यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : सारे बड़े गुर्जर चेहरे भाजपा में हैं, फिर क्यों आए नरेंद्र भाटी?

Google Image | भाजपा गुर्जर नेता



UP Vidhansabha Chunav 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बड़ा झटका लगा है। गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर और गाजियाबाद समेत वेस्ट यूपी की राजनीति में अच्छा-खासा कद रखने वाले समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और विधान परिषद के मेंबर नरेंद्र भाटी (Narendra Bhati) बुधवार को साइकिल से उतरकर भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के खेमे में शामिल हो गए हैं। अब आम आदमी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि जब भारतीय जनता पार्टी में तमाम बड़े गुर्जर चेहरे मौजूद हैं तो फिर नरेंद्र भाटी को लाने की क्या जरूरत पड़ी? माना जा रहा है कि गुर्जर समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने नरेंद्र भाटी को पार्टी में शामिल कराया है। जिसके बाद क्षेत्र की राजनीति गरमा गई है। भाटी के बीजेपी में शामिल होने के बाद क्षेत्र के वोट बैंक पर कितना असर पड़ेगा यह तो भविष्य बताएगा।  

वेस्ट यूपी में भाजपा से गुर्जरों की नाराजगी खत्म करेंगे
मिहिर भोज की प्रतिमा प्रकरण के बाद गौतमबुद्ध नगर के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज में भाजपा के खिलाफ काफी आक्रोश देखने को मिला है। गुर्जर समाज खुलकर भाजपा के विरोध में खड़ा हो गया था। भाजपा के गुर्जर नेताओं से भी समाज ने किनारा कर लिया था। मिहिर भोज का मामला ठंडा करने के लिए भाजपा ने नरेंद्र भाटी को अपने पाले में लाकर बड़ा दांव खेल दिया है। आपको बता दें कि उस वक्त नरेंद्र भाटी इकलौते ऐसे गुर्जर नेता थे, जो खुलकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पक्ष में आए थे। उन्होंने ट्राईसिटी टुडे से खास बातचीत करते हुए अपने समाज से अपील की थी कि जब प्रतिमा के साथ गुर्जर शब्द जोड़ दिया गया है तो मुद्दा खत्म हो चुका है। समाज के लोगों को खुशी मनानी चाहिए। नरेंद्र भाटी ने यहां तक कहा था कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को बिना वजह खराब किया जा रहा है। उनका इस विवाद से क्या लेना-देना है। इस अव्यवस्था के लिए स्थानीय गुर्जर नेता ही जिम्मेदार हैं।

विवाद के दौरान सरकार के साथ खड़ा होना रहा फायदेमंद
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी में बैठे गुर्जर नेता इस विवाद को लेकर पूरी तरह तटस्थ बने रहे। भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "उस दौरान हमने अपने तमाम छोटे-बड़े गुर्जर नेताओं को इस मामले में हस्तक्षेप करने व अपने समाज के लोगों को सही संदेश देने के लिए कहा था। इनमें से कोई भी आगे बढ़कर इस विवाद से जुड़ी सही जानकारी नहीं दे सका। दूसरी ओर विपक्षी पार्टी में रहते हुए नरेंद्र सिंह भाटी ने महत्वपूर्ण काम किया। अब उनकी आस्था भारतीय जनता पार्टी में है। इस वजह से वह पार्टी में आ गए हैं। तमाम लोग भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं। ऐसे में नरेंद्र सिंह भाटी का आना कोई आश्चर्य नहीं है।" कुल मिलाकर अब नरेंद्र भाटी पर गुर्जर समाज के वोट बैंक को भाजपा की तरफ लाने की बड़ी जिम्मेदारी है। इसमें उस सवाल का जवाब मिल जाता है कि आखिर भाजपा में पहले से गुर्जर नेताओं की मौजूदगी के बावजूद नरेंद्र भाटी पर भाजपा बड़ा दाव क्यों खेल रही है।

पार्टी में मौजूद गुर्जर नेताओं से क्या भरोसा उठ चुका है?
क्या पूर्व विधायक और वर्तमान में राज्य मंत्री नवाब सिंह नागर, दादरी विधायक तेजपाल नागर, वर्तमान में भाजपा के गुर्जर समाज के सबसे बड़े नेता सुरेंद्र नागर से पार्टी का बतौर गुर्जर नेता भरोसा उठ चुका है? गुर्जर समाज मिहिर भोज मामले के बाद भाजपा के साथ जाता नहीं दिख रहा। देखना दिलचस्प होगा आने वाले दिनों में नरेंद्र भाटी भाजपा को कितना फायदा दिलवाते हैं। चुनाव में अगर भाटी का असर दिखा तो निश्चित भाजपा के गुर्जर नेताओं का कद घटेगा और नरेंद्र भाटी बीजेपी के सबसे बड़े गुर्जर नेता के तौर पर उभरकर सामने आएंगे।

यूपी भाजपा में अब गुर्जर नेताओं के दो धड़े होंगे
सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा के विवाद के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर राजनीति तेज हो गई है। गौतमबुद्ध नगर में काफी संख्या में गुर्जर समाज के लोग रहते हैं। भाजपा के प्रमुख गुर्जर नेता, यहां के पूर्व लोकसभा सांसद और वर्तमान में राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर पहले ही समाजवादी पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। अब समाजवादी पार्टी के नरेंद्र भाटी भी सपा का साथ छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं। नरेन्द्र भाटी 2009 में सुरेन्द्र नागर के सामने लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि क्षेत्र में अब दोनों गुर्जर नेताओं के बीच राजनीति तेज होगी और गुर्जर नेताओं के दो धड़े होंगे।

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