Greater Noida/Meerut : ग्रेटर नोएडा का निवासी और पूरे उत्तर प्रदेश का कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना का आज शुक्रवार की दोपहर 1:30 बजे मेरठ मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम होगा। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की जाएगी। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि अनिल दुजाना की छाती में गोली लगी। जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है। गुरुवार की दोपहर कुख्यात अनिल दुजाना को यूपी एसटीएफ को एनकाउंटर में ढेर किया था। बताया जा रहा है कि अनिल के परिजन उसके शव को लेने के लिए मेरठ पहुंच चुके हैं, लेकिन पोस्टमार्टम करने के बाद ही शव को उसके परिजनों को सौंपा जाएगा।
पुलिस और अनिल के बीच करीब 15-20 राउंड फायरिंग हुई
उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया, "यह सूचना थी कि अनिल दुजाना नामक बदमाश, जो अभी कुछ दिनों पहले ही जेल से छूटा था। वह अपने साथियों से मिलने बागपत से मुजफ्फरनगर जा रहा है। इस सूचना पर उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स टीम पहुंची। जब एसटीएफ टीम से आमना-सामना हुआ तो अनिल दुजाना ने अपना रास्ता बदल दिया। जहां पर उसकी गाड़ी टकरा गई। उसके बाद अनिल दुजाना की तरफ से पुलिस पर अंधाधुन फायरिंग की गई। लगभग 15 से 20 राउंड फायरिंग अनिल दुजाना की तरफ से हुई।"
चार पहिया गाड़ी में अवैध हथियार और कारतूस मिले
प्रशांत कुमार ने आगे बताया, "एसटीएफ टीम और अनिल दुजाना के बीच हुई फायरिंग में गोली अनिल को लग गई, जिसमें वह घायल हो गया। इसके बाद उसकी मौत हो गई। बदमाश के कब्जे से पुलिस को एक चार पहिया गाड़ी में भारी मात्रा में हथियार और कारतूस बरामद हुए है।"
मुख्यालय और शासन से लगातार हो रही थी मॉनिटरिंग
उन्होंने आगे बताया, "अनिल दुजाना यूपी के 65 हिटलिस्ट बदमाश और माफियाओं में से एक था। जिसका चयन करने के बाद मुख्यालय और शासन स्तर से इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी। इस बदमाश के ऊपर यूपी में 64 से अधिक मुकदमे है। जिसके घर के दो व्यक्तियों की हत्या अनिल दुजाना कर चुका है, उसके परिवार वालों को जेल से छूटने के बाद धमकी दे रहा था। इस माफिया का आतंक पूरे एनसीआर में था। इसके द्वारा गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, मेरठ और दिल्ली में काफी अपराधिक घटनाएं को अंजाम दिया गया है। इसके गैंग में करीब 40-45 लोग हैं।"
साल 2002 से शुरू हुआ सिलसिला, दोहरा हत्याकांड किया
यूपी एसटीएफ ने बताया कि अनिल दुजाना ने अपने गैंग के साथ मिलकर सबसे पहले 7 अक्टूबर 2002 को हरवीर पुत्र इच्छा राम की गाजियाबाद के मोदीनगर इलाके में हत्या की थी। इच्छा राम के साथ ग्रेटर नोएडा के रोजा जलालपुर गांव के रहने वाले राजू पुत्र शीशराम को भी मौत के घाट उतार दिया था। इस दोहरे ने दो जिलों गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में सिस्टम को हिलाकर रख दिया था। तब तक अनिल दुजाना अपराध की दुनिया के लिए मामूली नाम था।
अवैध सरिया कारोबार के चलते कई हत्याएं की गईं
अनिल दुजाना ने 4 मार्च 2007 को विक्रम सिंह पुत्र अतर सिंह की नृशंस हत्या की थी। यह हत्या अनिल दुजाना और उसके गैंग ने दादरी इलाके में की थी। इसके बाद 12 मई 2011 को बुलंदशहर के मूढ़ी बकापुर गांव के रहने वाले विजय पुत्र बलवीर की हत्या की। हत्याओं का यह सिलसिला लगातार जारी रहा। वर्ष 2011 में अनिल दुजाना ने कहर बरपाया। 24 अगस्त 2011 को बादलपुर के रहने वाले आनंद उर्फ नंदू की हत्या कर दी थी। 22 सितंबर 2011 को खेड़ी गांव के रहने वाले जयचंद की हत्या की थी। यह हत्या सरिया के अवैध कारोबार में वर्चस्व को लेकर की गई थी। अनिल दुजाना गैंग के लिए हरेंद्र प्रधान दादूपूर सरिए का कारोबार करता था। जिससे प्रतिद्वंदी होने के चलते जयचंद की हत्या अनिल दुजाना ने की थी। पहले खुद अनिल दुजाना अवैध सरिए का कारोबार सुंदर भाटी के लिए करता था।
जब अनिल दुजाना से थर्रा गया था गाजियाबाद शहर
अपने आपराधिक इतिहास में अनिल दुजाना और उसके साथियों ने सबसे खूंखार और दुस्साहसिक वारदात को गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में अंजाम दिया था। 18 नवंबर 2011 को एक शादी समारोह में अनिल दुजाना, रणदीप भाटी और अमित कसाना ने अपने गैंग के साथ मिलकर के-47 राइफल से सुंदर भाटी और उसके गैंग पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। जिसमें 4 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। उस नृशंस हत्याकांड में घंघोला गांव के रहने वाले शौकीन पुत्र किशनपाल, बादलपुर के रहने वाले नवीन पुत्र अरविंद, करावल नगर दिल्ली के रहने वाले जबर सिंह पुत्र धनपाल और बिसरख ग्रेटर नोएडा के रहने वाले धनवीर पुत्र हरी सिंह की मौत हो गई थी। खास बात यह है कि इस हत्याकांड में मुजफ्फरनगर के कुख्यात रोबिन त्यागी की पत्नी दिव्या सांगवान भी शामिल थी। दिव्या सांगवान ने ही सुंदर भाटी के खिलाफ अनिल दुजाना के लिए मुखबिरी की थी।