योगी सरकार 2.0 : इन 9 पैरामीटर पर बन रही नई कैबिनेट, आप खुद समझ जाएंगे कौन बनेगा मंत्री

Tricity Today | Yogi Adityanath



Uttar Pradesh News : पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है। चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत हासिल किया है। तीन राज्यों उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सरकार बन चुकी हैं। अब उत्तर प्रदेश की बारी है। आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बतौर पर्यवेक्षक लखनऊ पहुंच रहे हैं। विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें योगी आदित्यनाथ को नेता चुना जाएगा। पिछले 2 सप्ताह से योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार में मंत्री कौन बनेगा? इसे लेकर मंथन चल रहा है। भाजपा ने 9 पैरामीटर तैयार किए हैं। इन पैरामीटर के आधार पर विधायकों को नए मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी।

क्या हैं मंत्रीमंडल के 9 खास पैरामीटर
भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व 9 बातों का ख्याल करके योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल का गठन करेगा। ये पैरामीटर अल्पसंख्यक, जाति, क्षेत्र, जिला, युवा, महिला, अनुभव, विधान परिषद और पेशा हैं। सबसे पहले अगर अल्पसंख्यक की बात की जाए तो भाजपा के पास दो अल्पसंख्यक चेहरे हैं। पिछले मंत्रिमंडल के सदस्य मोहसिन रजा मुसलमान हैं और बिलासपुर से विधायक बलदेव सिंह औलख सिख हैं। लिहाजा, इन दोनों का एक बार फिर मंत्रिमंडल में वापसी करना तय है। मोहसिन रजा विधान परिषद के सदस्य हैं। पिछली सरकार में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा विधान परिषद से थे। इस बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच गए हैं। वह अभी दोनों सदनों में सदस्य हैं। जल्दी ही मुख्यमंत्री विधान परिषद की सदस्यता छोड़ देंगे। केशव प्रसाद मौर्य ने भी चुनाव लड़ा लेकिन हार गए हैं। इसके बावजूद अगर दोनों उपमुख्यमंत्री एक बार फिर सरकार में आ जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

जाति का गणित : अगड़े-पिछड़े सब साथ
उत्तर प्रदेश में राजनीति की बात हो और उसमें जाति अछूती रह जाए, यह मुमकिन नहीं है। जातिगत आधार पर भाजपा को मिले समर्थन का आंकलन जीतकर आए विधायकों से लगा सकते हैं। यूपी की 403 सीटों में से 52 ब्राह्मण विधायक चुनकर आए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 46 बीजेपी से हैं। 49 विधायक ठाकुर समाज से जीतकर आए, जिनमें बीजेपी गठबंधन से 43 हैं। बनिया और खत्री बिरादरी में बीजेपी का फिर जलवा रहा है। अंदाजा लगा सकते हैं कि इन दोनों समुदाय के 22 में से 21 विधायक बीजेपी से जीते हैं। भूमिहार बिरादरी के 5 विधायक बने हैं, जिसमें से 4 बीजेपी से हैं। कायस्थ ने 3 सीटें जीती हैं सभी बीजेपी से जीते हैं। मतलब, अगड़ी जातियों के 117 विधायक भाजपा के खाते में आए हैं। जिससे साफ होता है कि पार्टी का परंपरागत वोट बैंक पूरी तरह साथ खड़ा हुआ है। योगी मंत्रिमंडल पर यह असर साफ देखने के लिए मिलेगा। 40 फ़ीसदी से ज्यादा मंत्री अगड़ी जातियों से रहेंगे। एक डिप्टी चीफ मिनिस्टर इनके खाते में जरूर आएगा।

पिछड़े और दलितों का भी भरपूर समर्थन
इस बार भारतीय जनता पार्टी की जीत में दलितों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। असामान्य रूप से यादव और राजभर वोटरों को छोड़ दें तो पिछड़े और अति पिछड़े भाजपा के साथ खड़े हैं। इस बार 41 कुर्मी विधायक जीते हैं, जिनमें 27 बीजेपी गठबंधन से हैं। सबसे ज्यादा बीजेपी से जाटव समुदाय के विधायक जीते हैं, जिनकी संख्या 19 है। दलितों में जाटवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी बिरादरी पासी है। बीजेपी से 18 पासी विधायक बने हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के ऊपरी पायदान वाली जाट बिरादरी से इस बार विधानसभा में 15 विधायक हैं, जिसमें 8 बीजेपी से हैं। मौर्य, कुशवाहा, शाक्य और सैनी जातियों में बीजेपी ने 12 सीटें जीती हैं। अति पिछड़ी जातियों में बीजेपी के 7 एमएलए हैं। बिंद, कश्यप, मल्लाह जातियों में भी सबसे ज्यादा 6 विधायक बीजेपी गठबंधन से सदन में पहुंचे हैं। कलवार, तेली, सोनार जातियों से भाजपा को सबसे ज्यादा 6 सीटें मिली हैं। गुर्जर बिरादरी से इस मर्तबा 7 विधायक जीते हैं, जिनमें 5 बीजेपी से हैं। दलितों की धोबी बिरादरी से सभी 4 सीटें बीजेपी ने जीती हैं, जबकि खटीक समाज से 5 विधायक जीते हैं, जिसमें से 4 बीजेपी के हैं। दलित वाल्मीकि से एक सीट बीजेपी को मिली है। साफ है कि योगी मंत्रिमंडल के 50 फ़ीसदी से ज्यादा सदस्य दलित, पिछड़े और अति पिछड़े रहेंगे।

यादव और राजभर को पार्टी नजदीक लाएगी
योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल पर 2024 में आने वाले लोकसभा चुनाव की छाप देखने के लिए मिलेगी। भाजपा को यादव और राजभर समाज से बेरुखी का सामना करना पड़ा है। जिसके चलते पूर्वांचल में घाटा हुआ है। भाजपा नेतृत्व लोकसभा चुनाव में इस नुकसान को दोहराना नहीं चाहेगा। लिहाजा, अखिलेश यादव और ओमप्रकाश राजभर को करारा जवाब देने के लिए इन वर्गों से कई विधायक मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाए जाएंगे। अगर आंकड़े को देखें तो 27 यादव विधायक सदन में आए हैं, जिसमें केवल 3 बीजेपी से जीतकर आए हैं। राजभर बिरादरी में समाजवादी पार्टी गठबंधन से 3 विधायक जीत कर आए हैं, जबकि बीजेपी से एक विधायक को जीत मिली है। यही दो सामुदायिक वर्ग ऐसे हैं जिनमें भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी के मुकाबले कमतर परिणाम हासिल कर पाई है।

भाजपा को क्षेत्रीय संतुलन बनाना पड़ेगा
जाति के बाद सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संतुलन है। भारतीय जनता पार्टी को पूरे राज्य से अच्छा समर्थन मिला है। लिहाजा, मंत्रिमंडल में भी प्रत्येक क्षेत्र को तरजीह देना जरूरी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 24 जिलों की 126 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 85 पर कामयाबी मिली है। अवध क्षेत्र की 109 विधानसभा सीटों में से 83 भाजपा को मिली हैं। बुंदेलखंड की 19 में से 16, पूर्वांचल की 139 में से 81 और रोहिलखंड की 25 में से 20 सीट भाजपा के खाते में गई हैं। इस बार वेस्ट यूपी में डिप्टी चीफ मिनिस्टर की मांग की जा रही है। दरअसल, पिछली सरकार में 2 डिप्टी सीएम थे लेकिन वेस्ट यूपी से कोई नहीं था। ऐसे में भाजपा को पूर्वांचल और पश्चिमांचल में संतुलन बनाने का प्रयास करना होगा। आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह बेहद जरूरी है। वेस्ट यूपी के गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, हापुड़, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस और आगरा जिलों में भाजपा ने क्लीनस्वीप किया है। इनमें से कई जिले ऐसे हैं, जिन्हें पिछली सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। इस बार इन जिलों से किसी ना किसी विधायक को मंत्री बनाने की मांग उठ रही है।

65 साल से ज्यादा उम्र वाले मंत्री नहीं बनेंगे
योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने भाजपा को चुनाव जिताया है। लिहाजा, इस बार योगी सरकार से अपेक्षाएं ज्यादा हैं। सरकार के सामने और बेहतर परिणाम देने की चुनौती रहेगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने फैसला लिया है कि कैबिनेट में जगह हासिल करने वाले विधायकों की अधिकतम उम्र 65 वर्ष रहेगी। मतलब, उम्रदराज विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी। उन्हें दूसरे समांतर सरकारी पदों पर नियुक्ति देकर समायोजित किया जाएगा। यही वजह है कि इस बार यूपी के सीनियर मोस्ट विधायक सुरेश खन्ना को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। बाकी विधायकों को दूसरे बिना लाभ वाले सरकारी पदों पर भेजा जाएगा। भारतीय जनता पार्टी का मकसद युवा चेहरों को आगे रखकर सरकार की छवि साफ रखना है। कामकाज को गति देना है। पार्टी अपने मतदाताओं को संदेश देना चाहती है कि युवाओं को अधिक से अधिक अवसर मिलेंगे।

महिला और पेशेवर सरकार का हिस्सा बनेंगे
इस विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर वोट डाले हैं। महिला वोटरों ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया है। इतना ही नहीं महिलाओं ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में परिवार, जाति और धर्म के बंधनों को तोड़कर वोटिंग की। यही वजह है कि योगी मंत्रिमंडल में महिलाओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने का फैसला लिया गया है। पिछली सरकार में 3 महिला मंत्री थीं। इस बार इनकी संख्या बढ़कर 10 हो सकती है। विधानसभा में रिकॉर्ड तोड़ 48 विधायक महिलाएं पहुंची हैं। बड़ी बात यह है कि इनमें से 33 महिला विधायक भाजपा गठबंधन की हैं। पार्टी ने कम से कम 30% महिला विधायकों को मंत्री बनाने का फैसला लिया है। इसी तरह प्रोफेशनल विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा। मसलन, इंजीनियर, डॉक्टर, प्रबंधक, चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकील, रिटायर आईएएस और आईपीएस योगी मंत्रिमंडल में काम करेंगे। प्रोफेशनल्स को सरकार में लाकर योगी आदित्यनाथ कामकाज को गति देना चाहते हैं। इससे मंत्रिमंडल और नौकरशाही में बेहतर समन्वय बनाने की कोशिश की जाएगी। एके शर्मा, असीम अरुण और राजराजेश्वर जैसे नौकरशाहों का मंत्री बनना तय है।

विधान परिषद से कई चेहरे शामिल होंगे
पिछली योगी आदित्यनाथ सरकार में विधान परिषद का दबदबा रहा। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद विधान परिषद के सदस्य हैं। उनके दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉक्टर दिनेश शर्मा भी विधान परिषद के सदस्य हैं। कैबिनेट मंत्रियों में जलशक्ति मंत्री डॉक्टर महेंद्र प्रताप सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद और पंचायतराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी विधान परिषद से शामिल किए गए। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया विधान परिषद से मंत्रिमंडल में आए थे। दो राज्य मंत्री मोहसिन रजा और धर्मवीर प्रजापति भी एमएलसी हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी बतौर एमएलसी योगी मंत्रिमंडल के सदस्य रहे थे। इस बार विधान परिषद से कुछ चेहरे सरकार में आएंगे लेकिन ऊपरी सदन को ज्यादा तरजीह नहीं मिलेगी। इस सरकार में विधान सभा के सदस्यों को ही ज्यादा मौके देने का फैसला लिया गया है।

अनुभवी नेताओं को रखा जाएगा
जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी युवा, महिलाओं और पेशेवरों को आगे बढ़ाना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ अनुभवी नेताओं को भी पीछे नहीं रखा जाएगा। इस मंत्रिमंडल में युवा और अनुभवी मंत्रियों का समन्वय देखने के लिए मिलेगा। मसलन, कैबिनेट मिनिस्टर सीनियर लीडर बनेंगे। उनके साथ बतौर नायब युवाओं को अवसर दिए जाएंगे। अनुभव और रफ्तार को जोड़ने की कोशिश रहेगी। इस आधार पर सतीश महाना, सूर्य प्रताप शाही, नंद गोपाल नंदी, रमापति शास्त्री, जय प्रताप सिंह, बृजेश पाठक, सिद्धार्थ नाथ सिंह और आशुतोष टंडन जैसे अनुभवी नेताओं का मंत्री बनना तय है।

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