Google Image | Minister Dharmendra Pradhan, CM Yogi Adityanath
Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव-2022 को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। ओबीसी वर्ग के प्रधान को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रभारी नियुक्त किया गया है। उनके साथ सात अन्य नेताओं को सह प्रभारी पद की जिम्मेदारी दी गई है। इस टीम के जरिए भारतीय जनता पार्टी ने जातीय और सियासी समीकरण साधने का पुरजोर प्रयास किया है। विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, सरोज पांडे, शोभा करंदलाजे, कैप्टन अभिमन्यु, अन्नपूर्णा देवी और विवेक ठाकुर को सह प्रभारी पद की जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी ने बड़ी चाल चली है।
छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में साबित की क्षमता
केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस टीम के गठन में जातीय समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है। दरअसल उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है। ओबीसी वर्ग के मतदाता ही राज्य में सरकार बनाते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ओबीसी भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गया है। लेकिन इस वर्ग के मतदाताओं को जोड़े रखना बड़ी चुनौती है।
इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी वर्ग के कद्दावर नेता धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी पद की जिम्मेदारी दी है। इसे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बड़ा दांव माना जा रहा है। हालांकि इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड राज्यों में चुनाव प्रभारी रहते हुए अपनी क्षमता दिखा चुके हैं। इन राज्यों में उन्होंने ओबीसी के बड़े तबके को पार्टी से जोड़ा।
ब्राम्हण समुदाय को एकजुट करेंगी सरोज पांडेय
उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राम्हण वोटरों का खासा प्रभाव है। ऐसा माना जाता है कि यूपी के ब्राम्हण जिस पार्टी को समर्थन देते हैं, उसकी सरकार तय है। इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सरोज पांडे को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। वह मूलत छत्तीसगढ़ की हैं। लेकिन लंबे वक्त से बीजेपी में संगठन स्तर पर बड़ी जिम्मेदारियां संभाल रही हैं। यूपी में ब्राह्मणों को रिझाने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी पुरजोर प्रयास कर रही हैं।
बहुजन समाज पार्टी प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी का आयोजन कर इस वर्ग को अपनी तरफ करने में जुटी है। इसकी जिम्मेदारी सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी गई है। हालांकि पिछले दिनों केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में उत्तर प्रदेश से अजय मिश्रा को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। इससे सरकार यह संदेश देने में सफल रही कि यूपी के ब्राह्मण मतदाता पार्टी के लिए खास हैं।
दो फीसदी भूमिहार वोटरों के लिए ये चाल
भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में 2 फ़ीसदी से कम भूमिहार मतदाताओं को साधने के लिए भी बड़ा दांव चला है। बिहार के दिग्गज नेता सीपी ठाकुर के बेटे और राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर को भूमिहार वर्ग को एकजुट करने और पार्टी को संबल देने की जिम्मेदारी सौंपी है। 2 फ़ीसदी वाले भूमिहार वर्ग का पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़ और जौनपुर जिलों में अच्छी खासी संख्या है। उत्तर प्रदेश में भूमिहारों को भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वोटर माना जाता है।
भौगोलिक स्थिति के हिसाब से ये जनपद बिहार से सटे हुए हैं। इसलिए विवेक ठाकुर को यहां ज्यादा प्रभावी माना जा रहा है। हालांकि भूमिहार पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा को उत्तर प्रदेश की राजनीति में उतारकर भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही बड़ा दांव खेल लिया है। इस वर्ग के दूसरे बड़े नेता मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाया गया है। लेकिन मौजूदा कैबिनेट में इस वर्ग का कोई प्रतिनिधि नहीं है। ऐसे में विवेक ठाकुर को इस वर्ग के मतदाताओं को पार्टी के पाले में रखने में चुनौती आ सकती है।
जाट, यादव और दलित समुदाय को साधेंगे ये नेता
इसी तरह जाट समुदाय को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के पूर्व मंत्री और जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु को यूपी चुनाव में सह प्रभारी नियुक्त किया है। उनके जरिए पश्चिमी यूपी के नाराज जाट नेताओं की नाराजगी दूर की जाएगी और उन्हें बीजेपी के पाले में लाया जाएग। इसके अलावा भाजपा ने समाजवादी पार्टी के कोर बैंक यादव समुदाय को भी साधने की योजना बनाई है। इसके लिए अन्नपूर्णा देवी को चुनाव सहप्रभारी नियुक्त किया गया है। यादव वर्ग समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाता है।
यूपी के राजपूत वर्ग को साधने के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को सह प्रभारी पद की जिम्मेदारी दी गई है। वह युवा हैं और उत्तर प्रदेश में भी उनकी अच्छी खासी लोकप्रियता है। यूपी की राजनीति में 22 फ़ीसदी दलित मतदाताओं को अपने पाले में रखने के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सह प्रभारी बनाया गया है। वह राजस्थान के दलित समाज से ही आते हैं। हार्डकोर हिंदुत्व की राजनीति के लिए भाजपा ने कर्नाटक की शोभा करंदलाजे को यूपी चुनाव में सह प्रभारी बनाया है वह आरएसएस से जुड़ी हैं और हिंदुत्व के मुद्दे पर बेबाक राय रखती हैं।