विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर खूब घमासान मचा हुआ है। अध्यक्ष पद के लिए असली लड़ाई भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच है। कांग्रेस और बसपा दौड़ में कहीं दिखाई नहीं दे रहे। सत्तारूढ़ भाजपा ने दावा किया है कि राज्य में 25 जनपदों में उनके प्रत्याशी निर्विरोध चुने जाएंगे। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक 13 जनपदों में भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं। इसमें गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुध नगर, मुरादाबाद, मेरठ और अमरोहा जिले शामिल हैं। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि 12 जिलों में उनके प्रत्याशियों को नामांकन करने से रोका गया। अन्य 38 सीटों पर बीजेपी और सपा के उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है।
12 उम्मीदवारों को नामांकन से रोकने का आरोप
इन सभी सीटों पर 3 जुलाई को मतदान होगा और उसी दिन शाम को मतगणना पूरी की जाएगी। बड़ी बात यह है कि कांग्रेस ने सिर्फ रायबरेली में ही अपने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार की घोषणा की है। पार्टी ने यहां से मनीष सिंह को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मैदान में उतारा है। बताते चलें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर से ठीक ठीक पहले उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराए गए थे। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पॉवर का इस्तेमाल करते हुए 12 जनपदों में सपा के प्रत्याशियों को नामांकन नहीं करने दिया। कैंडिडेट्स के प्रस्तावों को अगवा किया गयाय। उन्हें होटल में रखा गया। कई प्रस्तावक गायब हो गए। राज्य सरकार ने पुलिस के दम पर सत्ता का दुरुपयोग किया है। यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।
इन 12 जिलों में सपा उम्मीदवार पर्चा दाखिल नहीं कर सके
समाजवादी पार्टी जिन जनपदों में नामांकन नहीं कर पाई, उनमें गाजियाबाद, भदोही, हमीरपुर, गोरखपुर, झांसी, मुरादाबाद, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा और ललितपुर शामिल हैं। हालांकि पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव का इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाना तय है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का कोई भी प्रत्याशी नामांकन करने नहीं आया। राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी कैलेंडर के मुताबिक 3 जुलाई को पारदर्शिता के साथ चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। निर्वाचन से जुड़ी सभी सामग्री डबल ब्लॉक के साथ रखी जाएगी। राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने इस संबंध में सूचना जारी की है।
सपा को मिली थी बढ़त
यूपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुल 3050 जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। इन चुनावों में भाजपा पिछड़ती नजर आई थी। नतीजों में सपा के 747, बीजेपी के 666, बीएसपी के 322, कांग्रेस के 77, आम आदमी पार्टी के 64 और 1174 निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों को जीत मिली थी। नतीजों के बाद कहा गया कि सूबे में सत्तारूढ़ भाजपा की हालत खराब है। पंचायत चुनावों के नतीजों उत्साहित समाजवादी पार्टी ने खूब जोर लगाया। पार्टी का कहना था कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता से बेदखल होगी।
वेस्ट यूपी के 6 जिले फतह
वेस्ट यूपी के 14 में से 6 जिले भाजपा ने फतह कर लिए हैं। इनमें अध्यक्ष पदों पर भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। अब 8 जिलों में मतदान के जरिए जीत-हार तय होगी। भारतीय जनता पार्टी इसे बड़ी कामयाबी करार दे रही है तो दूसरी ओर विपक्ष ने सत्ता का दुरुपयोग बताया है। बहुजन समाज पार्टी पहले ही यह चुनाव लड़ने से इंकार कर चुकी है। कांग्रेस के पास बेहद कम संख्या में जिला पंचायत सदस्य हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के साथ है। वेस्ट यूपी में रामपुर, मुरादाबाद, शामली, अमरोहा, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, संभल और बुलंदशहर जिले हैं।
29 जून को होगी घोषणा
शनिवार की सुबह से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। निर्धारित वक्त तक गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर और मुरादाबाद जिलों में भारतीय जनता पार्टी के अलावा कोई नामांकन नहीं किया गया। लिहाजा, गौतमबुद्ध नगर से भाजपा उम्मीदवार अमित चौधरी, बुलंदशहर से डॉक्टर अंतुल तेवतिया, गाजियाबाद से ममता त्यागी और मुरादाबाद से डॉक्टर शेफाली चौहान निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। हालांकि औपचारिक रूप से इन लोगों के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की घोषणा 29 जून को होगी।