Tricity Today | उत्तर प्रदेश में बनेगी ब्रह्मोस मिसाइल
Uttar Pradesh News : देश की सबसे ताकतवर ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) का निर्माण उत्तर प्रदेश में होगा। रक्षा शोध एवं निर्माण संगठन (DRDO) ने यूपी के औद्योगिक विकास विभाग से निर्माण इकाई लगाने के लिए जमीन मांगी है। मंगलवार को ब्रह्मोस अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महानिदेशक और विशिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.सुधीर कुमार मिश्रा ने औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना (Satish Mahana Minister) से लखनऊ में मुलाकात की है। डीआरडीओ के महानिदेशक ने उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस और अन्य हथियारों का निर्माण करने की इच्छा जाहिर की। सतीश महाना ने बताया कि नवीन निर्माण इकाई की स्थापना के लिए लिए स्थान चयन और भूमि आवंटन पर गहन विचार-विमर्श किया गया है।
डिफेन्स कॉरिडोर में बनेगी निर्माण इकाई
डीआरडीओ की यह इकाई डिफेंस कॉरिडोर में लगाई जाएगी। उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर कानपुर से बुंदेलखंड है। इस फैक्ट्री के लगने से कानपुर और आसपास के इलाके में औद्योगिक निवेश आएगा। स्थानीय युवकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा, "डिफेंस कॉरिडोर के जरिए भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। देश और दुनिया और भी कम्पनियां उत्तर प्रदेश आ रही हैं। मंगलवार को ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट के महानिदेश डॉ.सुधीर कुमार मिश्रा ने साइट देखी हैं। उन्होंने लखनऊ आकर मेरे कार्यालय में मुलाकात की है। जैसे ही वह जगह फाइनल करेंगे भूमि आवंटन की प्रक्रिया फटाफट पूरी कर दी जाएगी।" इस बैठक में औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके सिंह भी थे।
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस मैक 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकती है। अंडमान निकोबार से 290 किलोमीटर रेंज वााली ब्रह्मोस का पिछले साल 'लाइव मिसाइल टेस्ट' किया गया था। चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच इन टेस्ट्स से यह दिखाने की कोशिश थी कि मिसाइल कितनी सटीकता से टारगेट हिट कर सकती है। यह मिसाइल रूस और भारत के रक्षा संस्थानों के साथ आने से बनी है।
कैसे रखा गया ब्रह्मोस नाम
Brahmos में Brah का मतलब 'ब्रह्मपुत्र' है। Mos का मतलब 'मोस्कवा' है। मोस्क्वा नदी रूस में है। यानी दोनों देशों की एक-एक नदी के नाम से मिलाकर इस मिसाइल का नाम बना है। ब्रह्मोस मिसाइल के कई वैरियंट्स हैं। ताजा टेस्ट 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल के हुए हैं, जो एक नॉन-न्यूक्लियर मिसाइल है। यह मैक 2.8 की रफ्तार से उड़ती है यानी आवाज की रफ्तार का लगभग तीन गुना ज्यादा तेज। इसे सुखोई लड़ाकू विमान से लॉन्च किया जा सकता है। दोनों साथ मिलकर एक घातक कॉम्बो बनाते हैं। जिससे दुश्मन के पलक झोकते ही परखच्चे उड़ाए जा सकते हैं। ब्रह्मोस के और कई वर्जन
इस मिसाइल का एक वर्जन 450 किलोमीटर दूर तक वार कर सकता है। इसके अलावा एक और वर्जन टेस्ट हो रहा है, जो 800 किलोमीटर की रेंज में टारगेट को हिट कर सकता है। बह्मोस मिसाइल की खासियत यह भी है कि इसे कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है। जमीन से हवा में मार करनी वाले सुपरसोनिक मिसाइल 400 किलोमीटर दूर तक टारगेट हिट कर सकती है। पनडुब्बी वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला टेस्ट 2013 में हुआ था। वह मिसाइल पानी में 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ी जा सकती है। मतलब, पनडुब्बी वर्जन है।
यह टारपीडो यूनिट भी बनेगी
ऐसी पनडुब्ब्यिां भी बनाई जा रही हैं, जिनमें इस मिसाइल का छोटा रूप टारपीडो ट्यूब में फिट किया जाएगा। हवा में मिसाइल छोड़ने के लिए SU-30MKI का खूब इस्तेमाल होता आया है। यह मिसाइल 5 मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकती है। अधिकतम 14,00 फीट की ऊंचाई तक यह मिसाइल उड़ती है। वैरियंट्स के हिसाब से वारहेड का वजन बदल जाता है। इसमें टू-स्टेज प्रपल्शन सिस्टम है। सुपरसोनिक क्रूज के लिए लिक्विड फ्यूल्ड रैमजेट लगाया गया है। इससे यह मिसाइल बेहद मारक, तेज और अत्याधुनिक बन जाती है।
भारत-रूस का जॉइंट वेंचर
ज्यादा बड़ी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल पर रूस और भारत मिलकर काम कर रहे हैं। इस अपग्रेड को पहले से बनी मिसाइलों में भी लागू किया जाएगा। ब्रह्मोस-II के नाम से एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाई जा रही है जिसकी रेंज करीब 290 किलोमीटर होगी। यह मिसाइल मैक 8 की रफ्तार से उड़ेगी। यानी अभी से लगभग दोगुना ज्यादा रफ्तार होगी। यानी तब यह दुनिया की सबसे तेज हाइपरसोनिक मिसाइल बन जाएगी।
रफेल के साथ जोड़ने की तैयारी
इसके अलावा ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) जो मिसाइल का एक मिनी वर्जन है, यह भी डेवेलप की जा रही है। यह मिसाइल अभी की मिसाइल के मुकाबले आधी वजनी होगी। इसमें रडार क्रॉस सेक्शन कम होंगे। जिससे दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इसका पता लगाना और मुश्किल हो जाएगा। इस मिसाइल को सुखोई, मिग, तेजस के अलावा राफेल और अन्य लड़ाकू विमानों के साथ जोड़ा जाएगा।