लोकसभा चुनाव 2024 : मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान का टिकट फाइनल, जानिए इनका इतिहास

Google Photo | संजीव बालियान



Muzaffarnagar News : आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 195 को टिकट दिया गया है। पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे। उत्तर प्रदेश से 51 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं। मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान को पार्टी ने टिकट दिया है।

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बदले समीकरण
उत्तर प्रदेश की राजनीति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिक्र बिना खत्म नहीं हो सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण सीट में से एक सीट है मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट। इसे जाटलैंड भी कहा जाता है। साल 2013 में इस इलाके में दंगा हुआ था। जिसके बाद जाट और मुस्लिम के बीच ऐसी खाई पैदा हुई जो अब तक नहीं भर पाई है। इस दंगे ने इस सीट की राजनितिक समीकरण को भी बदल दिया। पहले जाट- मुस्लिम गठजोड़ के बल पर समाजवादी पार्टी या राष्ट्रीय लोक दल यह सीट जीत लेती थी। लेकिन दंगे के बाद जिस प्रकार से हिंदू और जाट में दूरी बढ़ी उसका फायदा भाजपा को मिल रहा है।  भाजपा के लिए यह एक अजेय सीट बन गई है।

बालियान पर लगे थे दंगे के आरोप
 संजीव बालियान तब सुर्खियों में आएं थे जब उनका नाम मुजफ्फरनगर दंगे में आया था। बालियान पर दंगे के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप था।  उनपर आरोप लगा था कि सितंबर 2013 में उन्होंने एक महापंचायत की थी, जिस पंचायत कारण इलाके में माहौल खराब हो गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगस्त-सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और इसके आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। जिनमें  तकरीबन 60 लोगों की मौत हुई थी और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे।

किसान आंदोलन में रही महत्वपूर्ण भूमिका
कृषि कानूनों के खिलाफ हुए लगभग 1 साल लंबे आंदोलन में  मुजफ्फरनगर सांसद संजीव बालियान की भी सक्रियता रही थी। चुकीं  मुजफ्फरनगर किसान बाहुल्य क्षेत्र है तो यहां किसानों के एक बड़ा वोट बैंक है। जब पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लिए थे तो बालियान ने खुशी जाहिर की थी और कहा था कि ये मेरे लिए ही नहीं बल्कि सबके लिए खुशी की बात है। साथ ही उन्होंने कहा था कि इससे मुझे नुकसान नहीं बल्कि और फायदा ही होगा।

संजीव बालियान संभाल चुके हैं कई मंत्रालय 
साल 2014 में पहली बार सांसद बनने के बाद उनको कृषि और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री बनाया गया था।  जिसके बाद जुलाई 2016 में उन्हें जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण का राज्य मंत्री नियुक्त किया गया था। लेकिन अगले ही साल 2017 में उन्हें पद से हटना पड़ा था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में अजीत सिंह को हराने के बाद  उन्हें पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी राज्य मंत्री बनाया गया था।

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