मिशन-2024 : मायावती ने 30 जून को बुलाई खास बैठक, मुसलमान और दलित नेताओं को तरजीह मिलेगी, इन पर गिरेगी गाज

Tricity Today | मायावती (File Photo



Uttar Pradesh News : बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने लोकसभा चुनाव मिशन 2024 के लिए रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। मायावती ने 30 जून को लखनऊ में पार्टी की बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को मौजूद रहने की हिदायत दी गई है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा (Bahujan Samaj Party) उम्मीदवार के बेहतर प्रदर्शन से मायावती को अपना प्रयोग सफल होता नजर आ रहा है। दरअसल, आजमगढ़ सीट (Azamgarh By-elections) पर गुड्डू जमाली को टिकट देकर मायावती देखना चाहती थीं कि मुसलमान उन्हें कितना पसंद करता है। इस प्रयोग के परिणाम बेहतर आए हैं। लिहाजा, मायावती उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से मुसलमान और दलितों का गठजोड़ खड़ा करने की रणनीति तैयार कर रही हैं।

संगठन की ओवरहालिंग करने में जुटी हैं मायावती
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद वह लखनऊ में रहकर लगातार संगठन विस्तार और कामकाज की समीक्षा कर रही हैं। विधानसभा चुनाव में काम नहीं करने वालों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। जिन्हें पार्टी से नहीं निकाला गया, उन्हें हाशिये पर डाला जा रहा है। अभी कुछ और बड़े चेहरों को बसपा से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक मायावती काम करने वालों को तरजीह देने के मूड में हैं। पिछले 6 महीनों के दौरान वह राज्य के सभी जिलों से रिपोर्ट मंगवा चुकी हैं। विधानसभा चुनाव में जिन उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्हें भी संगठन में शामिल किया जाएगा।

30 जून की बैठक में होगी कामकाज की समीक्षा
मायावती 30 जून की बैठक में बड़े ओहदों पर बैठे नेताओं के कामकाज की समीक्षा करेंगी। राष्ट्रीय और प्रदेश को-ऑर्डिनेटरों से प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला होगा। नकुल दुबे ने पार्टी के लिए प्रबुद्ध वर्ग सम्‍मेलन में अहम जिम्मेदारी निभाई थी। लेकिन गलत रिपोर्ट देने पर पार्टी से बाहर का रास्ता मायावती ने दिखा दिया। बसपा के सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि ऐसे कई और नेताओं पर गाज गिरनी तय है। मायावती को उनके विश्वसनीय लोगों ने जानकारी दी है कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के कुछ नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के लिए काम किया है।

फिर मुसलमान और दलित गठजोड़ बनाने की कोशिश
बैठक में प्रदेश कोआर्डिनेटर और मुख्य मंडल प्रभारियों को बुलाया गया है। मायावती अपने पुराने सिपहसालार और कैडर के पुराने नेताओं को अधिक महत्व दे रही हैं। मुस्लिम समुदाय के नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंप रही हैं। दरअसल, मायावती अल्पसंख्यक समाज को संदेश देना चाहती हैं कि वह उन पर भरोसा करती हैं। विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने एकतरफ़ा समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया है। अब आजमगढ़ उपचुनाव में मुसलमान फिर लौटकर बहुजन समाज पार्टी की और आया है। लिहाजा, मायावती दोबारा दलित और मुस्लिमों का गठजोड़ खड़ा करके लोकसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी हासिल करना चाहती हैं। नवंबर में नगर निकाय चुनाव होगा। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। इन दोनों चुनावों को लेकर बैठक में रणनीतिक चर्चा होगी।

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