Tricity Today | अनिल दुजाना, मुकीम काला और रणदीप भाटी
Chitrakoot Jail Shootout : कभी मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाला मुकीम काला चंद वर्षों में वेस्ट यूपी के अपराध जगत का बड़ा नाम बन गया था। यह वो नाम था, जिसे सुनकर शामली, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पानीपत, सोनीपत और देहरादून के कारोबारी, नेता, आम और खास लोग दहशत में आ जाते थे। उसकी दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैराना और उसके आसपास से पलायन शुरू हो गया था। गांवों में लोगों ने अपने घरों के बाहर "मकान बिकाऊ है" का बोर्ड लगा दिए थे। लोग जिले से पलायन कर रहे थे। इस पलायन से सपा सरकार पर सवाल भी खड़े हो गए थे। आखिरकार पुलिस के लिए सिरदर्द बने मुकीम काला का अपराध की दुनिया का काला अध्याय चित्रकूट जेल में शुक्रवार को ईद के दिन बन्द हो गया।
मुकीम की गिरफ्तारी ग्रेटर नोएडा में हुई थी, अनिल-रणदीप में हुई तकरार
मुकीम काला को यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने वर्ष 2015 में पकड़ा था। तब से वह जेल में था। उसे पहले सहारनपुर फिर महाराजगंज और इन दिनों चित्रकूट जेल में रखा गया था। मूलरूप से कैराना का रहने वाला मुकीम काला ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा को शरणस्थली बना लिया था। शरण पाने के लिए उसने जिले के दो बड़े गैंगस्टर अनिल दुजाना और रणदीप भाटी से दोस्ती गांठ रखी थी। यूपी एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक अनिल के कहने पर उसने हरेन्द्र नाम के एक प्रापर्टी डीलर की हत्या अपने गुर्गे से करवाई थी। कुछ समय बाद यही मुकीम काला जब रिठौरी गांव से निकल कर भाग रहा था तो एसटीएफ के हाथों पकड़ा गया था। तब अनिल दुजाना और रणदीप भाटी के बीच दरार पड़ गई। इस दरार का कारण था कि रिठौरी गांव में वह रणदीप के घर पर था। जब वह पकड़ा गया तो अनिल का शक हुआ कि रणदीप ने ही मुकीम को पकड़वाने में एसटीएफ की मदद की है।
अजयपाल शर्मा ने शामली से खदेड़ा, राजकुमार मिश्र ने ग्रेटर नोएडा में पकड़ा
इस दरार के चलते मनमुटाव तो हुआ लेकिन मामला गैंगवार में तब्दील नहीं हुआ। उसका कारण यह था कि अनिल दुजाना के खास गुर्गे पकड़े जा चुके थे या फिर उसका गिरोह छोड़ चुके थे। ऐसे में मुकीम काला ही उसका सबसे शार्प और भरोसेमंद शूटर था। उस वक्त मुकीम के भाई वसीम और शाबिर मजबूत गिरोह की कड़ी थे। मुकीम के पकड़े जाने से अनिल कमजोर पड़ गया था। अनिल को मुकीम काला ने शहजाद मामा नाम का शूटर दिया था, जो एक केन्द्रीय मंत्री का ड्राइवर रह चुका था। बाद में हत्या के मामले में उसे भी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया था। यूपी एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्र के मुताबिक वर्ष 2015 में नोएडा और मेरठ यूनिट ने संयुक्त अभियान में मुकीम काला को पकड़ा था। वह बड़ी लूट की वारदात करने में माहिर था। उसकी मौत के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के कारोबारियों ने राहत की सांस ली है। उसके भाई वसीम और शाबिर को एसटीएफ पहले ही मुठभेड़ में मार चुकी है। वहीं, शामली के एसपी रह चुके अजय पाल शर्मा के मुताबिक जब वह शामली के कप्तान बनकर गए थे उन्होंने मुकीम काला और उसके परिवार की घेराबंदी करके जिला छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद वह जान बचाने के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शरण लेता था।
हौसला इतना बुलंद था कि एसओजी प्रभारी के घर पहुंच गया था धमकाने
जब कैराना में उसका आंतक मचा तो शासन में भी हडक़ंप मच गया। शामली पुलिस को मुकीम की गिरफ्तारी के आदेश दिए गए। उस वक्त शामली एसओजी के प्रभारी सचिन मलिक थे। सचिन मलिक ने उसकी घेराबंदी शुरू की। जिससे वह बौखला गया। पहले उन्हें फोन पर धमकी देनी शुरू की और एक दिन सारी हद पर कर दीं। वह उनके घर तक परिवार को धमकाने पहुंच गया। जिसके बाद मुकीम काला के बुरे दिन शुरू हुए।