Uttar Pradesh : भाजपा का दामन थामेंगे शिवपाल यादव? योगी से मिले, फिर स्वतंत्र देव और सीएम की मुलाकात, राज्यसभा की ग्यारहवीं सीट का पूरा खेल

Tricity Today | शिवपाल यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ



Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में तेजी के साथ गतिविधियां चल रही हैं। खासतौर से समाजवादी पार्टी गठबंधन में गांठ में पड़ती नजर आ रही हैं। बुधवार को शिवपाल यादव ने अचानक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। करीब आधा घंटा तक दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में बातचीत हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के बीच लंबी बैठक हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव को बड़ा झटका देने वाले हैं। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से पता चला है कि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। इसी साल जुलाई होने वाले राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है। यह सारा गेम राज्यसभा की ग्यारहवीं सीट को लेकर हो रहा है। आइए आपको पूरा गणित समझाते हैं।

विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाने से शिवपाल सिंह खफ़ा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव की पार्टी ने अखिलेश यादव से गठबंधन कर लिया था। हालांकि, इस गठबंधन में शिवपाल यादव को कोई खास फायदा नहीं हुआ। उन्हें केवल अपनी एक सीट समाजवादी पार्टी से मिली। उसके लिए भी सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने की शर्त थी। शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के साइकिल निशान पर चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंच गए। अब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की दशा और दिशा को संभालने के लिए अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया है। वह मैनपुरी जिले की करहल सीट से विधायक चुने गए हैं। विधानसभा में नेता विरोधी दल भी चुन लिए गए हैं। ऐसे में शिवपाल यादव के पास काम करने का कोई स्कोप नहीं बचा है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया था। जिस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी। वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में खुद को उपेक्षित और अलग-थलग मानकर चल रहे हैं। अब इसी क्रम में शिवपाल यादव ने अगली चाल चली है।

यूपी में 11 राज्यसभा सीट खाली होंगी
उत्तर प्रदेश में 11 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है। नवगठित विधानसभा में सदस्यों की संख्या को देखते हुए बीजेपी और एसपी में मुकाबला होना है। सदन में बहुजन समाज पार्टी का एक और कांग्रेस के दो विधायक हैं। इनकी अहम भूमिका होगी और ग्यारहवीं सीट के लिए बीजेपी और एसपी में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। चार जुलाई को सेवानिवृत्त होने वाले राज्यसभा सदस्यों में बीजेपी के जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जय प्रकाश निषाद शामिल हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी के सुखराम सिंह यादव, विश्वंभर प्रसाद निषाद और रेवती रमन सिंह हैं। बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ रिटायर होंगे। कांग्रेस के कपिल सिब्बल का कार्यकाल खत्म हो रहा है।

क्या है राज्यसभा का चुनावी गणित
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट की आवश्यकता होती है। भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन दलों के पास यूपी विधानसभा में 273 विधायक हैं। भारतीय जनता पार्टी आसानी से 7 राज्यसभा सीट जीत जाएगी। इसके बाद बीजेपी के पास 14 विधायक बचेंगे। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और सहयोगी दलों के पास 125 विधायक हैं। इस तरह समाजवादी पार्टी 3 सीट आसानी से जीत लेगी और इनके पास भी 14 अतिरिक्त विधायक बचेंगे। कुल मिलाकर राजा भैया, बसपा और कांग्रेस के पांच विधायक 11 राज्यसभा सांसद को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसी 11वें सांसद को लेकर अभी से भारतीय जनता पार्टी ने गुणा-गणित शुरू कर दिया है।

भाजपा उम्मीदवार बनाए तो शिवपाल विधायक लाकर देंगे
भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि शिवपाल यादव और भारतीय जनता पार्टी के बीच एक डील पक रही है। अगर भारतीय जनता पार्टी शिवपाल यादव को अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाएगी तो शिवपाल यादव 11वें सांसद को जिताने के लिए जरूरी विधायकों का इंतजाम करेंगे। पता चल रहा है कि समाजवादी पार्टी के करीब 20 विधायक शिवपाल यादव के समर्थन में हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान यह विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। आपको बता दें कि पिछली बार हुए राज्यसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए क्रॉस वोटिंग की थी। बाकी पांच विधायकों से वोट लेना भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई बड़ी बात नहीं है।

अखिलेश यादव पर दबाव बनाकर रखना चाहती है भाजपा
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने के लिए लोकसभा से इस्तीफा दिया है। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव वक्त-वक्त पर हल्ला बोलते रहेंगे। मंगलवार को विधानसभा में स्पीकर के चुनाव पर बोलते हुए अखिलेश यादव ने भाजपा को घेरने की पूरी कोशिश की। बुधवार को 12वीं का परीक्षा लीक हुआ तो अखिलेश यादव ने सरकार पर करारा हमला किया। आने वाले दिनों में अखिलेश यादव के राजनीतिक हमले लगातार बढ़ते जाएंगे। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी अखिलेश यादव पर दबाव बनाकर रखना चाहती है। भाजपा, समाजवादी पार्टी में सेंधमारी करके जाहिर करना चाहती है कि अखिलेश यादव की पकड़ अपनी पार्टी पर ढीली है।

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