बड़ी खबर : यूपी एमएलसी चुनाव में 105 प्रत्याशियों की किस्मत का होगा फैसला, जानिए कितने नामांकन पत्र हुए निरस्त

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो



Lucknow News : उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा ने विधान परिषद चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। यूपी में 36 एमएलसी सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। वहीं पहले चरण की 30 सीटों पर दाखिल हुए 139 नामांकन पत्रों में से मंगलवार को हुई जांच में 34 नामांकन निरस्त कर दिए गए हैं। इसके बाद 105 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं। बता दें कि गुरुवार यानी 24 मार्च को नामांकन वापस लेने की आखिरी तिथि है।

24 मार्च को निर्विरोध जीतने वालों का होगा ऐलान
मथुरा-एटा-मैनपुरी की दो सीटों पर सपा प्रत्याशी उदयवीर सिंह व राकेश यादव के पर्चे निरस्त होने के बाद यहां निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। 24 मार्च को नाम वापसी के बाद निर्विरोध चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को हुई नामांकन पत्रों की जांच में सबसे अधिक आठ नामांकन मेरठ-गाजियाबाद सीट पर निरस्त किये गये। जबकि पांच नामांकन बांदा-हमीरपुर सीट पर निरस्त हुए। तीन-तीन नामांकन मुरादाबाद-बिजनौर, लखनऊ, मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट पर निरस्त किये गये।

इन सीटों पर मंगलवार को 16 नामांकन दाखिल हुए
अब इन 30 सीटों पर चुनाव के लिए सबसे अधिक 6-6 उम्मीदवार क्रमश: बदायूं, प्रतापगढ़, आगरा-फिरोजाबाद और मेरठ-गाजियाबाद सीट पर हैं। अलीगढ़ में मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच नहीं हो सकी। दूसरे चरण की छह सीटों पर नामांकन दाखिले की प्रक्रिया जारी है। बता दें मंगलवार को कुल 16 नामांकन दाखिल हुए। अब तक इन छह सीटों पर कुल 25 नामांकन दाखिल हो चुके हैं। इसी प्रकार रायबरेली, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, वाराणसी, मीरजापुर-सोनभद्र, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर व पीलीभीत-शाहजहांपुर से एक-एक पर्चा खारिज हो गया। 

25 मार्च नाम वापसी का आखरी दिन
बता दें कि एमएलसी चुनाव में सबसे ज्यादा सात प्रत्याशी देवरिया से हैं। इसके अलावा गोंडा में चार, फैजाबाद में पांच प्रत्याशी हैं। बस्ती-सिद्धार्थनगर, बलिया व गोरखपुर-महराजगंज में तीन-तीन प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जिनके नामांकन पत्रों की जांच बुधवार को होगी। 25 को नाम वापसी का दिन है। दरअसल, यूपी में विधान परिषद की 100 सीटें होती हैं। चयन की प्रक्रिया इस तरह बनाई गई है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी घटकों और समाज के प्रबुद्ध वर्ग के अलग-अलग हिस्सों का प्रतिनिधित्व हो सके। इसलिए सदन की 38 सीटें विधानसभा के सदस्यों के जरिए चुनी जाती हैं।

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