Agra News : जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) के राजौरी में चल रही आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में आगरा के लाल कैप्टन शुभम गुप्ता (Captain Shubham Gupta) बुधवार को शहीद हो गए। शुक्रवार की दोपहर उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव में पहुंचेगा। गांव वाले पैतृक गांव कुआं खेड़ा में अंत्येष्टि की तैयारी कर रहे हैं। कैप्टेन को श्रद्धांजलि देने देर रात उनके साथ ट्रेनिंग करने वाले सेना के अधिकारी भी पहुंचे हैं।
श्रद्धांजलि देने दोस्त भी पहुंचे
हमारा दोस्त जाबांज था। हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहता था। उसने अपने साथी को रेस्क्यू करने के लिए आतंकवादियों की गोलियों की भी चिंता नहीं की। हम उसे कभी भुला नहीं पाएंगे, वह हमेशा हमारे दिलों में अमर रहेगा। राजौरी में आतंकियों संग मुठभेड़ में कैप्टेन शुभम गुप्ता के शहीद होने की खबर पाकर गुरुवार शाम को उनके साथ ट्रेनिंग करने वाले दोस्त आगरा पहुंचे। दोस्तों की आंखों में आंसू थे। शहीद के पिता बसंत गुप्ता से दोस्तों से मुलाकात की, उन्हें हिम्मत बंधाई। उनसे कहा कि आपका बेटा वो काम कर गया है, जो हर कोई नहीं कर सकता। आप चिंता न करें, एक बेटा गया तो आपके 10 बेटे आपके साथ खडे़ हैं। बेटे के याद कर पिता की आंखें भी डबडबा गईं। शहीद शुभम के दोस्तों का कहना था कि हमने कैप्टन विक्रम बत्रा की जाबांजी के किस्से सुने थे। हमने उन्हें नहीं देखा, लेकिन हमने अपने दोस्त को देखा। वो दूसरा विक्रम बत्रा था। वो हम सबके लिए एक उदाहरण छोड़ गया है।
शेरदिल और जाबांज अफसर था शुभम
शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के सीनियर भी आगरा पहुंचे। उन्होंने बताया कि शुभम जैसा शेरदिल और जाबांज अधिकारी कम ही होते हैं। उन्होंने कई ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। वो अपने साथियों के लिए हमेशा खड़ा रहता था। जैसा कि मुझे पता चला है कि इस बार भी उसने अपने घायल साथी को रेस्क्यू करने में देर नहीं की। वो आतंकियों के बीच चला गया। जहां पर ये ऑपरेशन हुआ वो बहुत दुर्गम जगह थी। आप इससे ही अंदाजा लगा सकते हैं कि शुभम में कितनी हिम्मत होगी।
पिछले साल दोस्तों के साथ मनाया था जन्मदिन
शहीद शुभम पिछले साल अपने जन्मदिन पर घर आए थे। उस समय उनके दोस्तों और घरवालों ने जन्मदिन की पार्टी दी थी। उन्हें कंधे पर बैठाकर तुम जियो हजारों साल गाना गाया था। भाई को कंधे पर उठाने वाले चचेरे भाई नितिन गुप्ता उस पल को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। कहते हैं कि उस दिन पूरी रात पार्टी हुई थी। सब कुछ थे। सोचा नहीं था कि जिसे कंधे पर बैठाया था, आज उसकी अर्थी को कंधा देना होगा।