Chitrakoot : सरकारी कर्मचारी बहुत ताकतवर होते हैं। ये किसी जिंदा आदमी को मरा बता सकते हैं। फिर कोई लाख दुहाई दे कि वह जिंदा है कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा ही एक मामला मानिकपुर तहसील के करौंहा गांव का है। यहां के अस्सी साल के वृद्ध ओझा पुत्र दीनदयाल को 2010 में चकबंदी के दौरान विभाग के कर्मचारी ने मृत दिखा दिया।
उपजिलाधिकारी के बयान...
मानिकपुर के उप जिलाधिकारी प्रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि गांव के ओझा ने 18 जून को समाधान दिवस में जिलाधिकारी को प्रार्थनापत्र देकर इस संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था। पूरे प्रकरण को जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने गंभीरता से लिया और त्वरित जांच के आदेश दिए। एसडीएम ने बताया कि जांच में मामला सही पाया गया। इस पर डीएम ने खतौनी में वृद्ध का नाम चढ़ाने के आदेश दिए। बताया कि जिलाधिकारी के आदेशानुसार गुरुवार को वृद्ध ओझा को तहसील कार्यालय में बुलाकर संशोधित खतौनी दी गई। जिलाधिकारी ने प्रकरण में दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।